Hindi Love Story: “अपने घर वालों से मैं परेशान हो गई हूँ यार।” “क्या हुआ?”
“वही फैमिली पॉलिटिक्स। मम्मी-पापा को कुछ समझ आता नहीं, बस परिवार-परिवार हुई रहती है। पूरा परिवार ऐसा मिसयूज़ करता है दोनों का, बता तो चुकी पहले भी।”
“वो नहीं समझेंगे। जिनको दुनिया के सामने भला बनने का चस्का लग जाए न; उनको समझा पाना मुश्किल है। हा…हा…हा…मुझे ना कभी-कभी ऐसे लोग वहशत से भरे लगते हैं; अच्छा कहलाए जाने की वहशत।”
“मुझसे तो नहीं देखा जाता। अपने बच्चों की परवाह नहीं है, और भाई-भतीजे के लिए जान दिए रहेंगे, चाहे वे कुछ भी करें या नहीं। मुझसे कैसे देखा जाएगा। इतनी मेहनत करते हैं पापा और ये परिवार लूटने को बैठा है। कभी-कभी लगता है, मैं तो निकलूँ यहाँ से…वरना यही सब देख-देख कर मेरा ख़ून जलता रहेगा।”
“ऐसा क्यों कह रही हो?”
“और क्या यार, एकदम इरिटेट हो चुकी हूँ यह सब देख-देख कर।”
“तो कर लो शादी, और निकल जाओ हसीन दुनिया की सैर पर हा…हा…हा…”
“चुप रहो। क़िस्मत देख रहे हो मेरी। जिससे प्यार किया उसे शादी नहीं करनी और जिससे शादी होगी उसे कैसे प्यार कर पाऊँगी? बहुत डर लगता है कभी-कभी कि, कैसे मैनेज होगा सब।”
“क्या हो जाने वाला है शादी से?”
“शादी से क्या ही हो जाएगा, पर अपनी लाइफ़ तो देखूँ, कब तक ऐसे टाइम पास चलता रहेगा। लाइफ़ ऐसे ही काटने को थोड़ी ना है। थोड़ी मौज मस्ती, घूमना-फिरना और कुछ प्यार भी तो चाहिए ना लाइफ़ में।
“अपनी उम्मीदों से प्यार करती फिरती हो और दूसरे इन्सानों पर इसका बोझ लादती हो। मुझे नहीं लगता किसी से भी तुम्हारी शादी हो, तुम ख़ुश रह पाओगी। यह सब तो लगा रहेगा जीवन भर…”
“क्या कहा तुमने? क्या बोझ?”
“अरे कुछ नहीं। उधर ध्यान मत दो। ये बताओ गुपचुप खाओगी? बहुत दिन हो गए, मन हो रहा है।”
उसने ख़ुश होते हुए कहा- “चटोरे।”
मैंने मस्ती पर तड़का लगाते हुए उसके होठों की मलाई पर जीभ फेर,चटोरेपन को नई परिभाषा दे देनी चाही। तजूर्बा, जो अक्ल के गलियारों को अखरता है।
ये कहानी ‘हंड्रेड डेट्स ‘ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Hundred dates (हंड्रेड डेट्स)
