disha mil gayi
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जार्ज बर्नार्ड शॉ जहां भी जाते, लोग उनको देखने के लिए उतावले हो उठते। एक मेधावी छात्र अवसर पाकर उनके पास गया। उनके नाटकों की खुले मन से प्रशंसा की। उसने कुछ अन्य साहित्यकारों की भी चर्चा की, जिन्हें उसने पढ़ा था। जार्ज को इस छात्र में साहित्य सृजन की प्रतिभा स्पष्ट नजर भाने लगी।

अभी जार्ज उस छात्र की प्रतिभा की मन ही मन प्रशंसा कर रहे थे कि उसने उनके आमने ऑटोग्राफ बुक रख दी और साथ ही निवेदन किया-सर! आज की युवा पीढ़ी के लिए देश इसमें दर्ज कर दें। जार्ज बर्नार्ड शॉ ने आटोग्राफ बुक में लिखा- बेटा! दूसरों के प्रेरक वाक्य या हस्ताक्षर लेने में वक्त जाया मत करो! अपना समय योग्यता प्राप्त करने में लगाओ, कि दूसरे लोग तुमसे ऑटोग्राफ माँगने आएं! धन्य हो उठा छात्र इस दिशा निर्देश को पाकर। किसी बड़े व्यक्ति से ऐसा दिशा निर्देश मिलना बड़े सौभाग्य की बात थी।

सारः अपनी पहचान कायम करने के लिए लगातार प्रयास करें!

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)