tyag mein hi chhipa hai saccha sukh
tyag mein hi chhipa hai saccha sukh

Hindi Motivational Story: एक संत और उनका एक शिष्य धर्म प्रचार के लिए गाँव-गाँव घूमते थे। एक दिन अचानक संत ने शिष्य को कहीं और चलने के निर्देश दिए। शिष्य ने पूछा, ‘गुरूदेव यहाँ तो बहुत चढ़ावा आता है क्यों ना कुछ दिनों बाद चलें तब तक और चढ़ावा इकट्ठा हो जाएगा?’ संत बोले, ‘बेटा हमें धन और वस्तुओं के संग्रह से क्या लेना देना, हमें तो त्याग के रास्ते पर चलना है।’ गुरु की आज्ञा सुनकर शिष्य कुटिया को छोड़ चल दिया लेकिन चलते-चलते गुरु की आँखें बचाकर कुछ सिक्के चोरी से झोली में डाल लिए।

दूसरे गाँव में जाने के लिए उन्हें एक नदी पार करनी थी। जब वे नदी तट पर पहुँचे तो नाव वाले ने कहा कि मैं नदी पार करने के दो सिक्के लेता हूँ। संत के पास पैसे नहीं थे, इसलिए वे आसन लगाकर वहीं बैठ गए। शिष्य भी चुपचाप बैठा रहा। बैठे-बैठे शाम हो गई ना तो कोई भक्त आया और ना ही नाव वाले का दिल पसीजा। अंधेरा होता देख शिष्य ने अपनी झोली से दो सिक्के निकाले और नाव वाले को दे कर बोला कि अब हमें पहुँचाओ। उसे देख संत मुस्कराते हुए बोले कि जब तक सिक्के तुम्हारी झोली में थे, हम कष्ट में रहे, जैसे ही तुमने उनका त्याग किया, हमारा काम बन गया। त्याग में ही सुख है।

ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंNaye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)