Hindi Motivational Story: आचार्य द्रोण ने अपने गुरुकुल के छात्रों की शिक्षा पूरी कराने के बाद तीन चुने हुए शिष्यों से कहा, कल प्रातः मेरी कुटिया में आना। तुम्हारी आख़िरी परीक्षा लेने के बाद तुम्हें प्रमाणपत्र दिया जाएगा। आचार्य ने कुटिया के मार्ग पर कुछ काँटे बिखेर दिए। सवेरे तीनों शिष्य गुरुकुल से गुरुदेव की कुटिया की ओर चले। वे थोड़ी दूर चले थे कि उनके पैरों में कांटे चुभने लगे। पहला शिष्य पैरों में काँटा चुभने के बाद भी चलता रहा और गुरुदेव की कुटिया में पहुँचने के बाद काँटे निकालने लगा।
दूसरा शिष्य पहले शिष्य के पैरों में काँटे चुभते देखकर सतर्क हो गया और कांटों से बचते हुए कुटिया तक निकल गया। तीसरे शिष्य ने जैसे ही रास्ते में काँटे बिखेरे देखे, उसने वृक्ष की एक नीचे झुकी हुई डाली तोड़ी तथा झाड़ू की तरह उसका उपयोग कर रास्ते धोते हुए कुटिया के द्वार पर खड़े आचार्य के चरण स्पर्श कर बैठ गया। गुरुदेव कुटिया के द्वार पर खड़े तीनों शिष्यों का आचरण देख रहे थे। उन्होंने तीसरे शिष्य की पीठ थपथपाते हुए कहा, वत्स तुम आख़िरी परीक्षा में सफल रहे। सच्चा ज्ञान वही है, जो दूसरों के सामने आए संकट को दूर कर सके। शिष्य के रुप में तुम हमारे गुरुकुल का नाम ऊँचा करोगे।
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