Hindi Love Story: उसका मूड स्वींग, ज़्यादातर तो समझ आ जाता है, लेकिन कई बार नहीं भी आता। यह तो समझ से बिल्कुल परे हो जाता है कि, मेरे लिए उसने कोई नकारात्मक बात मन में रखी हो; तो वह जब मेरे साथ थी, तब भी किस तरह रही होगी।
“तुम मेरी लाइफ़ में आए ही क्यों?” वह यह पहले भी कह चुकी थी और यह सुनकर हर बार मेरे अंदर कुछ मर जाता है।
“मैं अकेला नहीं आया तुम्हारी लाइफ़ में, तुम भी मेरी लाइफ़ में आई हो।” यह गुनाह ही हो तो, मैं अकेला तो गुनहगार हरगिज़ नहीं हो सकता।
“तुम लड़कों को क्या फ़र्क पड़ता है? तुमने बताया था ना कि, तुम्हारी लाइफ़ में और भी रही हैं; तो और आ जाएँगी।” मुझे संभावना लगी कि, उसने कहीं किसी से कुछ सुना हो।
“हाँ आ सकती हैं, तो तुम उस अनजाने रिलेशन के ग़म में ज़िंदगी बिताने वाली हो?”
उसने तुरंत कुछ नहीं कहा। मैं समझता था उसकी ख़ामोशी का मतलब ‘नहीं’ ही था। एक मिनट के लम्बे निशब्द लम्हें के बीच उसने संयत होने की कोशिश करते हुए कहा- “अच्छा एक बात बताओ; तुम सच में हमारी सारी रातें, ट्रिप, डेट्स सब भूल जाओगे?”
“नहीं। भूलूँगा कैसे? मैंने मन से जीया है तुम्हारे साथ, हर पल।” मैंने यह बात यूँ ही नहीं कही, मैं उसके साथ पूरी नेकनीयत और कूवत के साथ था।
“किसी और के साथ तुम वह सब कर पाओगे, जो मेरे साथ किया है?” उसका भावहीन चेहरा मैंने देखा, जैसे वह मुझ पर आरोप लगा रही हो; और वह भी पहरेदारी के हावी होते ख़्यालों के कारण, किसी दूसरे से कुछ सुनकर या समझकर।
“मतलब मैंने किया है?” अब पलटवार ज़रूरी हो चला था। चुप्पी गुनहगार ना बना दे।
“कुछ नहीं किया तुमने?” उसे यक़ीन नहीं हो रहा हो शायद, मेरा जवाब सुनकर।
“हा…हा…हा…” इस स्थिति में शायद रावण हँसता हो मेरे अंदर-“मुझे ब्लेम करके तुम ख़ुद को बेक़सूर साबित कर लोगी ना? तो कर लो। मैं तो यही समझता था कि, हमारे सारे गुनाह हमने मिलकर किए हैं; मैं अकेला अब उन गुनाहों का बोझ भी उठाने को तैयार हूँ और सज़ा भी भुगतने को तैयार हूँ। लेकिन हाँ! तुम ख़ुद को पाप मुक्त समझ सको, तो मुझे मेरा जुर्म और सज़ा स्वीकार है।”
हँसी के बाद की नम होती आँखें, चाहता तो कौन है। उसने मेरा हाथ थामा और मुझे जहान भर की ख़ताओं से आज़ादी दे दी।
ये कहानी ‘हंड्रेड डेट्स ‘ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Hundred dates (हंड्रेड डेट्स)
