Hundred Dates
Hundred Dates

Hindi Love Story: उसने भी बाकी लड़कियों वाला सवाल आख़िर दुहरा ही दिया- “तुम मुझसे शादी क्यों नहीं कर लेते?”

“क्या होगा शादी करके?”

“फिर कोई तुम्हें मुझसे ले नहीं पा पाएगा, हम ज़िंदगी भर; हर वक़्त साथ रह सकेंगे।”

“इस बात की तो कोई गारंटी, उसके बाद भी नहीं हा…हा…हा…”

“वो तो मैं देख लूँगी। मुझे तुम्हारे साथ ही जीना है बस…”

“सुनो डार्लिंग! तुम अभी अच्छी हो। क्यों बेकार में घर आकर झाड़ू-पोंछा, खाना बनाने और बच्चों की पॉटी साफ़ करने में अपनी ज़िंदगी का सत्यानाश करना चाहती हो?”

“इसमें क्या हुआ, ये तो सभी करते हैं। किसी और के यहाँ जाऊँगी तब भी तो करना ही होगा, तो तुम्हारे यहाँ ही क्यों नहीं।”

“तुम कहीं भी कुछ करो, तुम्हारे साथ बदसलूकी का पाप मैं अपने सर क्यों लूँ?”

“तुम मेरे साथ रहना ही नहीं चाहते ना?”

“तुम्हारे शरीर के साथ नहीं, पर मन के साथ हमेशा रहना चाहता हूँ। लुगाई बन जाओगी, तो हो सकता है ये सब रोमांस हवा हो जाए और ज़िंदगी की दौड़ में हम एक-दूसरे के ख़्वाबों के क़ातिल हो जाएँ…” उसके मुखड़े का सपाटपन, मेरी बातों से नापसंदगी दिखा रहा था।

सब ख़्वाबों को मार देने का गुनहगार मैं हरगिज़ नहीं होना चाहता। ख़्वाबों की सांसे ही तो हैं; जो मेरी शक्ल पर जगमगाती हैं। ख़्वाब ही तो हैं, जो गले तक ज़िंदगी में डुबाए रखते हैं।