बात बहुत पुरानी है, उस समय मैं चार साल की थी। एक दिन मम्मी मुझे सीता मैया की कहानी सुना रहा थी। उन्होने बताया कि एक दिन राजा दशरथ हल चला रहे थे कि उनका रथ एक घड़े से टकरा गया तो घड़े में से एक सुंदर कन्या सीता माता का जन्म हुआ। यह सुनकर मैं अपनी जिज्ञासा रोक न सकी और मैंने पूछा कि मम्मी मैं कैसे पैदा हुई थी। इस पर वे बोलीं कि बेटा तुम्हे भगवानजी ने मेरे पेट में डाल दिया था। एक दिन जब मैं सोई हुई थी तो डॉक्टर साहब ने आकर चाकू से मेरा पेट काटकर तुम्हें बाहर निकाल लिया। कुछ महीनों बाद मैंने देखा कि मम्मी का पेट काफी बड़ा हो गया है। मैंने पड़ोस की आंटी से पूछा कि मम्मी का पेट बड़ा क्यों हो गया है तो उन्होंने कहा कि बेटा तुम्हारे घर भैया आने वाला है। मैं तो बहुत खुश हो गई। एक दिन मम्मी सोई हुई थीं। भैया को देखने की उत्सुकतावश मैं रसोई से चाकू लाई और सोचा कि डाक्टर अंकल की तरह मैं ही मम्मी का पेट काटकर भैया को निकाल लूंगी। यह सोचकर जैसे ही मैंने चाकू मम्मी के पेट पर रखा, वो चाकू की आहट से तुरंत जाग गईं। मम्मी कुछ कहतीं इससे पहले ही मैं बोली कि मम्मी चाकू से तुम्हारा पेट काटकर मैं भैया को बाहर निकाल रही थी। मेरे इतना कहते ही मेरी नासमझी पर मम्मी खूब हंसी। आज भी इस घटना को याद करके घर में सब लोग खूब हंसते हैं।
 
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