Hindi Kahani: गाँव की बात हो और हमारी अम्मा की बात न हो ऐसा हो नहीं सकता बात मेरे बचपन की है मेरी उम्र करीब 10 साल की थी घर में सबसे छोटी होने के कारण सबकी लाडली खासकर अपनी अम्मा की, वो मुझे बहुत प्यार करती थीं, अम्मा कृष्ण जी की भक्त थी छोटे से लड्डू गोपाल की सेवा करती उनके लिए हाथों से सुंदर सुंदर वस्त्र तैयार करतीं, मैं भी अम्मा के साथ छोटे से पीतल के लड्डू गोपाल को खूब सजाती, उनका बिस्तर बिछाती, उनके लिए मोतियों की माला बनाती, ऐसा था हम दोनों का प्यार।
अम्मा बहुत ही स्वस्थ और एक्टिव थी, हमेशा लड्डू गोपाल को भोग लगा कर नहा धोकर ही नाश्ता करती, पहले लड्डू गोपाल को नहलाती उनको सजाती फिर कुछ खातीं ।
अम्मा हमेशा खाने की शौकीन थी, हर चीज़ खातीं, जो भी घर में बनता, कभी कोई परहेज नहीं करतीं, मुँह में दांत नहीं थे, फिर भी सिल पर बादाम पीस कर और देशी घी मिलाकर खातीं, सारे फल खातीं, यहां तक कि अमरूद भी खा लेती, पीस के खाने में उन्हें किसी भी चीज से कोई परहेज नहीं था, बस परहेज था तो बस दवाईयों से, दवाइयों का नाम सुनते ही वो गुस्सा हो जातीं, अगर वो कभी बीमार भी पड़तीं तो अपने देशी नुस्खे से ही ठीक हो जातीं अगर पापा उनको कोई गोली केले या चीकू के अंदर छिपा कर देते तो तुरंत पहचान लेतीं और खूब गुस्सा होती |
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तुम लोग मुझे ये दवाइयां देकर मारना चाहते हो | यही बोल थे उनके, सच में अम्मा के ये नुस्खे बहुत ही कारगर थे, बुखार होता तो तुलसी के पत्ते और अदरक, लौंग का काढ़ा बनाकर पीती, पेट दर्द होता तो गुड़ अजवायन और काले नमक की छोटी छोटी गोलियां बना कर खातीं, एक टाइम हल्दी वाला दूध पीती सर्दियों में मेवा और गोंद के लड्डू खातीं ।
मुझे याद है पापा का ट्रांसफ़र मेरठ से आगरा हुआ था, पूरा समान ट्रक पर लदा था, बारिश भी खूब हो रही थी, शाम का वक़्त था, मैं बॉलकनी में नाच रही थी कि अचानक संतुलन बिगड़ने पर फर्श पर गिर गयी सिर में चोट आई, खून बहने लगा, पापा घबरा गए, दौड़ कर उठाया माथे पर एक गहरा कट था और खून रुकने का नाम नहीं ले रहा था |
सारा सामान पैक होने के कारण एंटीसेप्टिक लोशन भी नहीं था तभी अम्मा ने बोला चिंता मत कर लल्लू अभी गुड़िया को ठीक करती हूं उन्होंने पास रखे गमले से मनीप्लांट की पत्तियां तोड़ी और सिल पर बारीक पीस कर कटे हुए घाव को धोकर लेप कर दिया थोड़ी ही देर बाद मेरे माथे से खून बहना रुक गया और दर्द भी कम हो गया अम्मा ने कहा घबराने की जरूरत नहीं, सुबह तक गुड़िया को आराम आ जायेगा |
मैं अम्मा की गोदी में लेट गयी, रात भर अम्मा हर 2 घण्टे बाद लेप करती रही । सुबह तक कटा हुआ माथा पूरी तरह सूख गया और चिपक भी गया मुझे टांके लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ी, अम्मा के इस देशी इलाज से मुझे बहुत ही जल्दी आराम हुआ ।
मेरी अम्मा 102 साल तक बिना किसी दवाई के जीवित रही । आज मैं 2 बच्चों की माँ हूँ, आज भी मैं अपने बच्चों को अम्मा के देशी नुस्खे से ठीक कर देती हूं, बहुत ही इमरजेंसी में हम बच्चों को एंटीबायोटिक या अंग्रेजी दवाइयां देते है ।
दोस्तों ये घरेलू नुस्खे हर दादी की पोटली में होते है अगर आपकी दादी की पोटली भी इन नुस्खों से भरी है तो इसे जांच परख कर अमल में लाएं इनकी थोड़ी थोड़ी मात्रा लेकर देखे, अगर ये आपको नुकसान ना करें और फायदा हो तो इन नुस्खों को अपनाए ।
दोस्तों हमारे बुजुर्गों के घरेलू नुस्खे बहुत ही रामबाण होते है अगर हम इनको अमल में लाएं तो अपने बच्चों और खुद को दीर्घायु बना सकते हैं |
