Hindi Story: मांगेराम खाना खाकर जैसे ही सोने के लिये अपने कमरे में जाने लगे तो उनकी पत्नी ने कहा कि आप अभी नहीं सो सकते। मांगेराम ने कहा कि मैं सारा दिन दौड़-भाग करके थक जाता हूं, अब इससे अधिक और जागने की हिम्मत मुझ में नहीं है। लेकिन उनकी पत्नी ने शिकायत भरे लहजे में कहा कि सुबह आपको दुकान पर जाने की जल्दी होती है, शाम को आप थके हुए घर लौटते हो।
आप मुझे एक बात बताओ कि यदि मैंने आप से कोई बात करनी हो तो किस समय करूं? मरता क्या न करता। मांगेराम वफादार पति की भांति पत्नी के सामने सिर झुका कर बैठ गये और बोले-‘जो रामायण सुनानी है जल्दी से सुनाओ।’ मांगेराम की पत्नी ने कहा कि घर में रामायण सुनने-सुनाने का नहीं महाभारत का माहौल बन रहा है। एक आप हो कि सब कुछ देखते-सुनते हुए भी न जाने क्यूं अनजान बने रहते हो। मांगेराम ने कहा कि मुझ से यह पहेलियों वाली भाषा में तो बात करो मत। जो कुछ भी कहना है सीधे कहो। मांगेराम की पत्नी ने कहा कि बिरादरी वाले हमारे बाबूजी के बारे में क्या-क्या बातें कर रहे हैं, तुम्हें उसकी कुछ खबर है या नहीं। मांगेराम को कहना पड़ा कि मैं कोई ज्योतिषी तो हूं नहीं जो तुम्हारे दिल की बात बिना कुछ कहे ही जान लूंगा।
अब धर्मपत्नी जी ने साफ-साफ कहना शुरू किया कि तुम अपने बाबूजी को कुछ समझाते क्यूं नहीं। मांगेराम ने कहा कि यह तुम क्या कह रही हो, वो उम्र में मुझ से बड़े होने के साथ बहुत अधिक समझदार है। भला मैं उन्हें किसी बात के लिये कैसे समझा सकता हूं। मांगेराम की पत्नी ने कहा कि तुम कसम खाकर कहो कि तुम बाबूजी के इरादों के बारे में कुछ नहीं जानते। मांगेराम ने कहा कि मुझे एक बात समझ नहीं आ रही कि तुम अपने दिल की बात साफ-साफ क्यूं नहीं कहती। अब पत्नी ने कहा कि सारे मुहल्ले में अफवाह है कि हमारे बाबूजी दूसरी शादी कर रहे हैं। आप जल्दी उनसे मिल कर सारी बात साफ करो। मांगेराम ने कहा-‘मैंने कुछ दिनों पहले ही इस बारे में उनसे बात की थी और उन्होंने मुझे कहा था कि बेटा तुम फिक्र मत करो, समय आने पर कोई अच्छी-सी लड़की देख कर तुम्हारी भी दूसरी शादी करवा दूंगा। मांगेराम की पत्नी ने कहा कि ना तो इस समय मैं मजाक के मूड में हूं और न ही यह मज़ाक का मुद्दा है। पत्नी के बार-बार एक ही रट दोहराये जाने पर मांगेराम को कहना पड़ा कि तुम तो खामख्वाह लोगों की सुनी-सुनाई बातों को लेकर तिल का ताड़ बना रही हो। हमारे पिताजी बहुत ही सुलझे हुए व्यक्ति है वो इस तरह की बेवकूफी भरी कोई भी हरकत नहीं कर सकते।
जब श्रीमती जी सारी रात यही राग अलापती रही तो सुबह मांगेराम ने हिम्मत करके अपने पिता से सच्चाई जानने की कोशिश की। कुछ देर तक तो पिता ने घर में कहासुनी से बचने के लिये बात को टालने की कोशिश की। परंतु जब पति-पत्नी अपनी जिद्द के चलते टस से मस नहीं हुये तो बाबूजी ने जवाब देते हुए अपने बेटे से कहा कि अपनी बीवी के सामने तो तू हर समय भीगी बिल्ली बना रहता है। आज मुझे आंखें दिखा कर यह कैसी धमकी दे रहा है। मांगेराम ने कहा-‘पिताजी मैं आपसे बहस तो करने नहीं आया, आप एक बार ठीक से बता दे कि गली-मुहल्ले में आपकी शादी को लेकर जो अटकलें सुनने में आ रही है, उसकी हकीकत क्या है?’ इससे पहले कि बाबूजी कुछ बोलते, मांगेराम की बीवी ने कहा-‘अब कुछ भी छिपाने से काम नहीं चलेगा क्यूंकि मेरे पास आपके कारनामों का सारा कच्चा चिट्ठा मौजूद है।’ पिताजी ने अपने क्रोध पर काबू रखते हुए अपने बेटे से कहा कि यह क्या बिना सिर-पैर की बातें कर रहे हो। हां यह सच है कि अकेले रहते हुए इतना थक चुका हूं कि मुझे भी एक ऐसे दोस्त की जरूरत महसूस होती है जिसके साथ मैं अपने दुःख-सुख के चंद पल बांट सकूं।
मांगेराम ने कहा कि कल तक तो आप दूसरों को यही समझाते थे बीबियां तो हमेशा दुःख और परेशानी का कारण होती हैं। आपको याद ही होगा कि आपने ही कहा था कि रावण के बुरे दिन उस समय शुरू हो गये थे जब वो दूसरे की पत्नी को घर लाया था। बाली ने सुग्रीव की पत्नी को जब रख लिया तो राम ने उसे मार डाला था।
राम को अपनी पत्नी वापिस लेने के लिये महायुद्ध करना पड़ा था। आपने यह भी कहा था कि यह सब कुछ इसलिये हुआ क्योंकि दशरथ ने तीन शादियां करने की गलती की थी। आज अपने परिवार के ऊपर कीचड़ उछालते समय आपने एक बार भी नहीं सोचा कि समाज में हमारी कितनी किरकिरी होगी। अब आपकी उम्र ही कितनी बची है जो आप यह गुल खिलाने निकले हो।
पिता ने बड़े ही धैर्य से अपने बेटे से कहा कि तुम लोगों में कमी यह है कि तुम किसी भी बात को समझते कम हो और उससे पहले उसे समझाने की कोशिश करने लगते हो, नतीजतन तुम सुलझने की बजाए उलझते अधिक हो। बेटा तुम्हें हर समय पैसा कमाने से फुर्सत नहीं और तुम्हारी बीवी को अपने रिश्तेदारों के सिवाए कोई दूसरा व्यक्ति दिखाई नहीं देता। तुम्हारे बच्चे जो मुझ से कहानी सुनने के चक्कर में सारी रात सोने नहीं देते थे, आज उनके पास राम-राम कहने का भी समय नहीं है। मुझे बताओ कि घर की दीवारों से बातें करके जिंदगी कैसे गुजारूं? जहां तक रही दूसरी शादी की बात तो ऐसा कुछ नहीं है जैसा कि तुम सोच रहे हो। हां सुबह-शाम पार्क में सैर करते हुए कभी-कभार एक हमउम्र औरत से जरूर थोड़ी देर बातचीत कर लेता हूं। आप लोगों को तो हमेशा उन्हीं के करीब रहना अच्छा लगता है जो आपको खुश रखते हैं। लेकिन आज तक तुमने एक बार भी उन लोगों के साथ बैठने के बारे में नहीं सोचा जो तुम्हारे बिना खुश नहीं रह पाते।
बाबूजी की कड़वी परंतु सच्ची बातें सुन कर जौली अंकल मांगेराम को इतनी ही हिदायत देना चाहते हैं कि सुनो सभी की। परंतु अपने मां-बाप की सबसे अधिक इज्जत करना क्योंकि यही वो लोग हैं जो तुम्हारी हर जीत के लिये सब कुछ हारते रहे हैं और तुम्हारे हर दुःख में बिना आवाज दिये भी सहारे के लिये खड़े हुए हैं। इसलिये कभी भी बिना जांच-परख किये अपने किसी बुजुर्ग पर दूसरी शादी जैसे बेबुनियाद आरोप मढ़ने की आदत को सदा के लिये भूल जाओ। अपना मुंह खोलने से पहले अपना दिमाग खोलें।
ये कहानी ‘कहानियां जो राह दिखाएं’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं–
