Hundred Dates
Hundred Dates

Hindi Love Story: “कैसी लग रही हूँ?” उसने फ्रंट सीट पर बैठते, ख़ुशबू बहाते और अपना स्टाइलिश शॉर्ट स्कार्फ गरदन में लपेटते हुए पूछा। आज उसकी किसी दोस्त की सगाई थी और मैं मैडम के ड्राइवर के किरदार में था।

“पावरफुल।” मैंने कहा तो उसने आँखें निकाल कर मुझे घूरा। मैं जानता हूँ, डार्लिंग की फिलोस्फ़ीको जगाना।

“मैं क्या किसी जंग के लिए तैयार हुई लग रही हूँ? या किसी को निपटाना है?” उसने अदा से भरपूर झटका अपने बालों को दिया, और दो उँगलियाँ से पिस्टल की नोंक बनाकर फूँक मारते हुए कहा।

“सुन्दरता भी तो पॉवर के लिए ही है। इसलिए तो इतनी तैयारी है ना, कि तुम पॉवरफुल लगो।”

“तुम क्या चाहते हो, सारा पावर तुम लौंडे ही लिए घूमते रहो? वैसे तुम कहना क्या चाहते हो, लड़कियाँ अपने हुस्न का इस्तेमाल पॉवर की तरह करती हैं?” उसकी समझदार मुस्कान मुझे उलझाकर पटक देने की ताक़त हमेशा रखती आई है।

“और नहीं तो क्या, वरना लड़कियाँ क्यूँ गातीं कि ‘बिजली गिराने…मैं हूँ आई…’ मैंने गाते और मुस्कुराते हुए मस्ती की, उसकी मुस्कुराहट की लौ थोड़ी ज़्यादा फैली।

मैं कनखियों से देख रहा था, उसने अपने हैंड बैग से छोटा आइना निकाला और अपनी आँखें नचा कर उसमें झांकने लगी; शायद वह वक़्त ले रही थी कि, अपने लिए कहे गए अल्फाज़ों को तारीफ़ समझे और उनका ज़ायका लें।

चटखारे के बाद उसने कहा- “ठीक कहते हो तुम। लौडों की जवानियाँ गलती करने के लिए और इन मासूमों की बिजली गिराती शीला की जवानी होने; या सीता की जवानी की तरह कटघरों में बीतने के लिए हुआ करती है। लड़कों के ताक़तवर होने की हवस के पीछे जायदाद और पद कमाना होता है, लड़कियों को पालतू बनाना होता है। हम करमजली चाहती भी हैं कि तुम इस होड़ में लगे रहो; और हमारी बहादुरी की परेड के लिए तुमने ये जो हुस्न छोड़ रखा है ना, इसके पीछे तुम भी तो दीवाने हो।”

“हा…हा…हा…” हम दोनों साथ ही हँसने लगे।

“मतलब हमारी क़िस्मत में वैसे भी भागना लिखा है और तुम, और ज़्यादा भगाने में इंट्रेस्टेड हो हमें। हा…हा…हा…वैसे इस हिसाब से तुम्हें भी परमवीर चक्र और अशोक चक्र मिलने चाहिए।” मैंने कहा।

“मिलते हैं ना, बस नाम थोड़े अलग हैं। अच्छे, संस्कारी और पैसे वाले घरों का मिल जाना हमारा ईनाम है। और तुम्हारा ईनाम है सुन्दर बीवी मिल जाना। पद तो हैं ही; सोसायटी में टॉप की सुन्दर बीवी और बच्चों के लिए पढ़ी-लिखी माँ का मिल जाना…”

“हा…हा…हा…” मुझे लगा बहुत दिनों बाद हमने सच्चाई की हँसी, सच्चाई की छाती कुरेदकर हँसी।