pados ka dhyaan
pados ka dhyaan

एक बार मदर टेरेसा कोलकाता की निर्धन बस्ती में गईं। वहाँ लोगों के पास दो वक्त की रोटी नहीं थी, तन ढ़कने को पर्याप्त वस्त्र नहीं थे, बच्चे भूखों मर रहे थे। मदर ने तत्काल अपना मानव धर्म निभाया। उन्होंने यथाशक्ति भोजन, वस्त्र वहाँ के लोगों को उपलब्ध कराए। कुछ दिनों के लिए मदर ने वहीं अपना घर बना लिया ताकि उन लोगों के निकट रहकर उनकी आवश्यकताओं और समस्याओं को जान सकें। वहाँ रहते हुए मदर को एक दिन किसी ने बताया कि उनके पड़ोस में रह रहा एक हिंदू परिवार सात-आठ दिनों से भूखा है।

यह सुनते ही मदर थोड़े से चावल लेकर वहाँ पहुँचीं। हिंदू परिवार की महिला ने मदर से चावल लिए और चावल को दो बराबर हिस्सों में बांटकर एक हिस्सा लेकर बाहर चली गई। जब वह वापस लौटी तो मदर की जिज्ञासा भरी दृष्टि को भांपकर बोली, मदर! हमारे पड़ोस में जो मुस्लिम परिवार रहता है, वह भी कई दिनों से भूखा है। इसलिए मैंने आधे चावल उन्हें दे दिए। उसकी बात सुनकर मदर भाववि“वल हो गईं।

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)