IVF Mother
IVF Mother
 
IVF Mother: मातृत्व किसी भी स्त्री के जीवन का सबसे खूबसूरत अहसास होता है। पर गर्भाशय में संक्रमण के कारण से या कुछ अन्य कारणों कुछ स्त्रियां इस एहसास के लिये तरसती रह जाती हैं। ऐसे में आई.वी.एफ या फिर किराए की कोख एक बेहतरीन चिकित्सा विकल्प है जिसमें जोड़ों को संतान सुख मिल सकता है।
 
साउथर्न फर्टीलिटी सेंटर की डॉ. सोनिया मलिक कहती हैं कि बांझपन सेरोगेसी की एक सबसे बड़ी वजह है। एक सर्वे के अनुसार भारत में हर साल 40 लाख शादियां होती हैं जिनमें से 10 लाख महिलाओं में बांझपन होता हैं। डॉक्टरों के अनुसार 35 से अधिक उम्र की महिलाएं कम उम्र की महिलाओं की अपेक्षा कई बिमारियों जैसे- संधिवात, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि से गर्भावस्था के पूर्व ही पीड़ित हो जाती हैं। ये सभी अवस्थाएं गर्भावस्था के दौरान अधिक घातक सिद्ध होती हैं। साथ ही आज भागदौड़ भरे जीवन में कम उम्र में ही बहुत सी महिलाओं में ओवम यानी अंडाणु बनने बंद हो जाते हैं या गर्भाशय कमजोर हो जाता है जिससे उनके गर्भवती होने की संभावना कम हो जाती है। ऐसे में उनके लिए आई.वी.एफ. तकनीक बच्चा पाने का एकमात्र रास्ता रह जाता है।
 
क्या है आईवीएफ तकनीक?
 
गंगाराम हॉस्पिटल की इंफरटिलिटी विशेषज्ञ डॉ. श्वेता मित्तल कहती हैं कि इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन यानी आई.वी.एफ. एक तकनीक है जिसमें महिलाओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। भारत में करीब तीन दशक से आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन बीते कुछ साल से इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। इस प्रक्रिया में किसी महिला के अंडाशय से अंडे को अलग कर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है। इसके बाद निशेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। इस तकनीक द्वारा मनचाहे गुणों वाली संतान उत्पन्न करने के प्रयास भी होता है। इससे गे या लेस्बियन दंपत्ति भी किराए की कोख के जरिए बच्चे का सुख पा सकते हैं।

 
आईवीएफ तकनीक के चरण
 
आरिजिन मैक्स की डॉ. रश्मि शर्मा कहती हैं कि इसमें सबसे पहले महिला के सारे टेस्ट कराए जाते हैं। पीरियड के तीसरे दिन महिला के खून का सैंपल लिया जाता है, जिसके जरिए यह जानने की कोशिश की जाती है कि वह किसी तरह की बीमारी से पीड़ित तो नहीं है। अल्ट्रासाउंड के जरिए यह जानने की कोशिश की जाती है कि गर्माशय, सर्वाइकल कनाल और ओवरी की स्थिति क्या है। इसके बाद जब महिला का अंडा 18-20 मि.मी. हो जाता है तो उसे बाहर निकाल लिया जाता है। फिर स्पर्स को इन अंडों पर छोड़ दिया जाता है। जब कोई अंडा स्पर्म से अच्छी तरह फर्टिलाइज हो जाता है, तो उसे महिला के यूट्रस में डाल दिया जाता है।
 
 
आई.वी.एफ. तकनीक के हर चरण पर 80 हजार रुपये से 1.25 लाख रुपये तक का खर्च आता है। कुल मिलाकर चार से पांच लाख रुपए खर्च हो जाते हैं। सरकारी अस्पतालों में इस तकनीक का पूरा खर्च करीब 50 से 60 हजार रुपए पड़ता है।
 
प्रजनन पर्यटन केंद्र बना आईवीएफ
 
एक अनुमान के अनुसार पूरे देश में इस समय 330 आईवीएफ सेंटर हैं। इसमें दिल्ली, मुंबई, गुजरात व कोलकाता, पंजाब, केरल आदि के आईवीएफ सेंटर प्रजनन पर्यटन के केंद्र बन चुके हैं। इस समय दिल्ली में अनुमान के अनुसार 27 आईवीएफ केंद्र हैं जिनमें सबसे अधिक विदेशी दंपत्ति के बच्चे ही तैयार हो रहे हैं। पिछले कुछ समय से राजधानी दिल्ली प्रजनन पर्यटन में यूरोप और अमेरिका को मात दे रहा है। यूरोप व अमेरिका में भारत से पांच से सात गुना महंगी दर पर किराए की कोख उपलब्ध हैं। यही नहीं फ्रांस सहित अन्य कैथोलिक देशों में आई.वी.एफ. व किराए की कोख पर प्रतिबंध है। इसकी वजह से पूरा यूरोप व अमेरिका का प्रजनन पर्यटन भारत की ओर स्थानांतरित हो रहा है और इसमें दिल्ली सबसे बेहतर विकल्प है।
 
(साभार- साधनापथ)