benaam phool
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भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

एक खूबसूरत बगीचे में किस्म-किस्म के खूबसूरत फूल थे और उनमें से कुछ बहुत प्रसिद्ध थे। हर फूल का कोई-न-कोई नाम था। उसी बगीचे में एक छोटे से बेनाम फूल का जन्म हुआ था। उस बगीचे में सिर्फ वह बेनाम थी, जिसे रोपा नहीं गया था अपितु वह अपने आप उग आई थी। अत्यंत उपेक्षित थी; न खाद, न पानी फिर भी सदा मुस्कराती रहती थी। जिस खुशी से लोग उन फूलों को देखने आते थे, इतनी खुशी से आजतक किसी ने उसकी ओर कभी नहीं देखा। उसकी दीन दशा देखकर खूबसूरत एवं प्रसिद्ध फूल हमेशा मजाक उड़ाया करते थे। कुछ फूल तो उससे अनजान थे क्योंकि उन्हें अपनी सुन्दरता पर बहुत घमण्ड था। लोग बगीचे में फलों की सुन्दरता तो देखते ही, साथ ही उन्हें सजाने के लिए खरीद कर ले जाते थे। उन्हें घरों में लगाने के लिए उनके पौधों को भी खरीदते।

इस तरह समय बीतता रहा, पर सब जानते कि समय सदा एक जैसा नहीं रहता। एक दिन बहुत जोर का तूफान आया और बड़े-बड़े वृक्षों के साथ बहुत सारे पौधों को अपने साथ उजाड़ गया। पूरा बगीचा तहस-नहस हो गया था। कई पौधे अपने सुन्दर-सुन्दर फूलों को खो चुके थे। कुछ पौधे अपने साथियों से बिछड़ने के कारण बहुत रो रहे थे। दूसरी ओर बेनाम फूल छोटी होने के कारण और दीवार के एक कोने में होने के कारण सुरक्षित थी। बगीचे की दुर्दशा और उनके दुख को देखकर उसे भी बहुत दुःख हुआ। पहले तो उसका जी चाह रहा था कि वह उन फलों से कहे- तम लोगों को अपने घमण्ड की सजा मिल गई। विनम्र स्वभाव होने के कारण उससे रहा नहीं गया और वह उन लोगों के पास बात करने चली गयी। उन लोगों ने मुझसे ये पूछा- तुम कौन हो?

बेनाम फूल थोड़ी देर चुप रही फिर बोली- मेरा कोई नाम नहीं है और ना ही मेरा कोई परिवार है। मैं अनाथ हूँ। मेरा जन्म यहीं हुआ है और बचपन से यहीं पली-बड़ी हूँ लेकिन मैं आप सब के सामने आज भी गुमनाम हूँ। आप लोगों का दु:ख मुझसे देखा नहीं गया इसलिए यहाँ आई हूँ। शायद मैं आपके कुछ काम आ सकूँ।

यह सुनकर कुछ पौधों को सुनकर बुरा लगा और कुछ बहुत शर्मिंदा हुए क्योंकि वे अकसर उसका मजाक उड़ाते थे। उन्होंने ये कहा, “हे फूल! तुम बहुत भाग्यशाली हो और दयालु भी।”

“मैं भाग्यशाली हूँ? कैसे?” बेनाम फूल ने आश्चर्यचकित होकर उनसे पूछा।

तब उन्होंने कहा- देखो, बेनाम होने के कारण कोई तुम्हें जबरदस्ती तोड़ के नहीं ले जाता। इस तूफान के बाद भी तुम आज खिल रही हो। हम तो एक ही मौसम में ढल जाते हैं लेकिन तुम्हें तो हमने हमेशा खिलते हुए देखा है।

फूलों की बात सुनकर उसने बहुत उत्सुकता से पूछा- क्या मुझे आप इतने सालों से देख रहे थे?

“हाँ”, पौधों ने सिर झुकाते हुए कहा।

“इतने दिनों में आप लोगों ने मुझसे बात क्यों नहीं की?” बेनाम फूल ने पूछा। इस बात पर पौधे ने बताया कि हम तुमसे इसलिए बात नहीं करते थे क्योंकि तुम बेनाम थी और हम लोगों से थोड़ा अलग भी। अब हमें समझ आ गया कि कोई केवल अपनी सुन्दरता के कारण छोटा-बड़ा नहीं होता बल्कि अपने गुणों से बड़ा होता है। हम बहुत शर्मिंदा हैं; कृपया हमें माफ कर दो। “कोई बात नहीं, मैंने तुम लोगों को माफ किया। अब हम सब दोस्त हैं,” बेनाम फूल ने प्यार से कहा।

जब फूलों के बीच बातचीत का सिलसिला चल ही रहा था, तब उनकी बात सुनकर सूरज बहुत जोर से मुस्कराया और उसने कहा- ठीक कहा। मेरे लिए हर एक पौधा एक समान है चाहे वो बड़ा हो या छोटा, नामी हो या बेनाम, पहचान हो या अनजान। मेरे लिए सब एक समान है। मैं सबको सामान रूप से रोशनी देता हूँ।

सूरज की बात सुनकर सारे फूल एक-दूसरे को देखकर बहुत जोर से खिलखिलाए। तूफान के बाद बादल छंट चुके थे। मौसम सुहावना हो गया था, चिड़िया चहचहा रही थीं और तितलियाँ फूलों पर मंडरा रही थीं।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’