apshakun
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Hindi Motivational Story: बेटा वापिस अंदर चल…ज़रा ठहर के घर से बाहर जाना…। ‘पर क्यों माँ… मुझे दफ़्तर पहुँचने में देर हो जाएगी।…’ ‘अरे देखता नहीं सामने विधवा औरत आ गई थी…विधवा का राह में मिलना अपशकुन होता है बेटा।’ पर माँ विधवा तो तुम भी हो…।’ ‘हूँ तो…मगर तेरी माँ हूँ।

‘मगर माँ वह विधवा भी तो किसी की माँ होगी। ‘ज्यादा बहस मत कर थोड़ा पानी पी…दस मिनट बाद जाना समझा।’ ‘ठीक है माँ जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।’ ‘ठीक है माँ जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।’ थोड़ी देर बाद बेटा घर से निकला और एक घंटे बाद वापस आ गया। माँ ने पूछा ‘बेटा आज दफ्तर से इतना जल्दी आ गया…क्या बात है? ‘माँ मैं दस मिनट लेट हो गया था, बॉस ने घर वापस भेज दिया।’ बेटे ने दुःखी मन से कहा।

ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंNaye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)