Hundred Dates
Hundred Dates

Hindi Love Story: “हमें मूवी देखे कितने दिन हो गए?” उसने कहा।

“पिछले महीने देखी थी, दिन तो ऐसे याद नहीं। क्यों पूछ रही हो?” यूँ मुझे पता था, वह क्यों पूछ रही है और शायद उसे भी मेरा जवाब पता हो।

“तो वह ज़िंदगी भर के लिए थी या कोई और भी देखनी है कभी?” इस फ़लसफ़ी का दिल से क़ायल हूँ।

“अगले विकेन्ड का रख लेते हैं प्रोग्राम।”

“हाँ, और अगला करते-करते आठ-दस विकेन्ड तो आराम से गुज़ार ही दोगे तुम, है न?” कितना पहचानती है वह मुझे।

“ऐसा नहीं है,देखते हैं न कोई ढंग की मूवी लगी भी तो होनी चाहिए; वरना तीन घंटे ख़त्म।”

“तुम ना बस मुझे टाइम की वैल्यू ही समझाते रहा करो, कभी लाइफ़ जीना भी है या बस टाइम का हिसाब-किताब ही करते रहना है। ग़ज़ब बनिया हो।”

“हाँ तो तुम क्या समझती हो, बेहिसाब टाइम है मेरे पास? पूरी ज़िंदगी बँटी हुई है और हर हिस्सा सोच समझ कर खरचना है मुझे। तुम्हारे साथ यहाँ बैठकर गप्पे मारना और झालमुढ़ी खाना मेरे लिए वक़्त को क़ीमती बनाना ही है बजाए इसके की नौटंकीबाज़ शोमैनों और ख़्वाबों के बददिमाग़ व्यापारियों की फ़ालतूपने से सराबोर और फ़रेबी लव स्टोरिज देखूँ।” ज़िंदगी में बहुत बार ऐसे दौर आते हैं, जब आप ख़ुद को पहले की तरह नहीं पाते। कोई ख़ुशगवार एक्ट आख़िर दिलकश नहीं रहता।

“ठीक है बाबा, जब तुम्हारे अकॉर्डिंग कोई ढंग की मूवी लगे तब बता देना। इतना चिढ़ क्यों रहे हो?” वह मेरे सख़्त लफ़्ज़ों से मसखरी करने का ख़तरा, आमतौर पर नहीं उठाती।

“अपनी वजह समझा रहा था ना डार्लिंग, वरना तुम समझती मूवी ना ले जाने के बहाने बना रहा हूँ।” मैंने उसकी गरदन को होठों से दबा, उसके पास होने का फ़ायदा उठाया।

“तुम कम नौटंकीबाज़ आर्टिस्ट हो? लड़की को ख़ुश रखने की कला थोड़ी और क्यों नहीं सीख लेते?” उसकी बातें बहुत बार चौंका देती हैं मुझे।

“तुम्हें तो मैं तीन मिनट में ख़ुश कर सकता हूँ, तो काहे को तीन घंटे ख़राब करूँ।” कहते हुए मैंने उसकी बाँह पर अपने दाँतो के निशान बन जाने जैसा काटा और ठीक उसी वक़्त पर जांघो पर ज़ोरदार चिकोटी काटी। हाथ सहलाते “दुष्ट! रुको बताती हूँ” कहती वह मेरी ओर झपटने की तैयारी में थी, जिसे वक़्त रहते मैंने भाँप लिया और मैं उसके आगे खुशियों की दौड़ लगा गया।