Hindi Love Story: “ब्लाइन्ड्स तो रखना चाहिए ना कार में कम से कम।” उसके चेहरे पर पड़ती धूप, उसे परेशान कर रही थी।
“ले लेंगे यार कहीं दिखे तो। वॉशिंग में गई थी कार, सामान वापस रखा नहीं है।”
“सृष्टि कह रही थी, मेरा कलर डल होते जा रहा है। कितनी गोरी थी मैं; और अब देखो।” उसने बैक मिरर एडजस्ट करते हुए अपनी चिंता जताई।
“वैसा ही तो है, कहाँ कुछ फ़र्क है।” मैंने लापरवाही से कहा।
“तुम्हें कुछ पता भी चलता है?”
“तो तुम यह चाहती हो, मैं कॉम्प्लेक्स कार्ड साथ में लेकर घूमूँ और कलर डल होते ही तुमसे किनारा कर लूँ?” ज़्यादा देर तक चिढ़ सम्भालना हर किसी के बस की बात नहीं।
“क्या-क्या बक रहे हो।” उसने भी लापरवाही से ही कहा होगा।
“तुम जैसी लड़कियों ने ही दुनिया भर में रंग का ज़हर फैलाया है और कोई तुम्हें कुछ बोल दे तो इतनी तकलीफ़ हो जाती है। सुन्दरता कलर से नहीं आती डियर और मैंने तुम्हें कलर देख कर पसंद किया होता तो और भी ज़्यादा सफेद गोबर मिल जातीं मुझे। तुम्हें पता है, इस छिछोरी मानसिकता के कारण कितनी नफ़रत है दुनिया में?”
“आज तुम्हारा लड़ाई का मूड है क्या?” वह शांत पर उसी चिंता में दिखी, उसे ख़ुद की जमी हुई सोच पर कोई बहस नहीं चाहिए थी।
मैंने उसकी बाँहों में धीरे से मुक्का मारा और यह समझते हुए कि अभी इस मुद्दे पर बात कर पाना नामुमकिन है; मैंने ज़बरदस्ती अच्छे मूड को ख़ुद पर लादा- “मूड तो मोहब्बत का है जानेमन! लेकिन कम से कम तुमसे तो डबल मिनिंग बातें नहीं करना चाहता।”
किसी की कही बातें याद आईं कि, बेवजह की बहसें मोहब्बत में दूरी बढ़ने की वजहें हो जाया करती हैं; ज़रूरी बातों के साथ, कुछ गैर ज़रूरी लफ़्ज़ बहसों में अक्सर हिस्सेदार हो जाया करते हैं। क़ीमत भी चुकाई जाती है तो उन ग़ैरज़रूरी लफ़्ज़ों की।
ठंडी सोच की हवा ने नथुने भीगो दिए; अकेले लम्हों की याद चमकी, इश्क़ तो तन्हाई में भी उतनी ही अँगड़ाईयाँ लेता है। अफ़सोस की नौबतें क्योंकर बुलाऊँ। मुश्किल से मिला थोड़ा सा वक़्त बहस में ज़ाया करूँ या उसकी लिपिस्टिक पूरी तरह से हटा देने के अपने मंसूबों को अंज़ाम दूँ?
ये कहानी ‘हंड्रेड डेट्स ‘ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Hundred dates (हंड्रेड डेट्स)
