देश में लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिग का अच्छे से पालन  किया गया लेकिन इस स्थिति में कुछ लोग समस्या के बाद भी अस्पताल जाने से घबराये । जिससे समस्या अधिक गंभीर हो गयी। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ लोग घर के काम पहली बार कर रहे हों। लॉकडाउन के दौरान लोग 2 तरह की समस्या का सामना करना पड़ा , पहला फुट और एंकल की आम समस्याएं और दूसरी वे समस्याएं जो इन समस्याओं को बढ़ावा दे सकती हैं।  इन समस्याओं से बचने के लिए इनके लक्षणों की जानकारी रखना आवश्यक है।

आम समस्याएं

फुट और एंकल से संबंधित ऐसी कई समस्याएं हैं जिनका व्यक्ति लॉकडाउन के दौरान अनुभव कर सकता है। ऐसे में व्यक्ति को डॉक्टर के पास कब जाने की आवश्यकता है, इसका ज्ञान होना जरूरी है। इनमें सबसे आम समस्या जो लगभग हर व्यक्ति को परेशानी करती है, वह है एंकल स्प्रेन यानी कि टखनों में मोच।

1.    एंकल स्प्रेन: वेस्टर्न देशों में यह समस्या ज्यादातर स्पोर्ट्स के कारण लगती है लेकिन भारत में यह समस्या खराब रास्ते, गलत फुटवियर और ठीक से न चलने के कारण ज्यादा आम है। लगभग 96% मामलों में टखने में मोच लगने पर हड्डी बाहर की मुड़ जाती है। हालांकि, यह चोट बिना किसी सर्जरी के ठीक हो जाती है, लेकिन इसके लिए समय पर निदान कराना आवश्यक होता है।

ग्रेड 1: यदि मोच लगने के 24 घंटों में पैर में सूजन नहीं आती है तो यह समस्या ग्रेड 1 के अंतर्गत आती है। इसमें टखने के केवल एक लीगामेंट में खिचाव आता है जिसके कारण इसके लिए बाहरी इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। यह टखने में मोच की सबसे आम समस्या होती है जिसे घरेलू उपायों से ठीक किया जा सकता है।

ग्रेड 2: ग्रेड 2 में मरीज को चलने में मुश्किल, सूजन और घाव की समस्या होती है। ऐसी समस्या होने पर व्यक्ति को खुद ही समझ आ जाता है कि उसे मेडिकल चेकअप की जरूरत है या नहीं। यदि टखने को छूने पर भी दर्द होता है तो एक्स-रे कराना जरूरी हो जाता है। लेकिन यदि दर्द हड्डी के आसपास होता है तो वह घर पर भी ठीक हो सकता है।

ग्रेड 3: इस स्टेज में चोट के तुरंत बाद बहुत ज्यादा सूजन और अत्यधिक दर्द होता है। 2 या अधिक लीगामेंट्स में क्षति के कारण मरीज का चलना मुश्किल हो जाता है। उसे ऐसा महसूस होता है जैसे उसका टखना निकलकर बाहर आ जाएगा। ऐसे में समय पर एक्स-रे कराना आवश्यक होता है। एक्स-रे की रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर पैर में प्लास्टर करेगा या एंकल ब्रेसेज़ लगाएगा।

मोच की सबसे आम समस्या

घर के काम करते वक्त लगी चोट के अधिकतर मामले ग्रेड 1 या 2 के अंतर्गत आते हैं जिनका घर पर ही इलाज किया जा सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे नज़रअंदाज किया जाए। दरअसल जब एक बार कहीं चोट लग जाए तो वहां बार-बार चोट लगने की संभावना रहती है जिसके कारण समस्या बढ़ सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति आर्थराइटिस का शिकार हो सकता है।

घरेलू इलाज

एंकल स्प्रेन को ठीक करने के लिए सबसे आसान घरेलू उपाय राइस (आरआईसीई) तकनीक है:

रेस्ट यानी कि आराम: चोट जल्द से जल्द ठीक हो जाए इसके लिए पार्यप्त समय के लिए आराम करना आवश्यक होता है। हालांकि, चोट की स्टेज के आधार पर आराम का समय भिन्न हो सकता है। ग्रेड 1 में 5-6 दिनों का आराम, ग्रेड 2 में 1-2 हफ्तों का आराम और ग्रेड 3 में लगभग 3 हफ्तों का आराम पर्याप्त है। यहां आराम का अर्थ हर वक्त पड़े रहना नहीं है बल्कि खराब रास्तों पर चलने से बचना है।

आइसिंग यानी कि बर्फ की सिकाई: दिन में 3-4 बार 15-20 मिनट तक बर्फ से सिकाई करने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है। बर्फ को किसी तौलिया में बांधकर कुछ देर के लिए चोट की सिकाई करें। लेकिन यहां भी सावधानी जरूरी है क्योंकि गलत तरीके के कारण कई लोगों को स्किन बर्न की शिकायत हो चुकी है।

कंप्रेशन यानी कि दबाव: प्रभावित स्थान पर क्रीप बैंड बांधने से आराम मिलता है। आराम के वक्त आप इसे उतार सकते हैं। इससे मोच, घाव, दर्द और सूजन जल्दी ठीक होने लगेगी।

एलिवेशन: जब आप बिस्तर पर लेटे हों तो अपने पैर को दो तकियों के ऊपर रखें। इससे सूजन जल्दी ठीक हो जाएगी। घावों को देखकर परेशान न हों क्योंकि उन्हें ठीक होने में 5 दिनों का समय लग सकता है।

2.    एड़ियों में दर्द: यह फुट और एंकल की दूसरी सबसे आम समस्या है। एड़ियों में होने वाला दर्द दो प्रकार का होता है लेकिन लोग अकसर इनमें फर्क नहीं कर पाते हैं।

·         प्लांटर फेसिआईटिस: 90% लोगों के पैरों के नीचे दर्द होता है। इस स्थिति को प्लांटर फेसिआईटिस कहते हैं।

एड़ियों में होने वाला यह दर्द सबसे गंभीर तब होता है जब व्यक्ति सुबह सोकर उठता है या आराम कर के उठता है। कुछ देर चलने के बाद जब व्यक्ति आराम के लिए बैठता है उस वक्त भी यह दर्द महसूस होता है। आमतौर पर यह समस्या मध्य आयु वर्ग के लोगों को ज्यादा होती है जो मोटे होते हैं या बहुत अधिक और भारी एक्सरसाइज करते हैं या बिना स्ट्रेचिंग के बहुत ज्यादा वॉक करते हैं। जो लोग रुमेटॉयड आर्थराइटिस, सोरियासिस या इरीटेबल बाउल की बीमारी से ग्रस्त होते हैं उनमें भी इस समस्या का खतरा ज्यादा होता है।

रुटीन एक्सरसाइज जैसे कि काल्फ मसल, प्लांटर फेसिया और अंगूठे की स्ट्रेचिंग और बर्फ से पैर की सिकाई से प्लांटर फेसिआईटिस की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इस प्रकार आपको फिजियोथेरेपिस्ट के साथ ज्यादा वक्त नहीं बिताना पड़ेगा और साथ ही इसके लक्षणों से भी 5-6 हफ्तों में आराम मिल जाएगा।

·         स्ट्रेच फेक्चर: बचे हुए 10% मामलों में एड़ियों में दर्द के लक्षण प्लांटर फेसिआईटिस से अलग होते हैं। इसमें दर्द तब होता है जब आप चलना शुरू करते हैं जो सामान्य गतिविधियों से बढ़ सकता है। इसके कारणों में विटामिन डी और कैल्शियम में कमी एवं पुअर बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी) आदि शामिल हैं। इसके अलावा एड़ी की हड्डी में ट्यूमर, संक्रमण के कारण दर्द और बैक्सटर नसों में दबाव आदि कुछ अन्य कारण भी शामिल हैं।

एंकल स्प्रेन

input–डॉक्टर प्रदीप मुनोट, ऑर्थोपेडिक सर्जन एवं पोडियाट्रिस्ट, मुंबई नी फुट एंड एंकल क्लनिक, मुंबiई

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