Mother Sleep
Mother Sleep

बतौर नई मां, आपको अधिक नींद लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन नवजात की देखरेख, आहार और अन्य जरूरतों का ध्यान रखने में आप बहुत थकान अनुभव करने लगती हैं और एक नवजात की देखभाल के दौरान ऐसा संभव होता नहीं दिखता। अगर आप नींद में कमी के संकेतों को पहचान लें तो छोटी अवधि में भी इसका मुकाबला कर सकती हैं। यदि आप चार से पांच रात ढंग से नहीं सो पाती हैं तो आपको लगता है कि आपको कई दिन से नींद ही नहीं आई हो। खासतौर पर एक नवजात के साथ ऐसा महीनों तक हो सकता है जब आप लगातार चार घंटे से ज्यादा नींद न ले पाएं। यदि आप पूरी नींद नहीं ले पाएंगी तो आपका अपने काम पर ध्यान देना मुश्किल हो जाएगा। हो सकता है कि आप लिए गए किसी काम को पूरा होने से पहले ही छोड़ दें। पूरी नींद न आने पर क्या किया जाए, इसके लिए यहां कुछ तरीके बताए गए हैं, ताकि शिशु के उचित लालन-पालन के साथ आपको भी अच्छी नींद मिल सके-

1. गर्भ धारण के समय ही आप अपने साथी से बच्चे के काम के विभाजन के बारे में चर्चा कर लें। इस बारे में आपके नजदीकी रिश्तेदार भी मदद कर सकते हैं। बच्चे के जन्म के बाद दिन में या रात में, अपनी सुविधा के अनुसार आपके सोते वक्त वे बच्चे को कुछ समय के लिए संभाल सकते हैं। यदि रिश्तेदार न हों तो मदद के लिए आप किसी दाई की नियुक्ति के बारे में भी विचार कर सकती हैं।

2. चाहे आपका कितना भी मन करे लेकिन जब शिशु सो रहा हो, तब कामकाज में ज्यादा रुचि न लें। बिस्तर पर तकियों का पर्याप्त सहारा लेकर और कमरे का उचित तापमान निर्धारित करके अपने और बच्चे के लिए एक आरामदायक वातावरण तैयार करें और शिशु के साथ रात वाली एक अच्छी नींद लेने का प्रयास करें।

3. झपकी लेने की कोशिश करते समय इच्छा होने पर भी घड़ी की ओर न झांकें। नींद के विशेषज्ञ  मानते हैं कि इस पर ध्यान देना कि अब सोने के लिए कितना समय बचा है या फिर पिछली रात आप कितनी बार जागे और कितनी देर तक जागे, व्यग्रता पैदा करता है जिससे अनिद्रा की स्थिति हो सकती है।

4. इन दिनों चाय कॉफी के रूप में कैफीन, एल्कोहल और निकोटीन के सेवन को टालें। निकोटीन और कैफीन उत्तेजक होते हैं जिनसे रात के दौरान जागरण को बढ़ावा मिलता है।

5. माताओं को हमेशा अपने शिशु के साथ सोना चाहिए। बच्चे के जन्म के शुरू के कुछ माह तक मां और शिशु के बीच बंधन यानी जुड़ाव होना अत्यंत आवश्यक है। साथ-साथ सोने से भविष्य में आपसी संबंधों में मधुर लय बनती है और माता व शिशु के बीच समन्वय भी स्थापित होता है।

(स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. बंदिता सिन्हा से बातचीत पर आधारित)