Short Story: मेरा बचपन मध्यप्रदेश के जावद में बीता। पिताजी हेड मास्टर थे और थोड़े सख्त मिज़ाज के थे। हमारे घर पर एक गाय भी थी जिसका नाम गंगा था। गंगा को मुझसे बेहद लगाव था। मैं स्कूल से आती तो वह मेरे पीछे-पीछे ही घूमती रहती। यहां तक कि स्कूल जाते समय वह गली के बाहर तक छोड़ने आती थी। मैं कभी रोती या दुखी होती, तो उसकी आंखों में भी आंसू आ जाते थे। एक दिन स्कूल से आई तब पिताजी पहले ही घर आ गए थे और वह काफी गुस्से में थे। गुस्सा उन्हें किसी और पर था लेकिन मैं सामने दिखीं तो मुझे डांटने लगे। गुस्से में हाथ उठा दिया। फिर क्या था गंगा ने ये देखा तो उसे गुस्सा आया और वह पिताजी को सींग मारने लगी।
मैं रोक रही थी फिर भी वह नहीं रूकी। पिताजी को घर के अंदर भागकर दरवाजा लगाना पड़ा। मैंने पुचकार कर उसे शांत किया। लेकिन उस दिन के बाद से पिताजी गंगा के सामने कभी गुस्सा नहीं करते थे। इस बेजुबान का मेरे प्रति प्यार कभी भुलाया नहीं जा सकता।
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