प्रदूषण के कारण प्रेग्नेंसी में बढ़ जाता है इन 5 बीमारियों का खतरा, ऐसे करें बचाव
Pollution during pregnancy : प्रदूषण की वजह से गर्भवती महिलाओं की कई तरह की समस्याएं होने का खतरा रहता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-
Pollution Effects on Pregnancy: प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। मुख्य रूप से बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, क्योंकि प्रदूषण का असर न सिर्फ महिलाओं की सेहत पर बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ सकता है। प्रदूषण के कारण प्रेग्नेंसी में कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। आइए जानते हैं प्रदूषण में प्रेग्नेंट महिलाओं को किन-किन समस्याओं का खतरा रहता है?
श्वसन संबंधी समस्याएं
Also read: पार्टनर लाइफ में स्ट्रेसफुल सिचुएशन का कर रहा है सामना तो ऐसे करें उसे सपोर्ट
प्रदूषित हवा में धूल, धुआं, और हानिकारक रसायनों की अधिकता होती है, जिससे गर्भवती महिलाओं में अस्थमा, खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसी श्वसन समस्याएं बढ़ सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान ऑक्सीजन की अधिक आवश्यकता होती है, और प्रदूषित हवा इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है, जिससे शिशु के विकास में रुकावट आ सकती है।
इस परेशानी से सुरक्षित रहने के लिए घर से बाहर निकलते समय एन95 मास्क पहनें। सुबह के समय व्यायाम करने से बचें, क्योंकि उस समय प्रदूषण का स्तर अधिक होता है। घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, खासकर सोने वाले कमरे में।

दिल की बीमारियों का खतरा
प्रदूषित हवा में पाए जाने वाले पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10) हृदय पर प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे गर्भवती महिलाओं में हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। हृदय पर अतिरिक्त दबाव से गर्भावस्था में जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
हार्ट डिजीज से बचाव के लिए अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में जाने से बचें। घर में हवा को साफ रखने के लिए पौधों जैसे – एलोवेरा, स्पाइडर प्लांट, और मनी प्लांट इत्यादि लगाएं। डॉक्टर की सलाह से नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं और हृदय को स्वस्थ बनाए रखने के उपाय अपनाएं।

स्ट्रेस और एंग्जायटी
प्रदूषण के कारण शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ सकता है, जो मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। गर्भवती महिलाओं में अवसाद, चिंता और मूड स्विंग जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो शिशु के मानसिक विकास पर असर डाल सकती हैं।
मेडिटेशन और योग का अभ्यास करें, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में सहायक हैं। सकारात्मक माहौल में रहें और खुद को स्ट्रेस से दूर रखने का प्रयास करें। पर्याप्त नींद लें और खानपान में ताजे फल-सब्जियों का सेवन करें।

एनीमिया का खतरा
प्रदूषित हवा में लेड, मरकरी, और अन्य हानिकारक धातुएं होती हैं, जो शरीर में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। गर्भवती महिलाओं में इस वजह से खून की कमी या एनीमिया की समस्या हो सकती है, जो शिशु के विकास में रुकावट डाल सकती है।
आयरन तत्व युक्त आहार लें जैसे पालक, अनार, और चुकंदर। विटामिन सी युक्त फलों का सेवन करें ताकि शरीर में आयरन का अवशोषण बढ़ सके। नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह से ब्लड टेस्ट कराएं और आवश्यकतानुसार सप्लीमेंट्स लें।

शिशु का रुक सकता है विकास
प्रदूषण में मौजूद रसायन और भारी धातुएं गर्भस्थ शिशु के अंगों के विकास को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे जन्म के समय शिशु का वजन कम रह सकता है या समय से पहले डिलीवरी की संभावना बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। ऐसी जगह पर रहें जहां हवा का प्रवाह अच्छा हो, ताकि घर के अंदर की हवा शुद्ध रहे। डॉक्टर की सलाह से नियमित रूप से गर्भावस्था से जुड़े टेस्ट कराएं ताकि शिशु के विकास की जानकारी मिलती रहे।
