बचपन में अक्सर पिताजी मेरे बड़े भाई से कहा करते थे, ‘पढ़ोगे-लिखोगे तभी अच्छे दिन आएंगे। उस समय मुझे ये समझ ही नहीं आता था कि अच्छे दिन का पढ़ाई से क्या मतलब है। मेरे बड़े भैया ने जब पढ़-लिख कर नौकरी कर ली तब  उनकी शादी की लिए बात चल रही थी। एक दिन जब लड़की वाले भैया को देखने आए तब मैंने हंसते हुए कहा, ‘तो इसे कहते हैं, अच्छे दिन। अरे पापा, अब तो मैं अभी से पढ़ाई में जुट जाती हूं। मेरी बात पर सब हंसने लगे। आज जब भी मैं पुरानी बात याद करती हूं, तब मन में गुदगुदी सी होने लगती है।