professor chhatra aur char biwiyaan
professor chhatra aur char biwiyaan

Hindi Motivational Story: प्रोफेसर दयाल बोले, सोचो क्या होगा, अगर आप सबकी चार-चार बीवियाँ हों। सारे छात्र हँसने लगे। प्रोफेसर बोले, एक राजा की चार बीबियाँ थीं। उसकी पहली बीवी सबसे ख़ूबसूरत थी। हालांकि दूसरी रानी भी कम ख़ूबसूरत नहीं थी। पूरा राज्य उसी की मदद से चलता था। राजा की तीसरी बीवी सलाहकार थी। लेकिन राजा अपनी चौथी बीवी की तरफ एकदम नहीं देखता था। जबकि वही राजा की सबसे ज्यादा देखभाल करती थी।

एक बार राज्य पर हमला हुआ। पहली बीवी से कहा, धन तो आता जाता रहता है। मुझे विश्वास है, तुम मेरा साथ कभी नहीं छोड़ोगी। रानी बोली, मैं तो राजा की बीवी हूँ, अब तुम राजा नहीं, मैं चली। उसने अपनी दूसरी बीवी से कहा, मुझे पता है कि तुम मेरा साथ नहीं छोड़ोगी। रानी बोली मैं तुम्हारे साथ रही, तो मुझे कोई नहीं देखेगा। मैं चली। वह अपनी तीसरी बीवी से बोला, तुम तो मेरा साथ नहीं छाड़ोगी ना? तीसरी बीवी बोली, अब जब कोई निर्णय ही नहीं बचा, तो मेरा यहाँ क्या काम? राजा एकदम टूट गया। पीछे से राजा की चाथी बीवी आई और उसकी पीठ पर हाथ रखकर बोली, मैं मरते दम तक तुम्हारा साथ दूँगी। राजा को ख़ुशी के साथ बहुत ग्लानि भी हुई। जिस रानी को उसने कभी भाव नहीं दिया, वह साथ खड़ी थी। प्रोफेसर बोले हमारी पहली बीवी है हमारा शरीर। हम जितना भी चाहें, वह अपनी सुन्दरता खो देता है और मृत्यु पर हमें छोड़ देता है। दूसरी बीवी है हमारी दौलत-शोहरत जो कभी किसी के पास नहीं ठहरती। हमारी तीसरी बीवी है रिश्ते, परिवार, दोस्त। एक सीमा के बाद वे भी हमारा साथ नहीं दे पाते। हमारी चौथी बीवी है हमारी आत्मा, हमारा मन, हमारा विवेक, जो हर स्थिति में साथ रहते हैं।

अपने आपको पहचान लोगे तो जीवन जीना सरल हो जाएगा।

ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंNaye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)