aakarshan
aakarshan

Hindi Story: बनवारी लाल अपने ही ख़्यालों में खोया हुआ घर की खिड़की से बाहर एक औरत को एकटक देख रहा था। अचानक पीछे से उसकी पत्नी ने आवाज देते हुए कहा कि सुबह-सुबह किस से आंख-मटक्का हो रहा है। पत्नी की कड़कदार आवाज सुनते ही मानों कि बनवारी लाल पर घड़ों पानी पड़ गया हो। पहले तो बनवारी ने चिकनी-चुपड़ी बातें करके बात को टालने की कोशिश की, लेकिन जब पत्नी के सामने कोई दाल नहीं गली तो उसने कहा कि वो सामने बस स्टैंड पर खड़ी एक सुंदर-सी औरत मुझे हंस कर देख रही है। बनवारी की पत्नी ने खिड़की में से देखने के बाद कहा कि वो तुम्हें हंस कर नहीं देख रही बल्कि तुम्हारी हरकतों को देख कर हंस रही है। बनवारी ने आगे सफ़ाई देते हुए कहा- ‘नहीं-नहीं ऐसी बात नहीं है यह औरत तो रोज मुझे स्माइल देती है।’ पत्नी ने कहा- ‘ध्यान से देखो वो तुम्हें स्माइल नहीं दे रही। मैंने भी जब तुम्हें पहली बार देखा था तो में भी बहुत देर तक अपनी हंसी नहीं रोक पाई थी।’

वैसे मुझे एक बात समझ नहीं आती कि तुम्हें अब इस उम्र में लड़कियों को देखने का यह कौन-सा नया चस्का लग गया है। पत्नी ने माथे पर हाथ मारते हुए कहा- ‘हे भगवान, तूने मेरी किस्मत में ऐसा क्या लिखा है जो इस तरह के निठ्ठले आदमी के चंगुल में फंसा दिया है।’ बनवारी लाल ने पत्नी से कहा कि एक तो मेरी किस्मत मेरा साथ नहीं दे रही जो कई सालों से घर में खाली बैठा हुआ हूं। उस पर तुम मेरे घावों पर मरहम लगाने की बजाए कम से कम इस तरह नमक तो न छिड़को। बनवारी लाल की पत्नी ने उससे कहा कि अब यदि तुम एक अक्षर भी और बोले तो मैं अभी तुम्हें तलाक देकर हमेशा-हमेशा के लिये अपने मायके चली जाऊंगी। बनवारी लाल ने इस बात को भी मज़ाक में लेते हुए कहा कि क्यूं इस तरह की मीठी-मीठी बातें करके झूठ में मेरा दिल खुश करती रहती हो।

इससे पहले की बात का रुख और बिगड़ता बनवारी लाल ने अपना आवाज नरम करते हुए कहा कि मैं तो अपनी तरफ से भरपूर कोशिश करता हूं कि मैं भी अपना कोई अच्छा-सा काम-धंधा करके घर के लिये अधिक से अधिक पैसा कमा सकूं। इतना सुनते ही बनवारी की पत्नी ने और अधिक भड़कते हुए कहा कि तुम्हारे लिये तो जिंदगी में सब कुछ पैसा ही है, तुम्हारी नज़रों में मेरी तो कोई कीमत है ही नहीं। बनवारी ने फिर से उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि तुम क्या जानो कि आज के समय पर हर चीज पैसे पर ही टिकी हुई है। यह घर, सारा सामान सब कुछ पैसे से ही तो आता है। बनवारी की पत्नी ने आंखें मटकाते हुए कहा कि इतना तो मैं भी समझती हूं क्योंकि मैं भी यदि आज तक तुम्हारे यहां टिकी हुई हूं तो सिर्फ पैसे की वजह से ही टिकी हूं। लेकिन एक बात बताओ कि तुम दूसरे मर्दों की तरह कहीं भी एक जगह टिक कर कामकाज क्यूं नहीं करते?

इस बात पर बनवारी ने लंबी सांस लेकर गंभीरता से सोचते हुए कहा कि तुमने यह बात तो बिल्कुल ठीक कही है। लेकिन मैंने न जाने आज तक इस बात को इतनी गंभीरता से क्यूं नहीं लिया। मेरे मन में शुरू से ही अधिक से अधिक पैसा कमाने की लालसा थी। कॉलेज की पढ़ाई खत्म करते-करते मैंने देखा कि कॉलेज के प्रोफेसर को बहुत अच्छी तनख्वाह मिलती है तो मैंने प्रोफेसर बनने की सोच ली। कई सालों तक मैं दिन-रात हर विषय की किताबें पढ़ता रहता था, लेकिन लाख कोशिश करने पर भी मुझे किसी कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी नहीं मिली। फिर इसी दौरान मेरी मुलाकात एक संगीतज्ञ से हुई। उसके कुछ कार्यक्रम देखने पर मैंने यह पाया कि इस धंधे में पैसे के साथ नाम और प्रतिष्ठा दोनों ही आसानी से मिल सकती है तो मैंने अपनी सारी पूंजी और समय संगीतकार बनने में लगा दिया। यहां भी मेरी किस्मत ने मेरा साथ नहीं दिया और कई बरसों बाद मैंने पाया कि मैं जहां से चला था, अभी वहीं खड़ा हुआ हूं।

अब क्यूंकि मेरे मन को दिन-रात अमीर बनने के सपने देखने की आदत-सी हो गई थी तो मैं हर समय ऐसे मौके तलाशने लगा जहां से आसानी से पैसा कमाया जा सके। इन्हीं दिनों सरकार ने चुनावों की घोषणा कर दी। छोटे-बड़े सभी नेता चुनावों में जीत के लिये हर किसी को रंगीन ख्वाब दिखाने लगे। मेरी भी मुलाकात अपने इलाके के एक ऐसे नेता से हो गई जिसे चुनावों के दौरान एक अच्छे पढ़े-लिखे आदमी की सख्त जरूरत थी। मैंने जो भी शर्तें उनके सामने रखी उन्होंने आंखें मूंद कर उन्हें स्वीकार कर लिया। नेता जी के साथ काम करते-करते मुझे लगा कि अब मंजिल मेरे बहुत करीब है। चुनावों के दौरान नेता जी ने एक बढ़िया-सी कार और हर प्रकार के खाने-पीने का अच्छे से इंतजाम करवा दिया। कुछ ही दिनों में चुनावों के नतीजे आये और हमारे नेता जी चुनाव हार गये। कल तक दूसरों को गाड़ियों की सैर करवाने वाले नेता जी आजकल खुद एक पुराने से स्कूटर पर आते-जाते दिखाई देते हैं। अब आखिर में तंग आकर मैंने अपना व्यापार करने की ठानी है। लेकिन कई बार कोशिश करने पर भी कोई धंधा ठीक से नहीं चल पा रहा तो ऐसे में मैं क्या करूं?

बनवारी लाल की पत्नी ने यह सारी गाथा सुनने के बाद अपने पति से कहा कि एक बात जो मुझे समझ आ रही है वो यह है कि आपने कभी भी अपने जीवन को महत्त्व नहीं दिया तो ऐसे में दूसरे लोग आपको क्या महत्त्व देंगे? आपका मन अभी तक अतीत के बंधनों तथा बीती हुई बातों में उलझा हुआ है। जब तक आप उसे नहीं भूलेंगे उस समय तक आप वर्तमान का आनन्द अनुभव नहीं कर सकते। गलती तो कोई भी मनुष्य कर सकता है, किन्तु उस पर दृढ़ केवल मूर्ख ही होते हैं। सीखने वाले तो अपनी हर भूल से कुछ न कुछ जरूर नया सीखते हैं। हर समय केवल भाग्य के सहारे बैठे रहने वाले को कभी कुछ नहीं मिलता और उसे हर हाल में पछताना ही पड़ता है। बनवारी लाल जी की पत्नी की सलाह सुनकर तो जौली अंकल को भी ऐसा प्रतीत होने लगा है कि जो व्यक्ति प्रत्येक कार्य को सच्ची लगन से करते हैं, उनके कर्मों पर पूर्ण विश्वास की अमिट छाप अंकित हो जाती है। हमारी यह दुनिया बहुत बड़ी है, यहां हर दिन कोई न कोई नई चीज हमें अपनी ओर आकर्षित करती रहती है। परंतु जो कोई अपने स्वभाव को सरल बना कर खुद पर नियंत्रण रखना सीख लेते हैं वो किसी भी चीज की ओर आकर्षित होने की बजाए खुद हर किसी के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। जीवन की लम्बाई नहीं गहराई मायने रखती है।