oil and sugar board1
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Summary: स्वास्थ्य मंत्रालय की नई पहल: ऑफिस में लगेंगे 'तेल व शुगर कंटेंट बोर्ड'

भारत में मोटापा और बीमारियों की रोकथाम के लिए सरकारी ऑफिसों में अब तेल और शुगर कंटेंट बोर्ड लगाए जाएंगे। यह पहल लोगों को हेल्दी फूड चॉइस की ओर प्रेरित करने और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई है।

Ministry Scrutiny Unhealthy Snacks: भारत में बढ़ती मोटापा और लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों को देखते हुए, स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अहम फैसला लिया है। अब सरकारी मंत्रालयों, विभागों और संस्थानों में तेल और शुगर कंटेंट बोर्ड लगाए जाएंगे। इन बोर्ड्स पर समोसा, कचौरी, फ्रेंच फ्राइज, वड़ा पाव जैसे लोकप्रिय स्नैक्स में छिपे हुए तेल और चीनी की मात्रा को साफ-साफ बताया जाएगा। यह पहल लोगों को उनके खानपान के प्रति सजग करने के लिए है ताकि वे हेल्दी विकल्प चुन सकें और बीमारियों से बचाव कर सकें।

स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलीला श्रीवास्तव द्वारा 21 जून को जारी पत्र में बताया गया है कि भारत में तेजी से बढ़ता मोटापा अब एक बड़ी चुनौती बन चुका है। शहरों में हर पाँचवां वयस्क व्यक्ति या तो अधिक वजन का है या मोटापे की कगार पर है। बचपन से ही गलत खानपान की आदतें और फिजिकल एक्टिविटी की कमी बच्चों को भी इसकी चपेट में ला रही है। 2050 तक भारत में 45 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए जरूरी है कि जागरूकता का माहौल कार्यस्थलों और सार्वजनिक जगहों से शुरू हो।

अब सरकारी ऑफिसों में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि खाने-पीने की चीजों में छिपी हुई चीनी और तेल की जानकारी उपलब्ध हो। यह जानकारी ऑयल और शुगर बोर्ड के रूप में सार्वजनिक जगहों पर लगाई जाएगी, जिससे कर्मचारी यह जान सकें कि वे जो खा रहे हैं, वह उनके शरीर के लिए कितना फायदेमंद या नुकसानदेह है। यह पहल लोगों को सोचने और अपनी आदतें बदलने के लिए प्रेरित करेगी।

Ministry Scrutiny Unhealthy Snacks-Oil content in Samosa
Oil content in Samosa

तेल और चीनी के इन बोर्ड्स को कैंटीन, लॉबी, कॉरिडोर, मीटिंग रूम और अन्य सार्वजनिक जगहों पर लगाया जाएगा, ताकि हर कोई उन्हें देख सके और अपनी डेली चॉइस पर ध्यान दे सके। साथ ही सरकारी लेटरहेड, फोल्डर, लिफाफे और डायरी जैसी स्टेशनरी पर भी हेल्थ अवेयरनेस मैसेज छापे जाएंगे, ताकि ऑफिस का हर व्यक्ति दिन में कई बार सेहत से जुड़ा मैसेज पढ़ सके।

मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि ऑफिस में फल, सब्ज़ियां, लो-फैट विकल्प उपलब्ध कराए जाएं। तले-भुने और मीठे स्नैक्स की उपलब्धता सीमित हो। साथ ही सीढ़ियों के इस्तेमाल, शॉर्ट एक्सरसाइज़ ब्रेक, वॉकिंग रूट जैसी गतिविधियों को भी प्रोत्साहित किया जाए।

मोटापा केवल शारीरिक आकार तक सीमित नहीं रहता, यह शरीर में कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है। जैसे कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां, स्ट्रोक और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर भी। मोटापा मानसिक तनाव, आत्मविश्वास में कमी और शरीर की गतिशीलता पर भी असर डालता है। इसके चलते स्वास्थ्य खर्च बढ़ते हैं और देश की उत्पादकता भी प्रभावित होती है। इसलिए समय रहते इस पर रोक लगाना बेहद जरूरी है।

sugar content
sugar content

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई बार अपने संदेशों में फिट इंडिया मूवमेंट का ज़िक्र करते हुए लोगों से एक्टिव रहने और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने जनवरी 2025 में नेशनल गेम्स के उद्घाटन समारोह में तेल की खपत में 10% कमी लाने की बात कही थी। साथ ही अपने ‘मन की बात’ में भी इस मुद्दे पर चिंता जताई और कहा कि स्वस्थ भारत की नींव हम सभी की छोटी-छोटी कोशिशों से ही रखी जा सकती है।

यह पहल नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ नॉन कम्युनिकेबल डिज़ीज़ (NP-NCD) के तहत शुरू की गई है। मंत्रालय का मानना है कि ये छोटी-छोटी पहलें भी बड़ी सामाजिक क्रांति का हिस्सा बन सकती हैं। अगर सरकारी विभाग उदाहरण बनें, तो अन्य संस्थाएं भी प्रेरित होंगी और स्वस्थ भारत की दिशा में एक बड़ा कदम उठेगा।

देशभर के स्कूलों में बच्चों को अत्यधिक चीनी सेवन से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने के लिए सीबीएसई ने एक सराहनीय पहल की है। जारी सर्कुलर में सभी स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे कैंपस में ‘शुगर बोर्ड’ बनाएं, जहां बच्चों को चीनी युक्त खाद्य पदार्थों की जानकारी दी जाएगी। सीबीएसई ने सभी स्कूलों को 15 जुलाई से पहले शुगर बोर्ड बनाने का आदेश दिया है।

Sugar Board CBSE
Sugar Board CBSE

सर्कुलर के अनुसार, 4-10 साल के बच्चों की कुल कैलोरी में से लगभग 13% चीनी से आती है, जबकि 11-18 साल के बच्चों में यह आंकड़ा 15% तक पहुंच जाता है। यह चिंताजनक है, क्योंकि विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चों के लिए यह मात्रा 5% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। इस पहल का मकसद बच्चों को कम उम्र से ही हेल्दी खाने की आदतों की ओर प्रेरित करना है।

जहां एक ओर सरकारी संस्थाएं और बोर्ड अब शुगर अवेयरनेस की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, वहीं रेवंत हिमात्सिंग पहले ही इस सोच को जमीन पर उतार चुके हैं। वह इंस्टाग्राम पर ‘फूडफार्मर’ नाम से अपना अकाउंट चलाते हैं और महीनों पहले ही अपने ‘शुगर बोर्ड मूवमेंट’ की शुरुआत कर चुके हैं।

उन्होंने आम लोगों को यह दिखाने का प्रयास किया था कि हमारे रोज़ाना के खाने-पीने की चीज़ों में कितनी छुपी हुई चीनी होती है और वह कैसे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

सोनल शर्मा एक अनुभवी कंटेंट राइटर और पत्रकार हैं, जिन्हें डिजिटल मीडिया, प्रिंट और पीआर में 20 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने दैनिक भास्कर, पत्रिका, नईदुनिया-जागरण, टाइम्स ऑफ इंडिया और द हितवाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया...