13 वर्षीय सुरभि अपनी मम्मी के साथ सोने के नाम से ही डर जाती है। ऐसा नहीं है कि उसकी मम्मी उसकी पिटाई करती है या उसे डांट लगाती है। दरअसल सुरभि को अपनी मम्मी के साथ एक ही बिस्तर पर नींद ही नहीं आती। सुरभि ने कई बार अपनी मम्मी को बताया भी लेकिन उसकी मम्मी मानने को तैयार ही नहीं है कि उन्हें भी खर्राटे आते हैं। सुरभि की मम्मी के खर्राटे लेने वाली बात पर उनके पति मजाक उड़ाते हैं। ऐसा सिर्फ सुरभि की मम्मी के साथ ही नहीं होता। सोते समय कई लोग अकसर खर्राटे लेते हैं और उनका मजाक बनाया जाता है। जबकि सचाई तो यह है कि खर्राटा न तो मजाक की बात है और न ही नजरअंदाज करने वाली बात। यह एक गंभीर बीमारी है, जिसका तुरंत इलाज न कराया गया तो सीधा दिल पर असर कर सकता है।

इन दिनों महिलाओं में भी खर्राटा लेने की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। इसका जो भी कारण हो। सचाई तो यह है कि खर्राटे लेने का अर्थ है फेफड़े में हाइपरटेंशन होना। यानी आप ठीक से सांस नहीं ले पा रही हैं। सांस का सही अनुपात न होने की वजह से खून में ऑक्सीजन का हिसाब बिगड़ जाता है। इसका सीधा असर दिल पर होता है। यही वजह है कि कई बार कार्डियैक अटैक सोते समय ही आता है।

खर्राटा लेने की वजह

हमारा गला अंदर से एक खास तरह की मांसपेशी से घिरा होता है, जो बोलने, सांस लेने और भोजन के समय हवा को नियंत्रित करता है। सोते समय यह मांसपेशी निष्क्रिय हो जाती है। इससे गर्दन तनिक संकीर्ण हो जाता है। अधिकांश लोगों को इस संकीर्णता से कोई समस्या नहीं होती। लेकिन कुछ में यही संकीर्णता खर्राटे की वजह बन जाती है। कई महिलाओं में यह सांस को थोड़ा अवरुद्ध करता है तो कुछ में ज्यादा।

गंभीर समस्या है खर्राटा

नींद में खर्राटा लेने की समस्या को “ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्नीया’ (ओएसओ) कहते हैं। इसमें सांस में ऑक्सीजन की कमी और कार्बनडाइक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। दिल को इसका सही अनुपात नहीं मिल पाता। जिनके दिल में अवरोध है, उनके लिए ओएसओ की गंभीर समस्या का संबंध हार्ट अटैक से है। ओएसओ की गंभीर समस्या को “ऑब्सट्रक्टिव एप्नीया’ कहते हैं। इसकी मामूली समस्या को “हाइपोप्नीया’ कहते हैं। हालांकि इसमें मरीज जब जाग जाता है तो हवा को नियंत्रित करने वाली ऊपरी मांसपेशी  खुल जाती है। एक बार हवा के आने-जाने के लिए रास्ता खुलने पर मरीज को गहरी सांस लेनी चाहिए। जिससे खून में आक्सीजन की सही मात्रा को दुबारा हासिल किया जा सके।

क्या होता है ओएसओ यानी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्नीया  

अधिकतर लोगों को इस बारे में पता नहीं होता। ये लोग दिन भर आलस महसूस करते हैं। इन्हें ताजगी का अहसास नहीं होता। ओएसओ के लक्षण जानें-

सोते समय बेचैनी महसूसना

सांस के अवरुद्ध होने से नींद टूटना

सुबह उठने के बाद सिरदर्द, गला सूखना

बार-बार पेशाब जाना

उठने के बाद भी अच्छा न महसूसना

कुछ भी ठीक से याद न रहना

कमजोरी

किन्हें हो सकती है खर्राटा की समस्या 

 

वैसे तो खर्राटा किसी भी उम्र वाले को हो सकता है। लेकिन 40 की उम्र से अधिक लोगों को स्लीप एप्नीया होने की आशंका अधिक रहती है। मोटापा जितना अधिक होगा, स्लीप एप्नीया की बीमारी की आशंका उतनी अधिक रहेगी। ज्यादा दवा लेने या नशा करने वालों में खर्राटे की समस्या काफी गंभीर हो सकती है।

खर्राटा से होने वाले दुष्प्रभाव

नींद पूरी नहीं होती। पूरे दिन नींद आती रहती है। किसी भी चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं हो पाता है। यानी एकाग्रता में कमी आ जाती है। दैनिक कामों में गलतियां होने लगती हैं। गाड़ी चलाने वालों की दुर्घटना के चांसेज बढ़ जाते हैं। कार्डियोवस्कुलर समस्या से जुड़ी कई दूसरी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। यानी उच्च रक्तचाप, हार्ट अटैक या स्ट्रोक होने की आशंका रहती है।

कैसे करें पता

महिलाओं के गले का साइज यदि 16 इंच से ज्यादा और पुरुषों का 17 इंच से ज्यादा हो तो इन लोगों को स्लीप एप्नीया की समस्या हो सकती है। जिनके तालु का आकार इतना बड़ा हो कि मुंह खोलने पर गर्दन के अंदर देखने में मुश्किल हो। उच्च रक्तचाप वालों को यह बीमारी हो सकती है। विशेषकर उन्हें जो रक्तचाप नियंत्रित करने के लिए दवा लेते हों।

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खर्राटे के इलाज के लिए कई ओवर द काउंटर दवाइयां उपलब्ध हैं लेकिन उनमें से कम ही असरकारक हैं। हालांकि, आप स्वयं ही कुछ चीजों का ध्यान रख कर अपनी खर्राट लेने की आदत को कम कर सकती हैं। जिन लोगों को कभी- कभी या कम खर्राटा होता अहिम उनके लिए कुछ जरूरी टिप्स –

  1. अपना वजन कम करें और अपने खान- पान की आदतों में बदलाव करें।
  2. सोने से चार घंटे पहले अल्कोहल और हेवी मील खाने से परहेज करें।
  3. बेड पर जाने और नींद आने का समय तय कर लें। रोजाना उसी समय पर अपने बिस्तर पर जाएं और नींद ना आने पर भी सोने की कोशिश करें।
  4. अपनी पीठ के बल सोने की बजाय करवट लेकर सोने से भी खर्राटे की समस्या में राहत मिलती है।
  5. यदि आपको या आपके परिवार में किसी को भी खर्राटे की समस्या है तो इसे मजाक में न लें और नही अनदेखी करें। देर न करें और उचित इलाज के लिए चिकित्सक के पास जरूर ले जाएं।

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