भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
राम एक अच्छा लड़का था। वह अपने माता-पिता एवं छोटी बहन के साथ रहता था। उसे पढ़ने-लिखने का शौक था, पर वो सिर्फ चॉकलेट खाता था, एक दिन रविवार को दोपहर के दिन उसे एक अजीब-सी चॉकलेट की दुकान मिली। उसने वहाँ से एक चॉकलेट का बॉक्स खरीदा, पर उसमें केवल एक ही चॉकलेट देख कर वह उदास हो गया। झट से उसने उस चॉकलेट को मुंह में डाल लिया, यह बहुत ही स्वादिष्ट था। अगले दिन कुछ अजीब-सी चीजें घटने लगी। राम जो भी चीज मुंह में लेता वो चॉकलेट में बदल जाती, जैसे- गिलास, पानी, दूध, ब्रश…. वगैरह सब चॉकलेट में बदल गया! यह एकदम जादुई था! राम बहुत ही खुश था। परंतु बहुत जल्दी यह सब एक अभिशाप में बदल गया। स्कल में राम की पेंसिल चॉकलेट में बदल गई, अब राम बहुत घबरा रहा था।
उसने ये सारी बातें अपने माता-पिता को बताई। वो उसे डॉक्टर के पास ले गये, डॉक्टर ने कहा- राम चोकोलिसट नामक बीमारी से गुजर रहा है। उन्होंने उसे कुछ दवाइयां दी, पर वो भी चॉकलेट में बदल गई। यह देखकर राम की माँ रो पडी, जब राम उनके पास जाकर उनके गाल को छूता है तो वो भी चॉकलेट में बदल जाती हैं। अब राम बुरी तरह घबरा जाता है और रोने लगता है, तभी उसे कुछ याद आता है और वो उसी दुकान पर पहुँच जाता है, जहाँ से इस मुसीबत की शुरुआत हुई थी।
राम दुकानदार से सारी बातें बताता है और विनती करता है कि उसे अपनी माँ वापस चाहिए। दुकानदार राम को कहते हैं कि राम को चॉकलेट हमेशा के लिए छोड़नी होगी, तभी सब ठीक हो पाएगा, राम फौरन राजी हो जाता है क्योंकि उसे अपनी माँ चाहिए थी, चाकलेट नहीं। राम वापस आकर देखता है उसकी माँ बिलकुल ठीक हो जाती हैं। राम खुश हो जाता है और निर्णय लेता है कि वो कभी चॉकलेट को हाथ भी नहीं लगाएगा। दोस्तों हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी भी चीज की अति बुरी होती है, अतः बच्चों को सभी चीजें खानी चाहिए।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
