Hindi Kahani: स्कूल के अंदर आने की इसे किसने अनुमति दी मुझे कई दिनों से यही बात परेशान कर रही थी। पहली बार जब ऐसे स्कूल के प्रांगण में उसे देखा तो लगा था शायद इसे पहले कहीं देखा है ।उसे देखकर हर किसी के मन में एक भय समा जाता था कि कहीं ये किसी का नुक़सान ना पहुंचा दे। बिखरे हुए बाल और पुराने फटे हुए कपड़े पहने वो इक्कीस बाईस साल की ही तो थी उसके पास ही एक चार साल की बच्ची बैठी नजर आती थी।
वो ना जाने क्या बड़बड़ाती रहती थी और उस बच्ची को समझाती रहती जो समझना मुश्किल था।
मैंने एक दिन प्रिंसिपल मैम से आखिर पूछ ही लिया…
“मैम इस पगली और इसकी बच्ची के इस तरह यहां रहने से तो हमारे स्कूल की प्रतिष्ठा पर असर पड़ेगा। ये दिन भर स्कूल के अंदर ही रहती है कभी किसी को नुक्सान पहुंचा दिया तो हम क्या करेंगे।”
“वो किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाएगी बहुत ही दुखियारी है, बहुत कष्ट झेले हैं उसने अपने अभी तक के छोटे से जीवन में। तुम्हें तो अभी कुछ ही महीने हुए हैं अपने इस स्कूल में नौकरी करते हुए।”
मुझे ध्यान से देखते हुए वो आगे बोली…
“निशा तुमने भी तो यहीं से 12वीं तक पढ़ाई की है ना। क्या तुम्हें अपने क्लास की सोनिया याद है।”
मैंने अपनी याददाश्त पर जोर डालते हुए कहा…
” मैम वही सोनिया शर्मा जो हमेशा फर्स्ट आती थी।”
“हां वही सोनिया।”
मुझे बात समझ नहीं आ रही थी कि मैं प्रिंसिपल मैम से इस पगली और उसके बच्चे के बारे में बात कर रही थी और वो सोनिया के बारे में क्यों बता रही थी।
पढ़ाई में बहुत ही होशियार थी वो और देखने में भी बहुत सुंदर। कितनी हंसमुख थी और सबकी मदद करने को हमेशा तैयार रहती थी। उसका वो मुस्कुराता चेहरा मेरी नज़र के सामने आ गया।
“तुम्हें शायद आश्चर्य होगा ये वही सोनिया है।”
मेरे पैरों तले जमीन खिसकती नजर आने लगी मुझे।”क्या?” मेरे मुंह से इतना ही निकला और मैंने कुर्सी को कसकर पकड़ लिया।
“हां निशा यह वही सोनिया है। इस स्कूल में इसके प्राण बसते हैं। हम इसे यहां से निकाल नहीं सकते। मैंने कोशिश की है कई बार। एन जी ओ वालों से भी बात की वो इसे यहां से ले जाते हैं ये फिर थोड़े दिन में वहां से भाग आती है। इसके इलाज की भी कोशिश की पर ये यहां से जाने का नाम ही नहीं लेती। किसी को तंग नहीं करती है। मुझसे तो बहुत अच्छे से बात करती है कभी कभी। वो अपनी बच्ची को इसी स्कूल में पढ़ाना चाहती है। हम इसके और बच्चे के लिए खाने पीने का इंतजाम कर देते हैं।”
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“मैम इसके साथ ऐसा क्या हुआ जो इसकी ऐसी हालत हो गई। मुझे बिल्कुल विश्वास ही नहीं हो रहा यह वही सोनिया है।”
“बहुत ही दुख भरी दास्तां है इसकी। तुमको पता है इसकी चाची ने तो इसे पहचानने से भी मना कर दिया। मां तो इसे जन्म देते ही चल बसी थी और पिता भी ना जाने कहां चला गया जो कभी लौट कर आया ही नहीं। इसके चाचा रामलाल जो इसी स्कूल के आगे आइस्क्रीम का ठेला लगाते थे उन्होंने इसको पालने की जिम्मेदारी तो उठाई पर इसकी चाची इस पर बड़ा जुल्म ढाती थी। हमेशा मार पीट गाली गलौज तो करती ही थी और घर का सारा काम इससे ही करवाती थी।”
“मैम पर ये इतना खुश कैसे रहती थी। हमें तो कभी इसने ये बातें बताई ही नहीं। इसको देखकर कभी नहीं लगता था कि इस पर इतना अत्याचार होता होगा।”
“हां बहुत दर्द समेटे है ये अपने में। भगवान ने इसके साथ बहुत अन्याय किया। रामलाल के साथ ये स्कूल के बाद उसके काम में भी मदद करवाती थी। एक दिन जब वो बीमार था तब ठेला लेकर घर जाते समय कुछ आवारा लड़कों की गंदी नज़र इस पर पड़ गई उन्होंने आइस्क्रीम लेने के बहाने इसके साथ छेड़खानी शुरू कर दी। इसने जब इंकार किया तो इसे जबरन उठाकर सूनसान जगह पर ले जाकर इसके साथ दुष्कर्म किया। उसी के बाद से इसकी ऐसी हालत हो गई। देर रात तक जब ये घर नहीं पहुंची तब चाचा चाची इसे ढूंढते हुए उस जगह पहुंच गए जहां उनका ठेला तोड़ कर फैंका हुआ था और वहीं ये क्षत विक्षहालत में अर्द्धनग्न थी। उसके चाचा को वहीं हार्ट अटैक आ गया और उसकी मौत हो गई।चाची इसे ही कसूर वार समझ रही थी अपने पति की मौत का। कुलक्षिणी मनहूस जन्मते ही मां को खा बसी, पिता का अता पता नहीं और जिसने पाला पोसा उसकी मौत का कारण बनी। अब ना जाने किसके साथ मुंह काला करके बैठी है, इसके कारण मेरी बच्चियों की शादी भी नहीं होगी।
कुछ महीनों बाद इसे स्कूल में ऐसी हालत में देखा तो मैंने जानने की कोशिश की तब पता चला। उस समय ये मां बनने वाली थी।”
मेरी आंखें भर आईं सोनिया की दास्तां सुनकर। मैं प्रिंसिपल रूम से निकल उस जगह खड़ी थी जहां सोनिया अपनी चार साल की बच्ची को गोद में बिठा कॉपी पैंसिल पकड़ा कर पढ़ा रही थी ।
