बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी, बदन दर्द आदि वायरल बीमारियां होना आम बात है, विशेष सर्दियों के मौसम में लेकिन कुछ छोटे-मोटे उपायों और सावधानियों से हम इन बीमारियों से बच सकते हैं-
नाक बंद हो जाना या बहना
सर्दी-जुकाम होने पर सबसे विकट समस्या होती है नाक-बंद हो जाने की। ऐसा नाक के अंदर की झिल्ली व अन्य ऊतकों में सूजन हो जाने से होता है, जिससे नाक के अंदर सांस लेने की जगह कम हो जाती है। नाक बंद होने के कारण बेचैनी होने लगती है। औषधियुक्त भाप लेने से बंद नाक और गले में खराश से राहत मिलती है। बंद नाक या नाक से अत्यधिक पानी बह रहा हो तो गर्म पेय पदार्थ लें। अदरक की चाय, तुलसी का काढ़ा, सूप, हल्दी आदि गर्म पेय-पदार्थ भी सर्दी-जुकाम में काफी राहत देते हैं। इससे खांसी में भी आराम मिलेगा। यदि नाक से पानी गिर रहा हो तो नोजल ड्रॉप ले सकते हैं। तीखा और तेज मसालेदार भोजन लेने पर भी जुकाम की वजह से बहती हुई नाक की समस्या से निजात पा सकते हैं।

अधिक छींक आना
सर्दी-जुकाम होने का एक अन्य आम लक्षण है अधिक छींक आना। संक्रमण की प्रारम्भिक दशा में नाक की संवेदनशील झिल्ली में सरसराहट-सी महसूस होती है। एलर्जी होने की स्थिति में तो इन छींकों की संख्या एक बार में बीस-पच्चीस तक हो सकती है। छींकते-छींकते व्यक्ति बेहाल-सा हो जाता है। छींक आने का जोर एकाएक धूल, मसालों की गंध या कपड़े के रोंए आदि के सम्पर्क में आने से हो सकता है। इसका संबंध तापमान के उतार-चढ़ाव से भी होता है, जैसे- सोते समय शरीर का तापमान कुछ और होता है तथा आंख खुलने पर तापमान में परिवर्तन आते ही एकाएक छींक आने लगती है। कमरे के अंदर और कमरे के बाहर के तापमान में अंतर आने पर भी छींक आती हैं। बदलते मौसम में नहाने के बाद या ठंडा पानी पी लेने भर से ही या धूप में, छांह में आने पर भी यह प्रक्रिया शुरू हो सकती है। ऐसे व्यक्तियों में नाक के अंदर के ऊतक इसने संवेदनशील हो जाते हैं कि वह तापमान के उतार-चढ़ाव को सहन नहीं कर पाते हैं। ऐसे व्यक्तियों को चाहिए कि वे इस तरह के तापमान के परिवर्तन से बचें तथा मौसम बदलने पर विशेष सावधानी बरतें। छींक आने पर अगर ठंडे स्थान ऌपर खड़े हों तो गर्म स्थान पर चले जाएं। यदि ठंडे पानी से नहाने से ज्यादा समस्या होती हो, तो गर्म पानी से नहाएं। एकाएक बाहर से आने पर ठंडा या फ्रिज का पानी न पीएं। छींक आने की समस्या से निपटने के लिए एण्टी हिस्टामीन या एण्टी एलर्जिक दवायें बहुत उपयोगी होती हैं। इनके लेने से नाक के अंदर के ऊतकों की बढ़ी हुई संवेदनशीलता कम हो जाती है और वह तापमान के उतार-चढ़ाव को अधिक आसानी से झेल लेने में समर्थ हो जाती है। इन दवाओं के लेने से कुछ व्यक्ति अधिक सुस्ती या नींद-सी महसूस करते हैं। डॉक्टर ऐसे लोगों के लिए दवा की मात्रा उनके अनुसार तय कर देते हैं। जैसे, दिन में मात्रा कम व रात में अधिक ली जा सकती है। जिन लोगों को एण्टी हिस्टामीन दवायें लेने पर अधिक सुस्ती-सी महसूस हो, उन्हें ऐसी दवाएं लेने के बाद ऐसे कामों सें बचना चाहिए। जिससे कोई खतरा उत्पन्न हो-जैसे साईकिल या स्कूटर चलाना, बड़ी मशीनों के साथ काम करना, ऊंचाई पर चढ़ना या आग के पास काम करना आदि।

ज्वर, सिरदर्द व बदन दर्द
प्रारंभिक दशा में वायरस या फिर बैक्टीरियल संक्रमण से ज्वर हो जाता है। शरीर में इन जीवाणुओं के पनपने से बहुत से जहरीले पदार्थ उत्पन्न होते हैं, जो ज्वर पैदा करते हैं। फ्लू की स्थिति में सर्दी-जुकाम के सभी लक्षण अधिक तीव्र होते हैं। ऐसी दशा में तेज बुखार होता है तथा ठंड भी लगती है। पूरे शरीर में दर्द व ऐंठन-सी महसूस होती है। ऐसे में भरपूर आराम की जरूरत होती है। लक्षणों की अवहेलना करने से फेफड़ों में भी संक्रमण होने का डर रहता है। सर्दी-जुकाम के साथ सिर-दर्द होना आम बात है। ऐसा नाक के अंदर ऊतकों में सूजन हो जाने से होता है तथा नाक के चारों ओर जो खोखली जगह होती है, जिन्हें सायनस कहते हैं उनमें भी सूजन हो जाती है। नाक में डालने की दवाओं के प्रयोग से भी नाक के अंदर सूजन कम हो जाती है तथा नाक की खोखली हड्डियों में वायु आने-जाने लगती है और सिरदर्द में आराम होने लगता है। औषधियुक्त खौलते पानी की भाप लेने से भी आराम मिलता है।
अन्य शारीरिक समस्याएं
सर्दी-जुकाम होने पर गले में खराश होने लगती है। गले में जलन व सूखापन भी महसूस हो सकता है। गर्म पानी से गरारे करने तथा गर्म कपड़े से गले की सिंकाई करने पर राहत महसूस होती है। प्राय: देखा गया है, कि सर्दी-जुकाम होने पर कान भी बन्द हो जाते हैं। कानों में भारीपन व दर्द भी महसूस हो सकता है। नाक और कान के बीच में एक नलिका होती है, जिससे कान में हवा आती-जाती रहती है। सर्दी-जुकाम होने पर इस नलिका में भी सूजन हो जाती है, जो हवा के आने-जाने को अवरुद्ध कर देती है तथा कान में भारीपन महसूस होने लगता है। नाक का संक्रमण इस नली से कान में भी पहुंच जाता है, जिससे कान में दर्द होने लगता है।
सर्दी-जुकाम होने पर आराम करें। अधिक काम व थकान से बचना चाहिए। ऐसा करने से शरीर की अवरोधक क्षमता बनी रहती है और सर्दी-जुकाम जल्दी ठीक हो जाता है। ठंड से भी बचना चाहिए। ठंडा पानी, बर्फ व कोल्ड ड्रिंक्स न लें। खाने-पीने में गरम व तरल पदार्थ अधिक लेना चाहिए। आराम करने का कमरा साफ-सुथरा व हवादार हो। सारी सावधानियां बरतने पर सर्दी-जुकाम बिना कोई समस्या उत्पन्न किए स्वत: चला जाता है।
यह भी पढ़ें –नए गार्डनर को अपनाने चाहिए वेजिटेबल गार्डनिंग के ये 5 टिप्स
