यूनान के प्रसिद्ध तत्त्ववेत्ता डायोजिनीज अपना जीवन एक माँद में ही बिताते थे। अपने रहने के लिए घर बनाना आवश्यक नहीं समझते थे। एक बार एक युवक ने उन्हें एक पत्थर की मूर्ति के सामने बड़ी देर तक भीख माँगते देखा। उसे बड़ा ही आश्चर्य हुआ और उसने उनसे प्रश्न किया, “पत्थर की मूर्ति से भला आप भीख क्यों माँग रहे हैं? क्या वह आपको भीख देगी भी?”
डायोजिनीज ने उत्तर दिया, “मैं इस पत्थर की मूर्ति से भीख माँगकर, भीख न मिलने पर निराश हुए मन को शान्त करने का अभ्यास कर रहा हूँ।”
ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं–Anmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)
