Hindi Sad Story: 29 साल की उम्र में देविका ब्याह कर आई थी घर में। सास ने कहा था तुम मेरी बेटी जैसी हो। तुम नौकरी करती हो, उसी पर ध्यान लगाना, घर के काम की चिंता मत करना जब तक मुझसे बन पड़ेगा मैं करूंगी। नहीं तो हम मैड लगा लेंगे। शादी के पहले सास से जब भी फोन पर बात हुई, कुछ ऐसी ही उत्सुकता दिखाई कि वह बहुत खुश है बहू से और उसका पूरा ध्यान वो रखेगी।
अपने माता-पिता की लाड़ली देविका खुद को बेहद किस्मत वाली समझ रही थी लेकिन उसे पता नहीं था कि यह एहसास कुछ समय का ही है। बहुत धूमधाम से शादी हुई और शादी के 20 दिन तक देविका को सास ने खूब लाड़-प्यार से रखा। शादी के 10 दिन बाद देविका ने अपने मायके फोन किया और बातों बातों में मां से कहा, ”मां मेरी सास तो मुझे आपसे भी ज्यादा प्यार करती हैं। पता है वो मेरे बालों में तेल भी लगाती हैं, सिर की मालिश भी करती हैं। सच कितनी किस्मत वाली हूं ना मैं। लोग बेमतलब ही ‘सास’ को बदनाम करते हैं।”
बेटी की बात सुनकर मां को भी बहुत अच्छा लगा कि चलो देविका खुश है ससुराल में। लेकिन 25वें दिन रोते हुए मां को फोन लगाया और कहा, ”मां, मैं बहुत बुरी हूं क्या?” मां को कुछ समझ न आया। उन्होंने पूछा कि कहना क्या चाहती हो? देविका ने कहा, ”मां, पता नहीं 5 दिन से मेरी सास ने मेरा जीना मुश्किल कर दिया है। अचानक बदल सी गई है। इनके कोई गुरू हैं, उनसे मिलाने ले गई थीं हमें जोड़े से। उसके बाद से दूसरे दिन से तेवर बदले हुए हैं। कहती हैं कि तुम्हारा मन साफ नहीं है देविका। मां, मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया लेकिन कहती हैं कि गुरूजी ने तुम्हें देखकर कहा है कि इसका पति तो बहुत अच्छा है, लेकिन यह लड़की उसके लायक नहीं है। मां, उन्होंने ये कहा कि तुमने इस लड़की से शादी करके अपने बेटे का जीवन नरक में डाल दिया है। मां, बताओ ना, मेरा मन साफ नहीं है क्या! क्या मैं इतनी बुरी हूं।”
ये कहते हुई फफक-फफक कर रो पड़ी देविका। मां ने हिम्मत से काम लेने को कहा।
मां ने पूछा, ”दामाद जी क्या कह रहे हैं?” इस पर देविका और तेज रोने लगी और कहा, ”मां, ये तो बिलकुल चुप है। मुझे चुप ही रहने को कह रहे हैं। मां पता है, इतना तनाव था कि बस मशीन बनकर काम कर रही थी। दिमाग में चीजें चल रही थी तो मैंने रोटी बनाने के बाद बेलन वॉश बेसिन में गलती से डाल दिया, तो इतना बुरा भला-कहा कि मैं आपको क्या बताऊँ। मां मैं कभी नहीं रखती बेलन ऐसे लेकिन पता नहीं टेंशन इतनी थी कि दिमाग पता नहीं कहां था। वह तो ठीक हैं मां आज तो हद ही हो गई।”
मां घबरा गई और पूछा, ”क्या हुआ बेटा! बता।”
“मां आप दोनों की परवरिश पर सवाल उठा दिया उन्होंने।” ये बोलकर देविका रोने लगी। रोना रोककर देविका ने आगे बताया, “मैं झाडू़-पोंछा कर रही थी। गलती से एक जगह थोड़ा गंदा रह गया। मैंने साफ किया था मां, लेकिन पता नहीं कैसे कोने में रह गया, इस पर उन्होंने कहा कि तुम्हारी मां ने तुम्हें कुछ सिखाया नहीं है क्या।”
देविका थोड़ी देर चुप हो गई और कहने लगी, “मां, आज मेरे मुंह से निकल ही गया। मैं तुम्हें बीच में लगाना बर्दाश्त नहीं कर पाई और मैंने कह दिया कि आप बनते बड़े आधुनिक हो लेकिन सोच वहीं पुरानी है जो आप मेरी मां को बीच में ले आए। बस मैंने इतना कहा और वह जोर जोर से चिल्लाकर बोलने लगी कि पता नहीं क्या संस्कार दिए हैं इसके मां-बाप ने, बड़ों से जुबान लड़ाती है। मां क्या करूं मैं अब। बहुत तकलीफ हो रही है।”
मां ने समझाया कि उनकी बातों को दिल से न लें। बड़े हैं बोल दिया तो बोल दिया। उसे बस अपना काम करने को कहा। देविका जो कंपनी में 15 लोगों की टीम संभालती है, वह एक सास के आगे हार गई। मन में यह सोचकर चुप रह गई कि शायद सबकुछ ठीक हो जाएगा।
यह कहानी यह दिखाती है कि किसी भी रिश्ते में, खासकर सास-बहू के रिश्ते में, समय के साथ परिवर्तन हो सकता है, और कभी-कभी बिना किसी समझ के दबाव और आरोपों का सामना करना पड़ता है। देविका की स्थिति में, वह जितना चाहती थी कि उसे समझा जाए और प्यार मिले, उतना ही वह अकेलेपन और मानसिक दबाव का शिकार हो गई।
आपको क्या लगता है, देविका को इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए क्या करना चाहिए था?
