ओवेरियन कैंसर के निदान में देरी का परिणाम-Ovarian Cancer Day
Ovarian Cancer Day

Ovarian Cancer Day: ओवेरियन कैंसर (डिंबग्रंथि का कैंसर) हर उम्र की महिलाओं को अपना शिकार बना सकता है। लेकिन, देखा गया है कि आमतौर से पोस्ट-मेनोपॉज़ल आयुवर्ग की महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित होती हैं। ओवेरियन कैंसर का डायग्नॉसिस प्रायः एडवांस स्टेज में हो पाता है, क्योंकि शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण दिखायी नहीं देते।

डॉ कविता विजयकुमार, एवीपी एंड लैब ऑपरेशंस, मैट्रोपोलिस हैल्थकेयर लिमिटेड, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना का कहना है कि एडवांस स्टेज का ओवेरियन कैंसर पेट में बेचैनी, पेट फूलना, थकान, वज़न बढ़ना, कब्ज, पेशाब संबंधी समस्याओं और गर्भाशय में असामान्य ब्लीडिंग जैसे गैर-विशिष्ट लक्षणों के रूप में सामने आता है। चूंकि ये लक्षण गैर-विशिष्ट होते हैं, इस वजह से अक्सर मरीज भी हैल्थकेयर प्रोफेशनल्स से परामर्श के लिए देरी से संपर्क करते हैं।

Also read: फेफड़ों, दिल,किडनी और आंतों को स्वस्थ रखने के लिए जरुरी टिप्स: Healthy Body Tips

Ovarian Cancer Day
Ovarian Cancer

फिलहाल शुरुआती स्टेज के ओवेरियन कैंसर का पता लगाने के लिए कोई ऐसा स्क्रीनिंग टेस्ट उपलब्ध नहीं है जिस पर आंख मूंदकर भरोसा किया जा सके। हालांकि कुछ सीरम CA125 और अल्ट्रासाउंड जैसी जांच से इस रोग को पकड़ पाना आसान होता है, बशर्ते मरीज शुरू में ही डॉक्टर से संपर्क करें। जब भी आपके नज़दीकी (फर्स्ट डिग्री) रिश्तेदार को ओवेरियन या ब्रैस्ट कैंसर हो तो जर्मलाइन म्युटेशन जैसे BRCA1 और BRCA2 म्युटेशनल एनेलिसिस का पता लगाने वाले स्क्रीनिंग टेस्ट उपलब्ध होते हैं।

दुनियाभर में, हर साल करीब 250,000 नए ओवेरियन कैंसर के मामले सामने आते हैं। डायग्नॉसिस में देरी की वजह से इलाज में देरी होती है। ओवेरियन कैंसर को डायग्नॉज़ करने के लिए फिलहाल टिश्यू डायग्नॉसिस सबसे सटीक तरीका है। इसके साथ ही, ओवेरियन कैंसर टाइप की पुष्टि करने के लिए अन्य कई जांच जैसे मॉलीक्यूलर टेस्टिंग आदि भी की जाती हैं। ओवेरियन कैंसर कई तरह के प्रॉग्नॉसिस के साथ भी दिखायी दे सकते हैं जो हिस्टोलॉजी और स्टेज पर निर्भर है।

ovarian cancer
The delayed diagnosis of ovarian cancer can have significant consequences. Ovarian Cancer Day, observed on 8th May

महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी तरह के कैंसर में, ओवेरियन कैंसर के मामले में पांच साल की सरवाइवल रेट सबसे कम है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, 60 साल से कम उम्र की महिलाओं में, ओवेरियन कैंसर का शीघ्र पता लगने पर इलाज किया जा सकता है जो कि क्लीनिकल आधार पर फायदेमंद होता है। शुरुआती स्टेज में, कुछ नई नॉन-इन्वेसिव उपचार विधियों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

अधिक उम्र की महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के डायग्नॉसिस के साथ-साथ अन्य कई रुग्णताएं भी सामने आती हैं। ऐसे मरीजों की तत्काल कोई बड़ी सर्जरी भी नहीं की जा सकती। पहले उन्हें सर्जरी और कीमोथेरेपी जैसी प्रक्रियाओं को सहन करने लायक बनाने के लिए शारीरिक रूप से तैयार करना जरूरी होता है।

यह भी देखा गया है कि ओवेरियन कैंसर से प्रभावित युवतियों, खासतौर से अविवाहित या विवाहित लेकिन जिनके पास बच्चे नहीं होते, महिलाओं का इलाज शुरू करने में अक्सर देरी होती है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे मनोवैज्ञानिक और सामाजिक तथा परिवार से आर्थिक सपोर्ट भी उपचार विकल्पों को प्रभावित करता है।

बेशक, समय बहुत अहमियत रखता है और यह तो स्पष्ट ही है कि शुरुआती स्टेज में डायग्नॉसिस और समय पर उपचार शुरू होने से ओवेरियन कैंसर से ग्रस्त महिलाओं के बेहतर मैनेजमेंट में काफी हद तक सहायता मिलती है। यदि फैमिली हिस्ट्री हो जेनेटिक टेस्टिंग का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और जर्मलाइन म्युटेशन होने पर, लगातार निगरानी रखना जरूरी होता है ताकि शुरुआत में ही इस रोग का पता लगाकर या रोग से बचाव के लिए उपचार शुरू किया जा सके।

मेरा नाम सुनेना है और मैं बीते पाँच वर्षों से हिंदी कंटेंट लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूं। विशेष रूप से महिला स्वास्थ्य, मानसिक सेहत, पारिवारिक रिश्ते, बच्चों की परवरिश और सामाजिक चेतना से जुड़े विषयों पर काम किया है। वर्तमान में मैं...