bheed do chhodo
bheed do chhodo

जापान में एक फकीर था नामहेन। एक आदमी उसके पास आया। वह अपनी पत्नी को छोड़ आया, मित्रें को छोड़ आया। वह संन्यासी होने आ गया। उसने नावहेन का दरवाजा खोला। माहेन अकेला बैठा है अपने मंदिर में।

वह युवक भीतर आया। वह कहता है-‘मैं सब छोड़कर आ गया हूँ। मुझे दीक्षा दे दें। मैं भी उसकी खोज करना चाहता हूँ जो प्रकाश उस फकीर ने नीचे से ऊपर तक देखा और कहा- ‘अकेले? अपने साथ की भीड़ बाहर छोड़कर आओ।’

उस युवक ने पीछे लौटकर देखा। उसके साथ कोई भी नहीं है। उसने कहा- “आप मजाक तो नहीं करते हैं? मैं बिल्कुल अकेला हूँ।” फकीर ने कहा- “पीछे मत देखो, पड़ोस में मत देखो, आँख बन्द करो, भीतर देखो।”

उस युवक ने आँख बन्द की और भीतर देखा। पत्नी को वह छोड़ आया है, वह खड़ी है। जिन मित्रें को वह छोड़ आया है, वह सब वहाँ खड़े हैं। वहाँ भीतर भीड़ पूरी मौजूद है।

उस फकीर ने कहा- “जाओ, सारी भीड़ छोड़ आओ। और अगर भीड़ छोड़ सको, तो यहाँ आने की कोई जरूरत नहीं_ क्योंकि मैं तुम्हारे लिए भीड़ वन जाऊँगा। भीड़ छोड़ दो और अकेले हो जाओ।”

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)