पहली गर्भावस्था में प्रायः मॉर्निग सिकनेस का स्तर काफी गंभीर होता है, जिसमें शारीरिक व मानसिक दोनों ही कारण शामिल हो सकते हैं। पहला कारण तो यह है कि शरीर अभी इस तरह के बदलावों के लिए तैयार नहीं होता। भावनात्मक रूप से भी पहली बार गर्भवती होनेवाली महिलाएं काफी उत्तेजित होती हैं जिसकी वजह से उनकी परेशानी बढ़ जाती है। बाद के मामलों में आमतौर पर उनका ध्यान पहले बच्चे की देखरेख में लगा रहता है इसलिए ऐसे लक्षण नहीं उभरते हालांकि इसके कुछ अपवाद भी हैं।

कारण चाहे कोई भी हो, मॉर्निंग सिकनेस का प्रभाव एक सा ही होता है। हालांकि इसका कोई पक्का इलाज नहीं है पर किसी तरह यह समय बिताने और इसे थोड़ा सहज बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं‒

  • मॉर्निंग सिकनेस, आपका सोकर उठने तक इंतजार नहीं करेगी। यह खाली पेट ज्यादा तंग करती है, खासतौर पर रात की लंबी नींद के बाद। जब पेट खाली होता है तो पेट के भीतर बनने वाले अम्लों को पचाने के लिए कुछ नहीं मिलता, नतीजतन मिचली बढ़ जाती है। रात को सोने से पहले बिस्तर के पास ही खाने के लिए कुछ रख लें ताकि रात को भूख लगे तो आपको रसोई में न जाना पड़े। रात को शौचालय जाने के लिए भी उठें तो एकाध टुकड़ा मुंह में डाल लें ताकि सुबह आने पर पेट को खालीपन का एहसास न हो।
  • रात को देर से खाएं। रात को सोने से ठीक पहले एक मफिन व दूध का गिलास,स्ट्रिंग चीज़ या सूखी खुबानी खाएं। सुबह सो कर उठेंगी तो पेट भरा-भरा होगा।
  • हल्का खाना खाएं। जरूरत से ज्यादा पेट भरा होने से भी मिचली बढ़ सकती है। भूख लगी हो तो एक साथ सारा खाना खाने की बजाए थोड़े समय के बाद खाएं।
  • बीच-बीच में खाएं। अपने ब्लड शुगर के स्तर को एक सा बनाए रखें ताकि आपका पेट हमेशा भरा-भरा सा रहे। दिन में तीन बार भारी भोजन करने की बजाय कम से कम छह बार हल्का भोजन करें। घर से बाहर जा रही हैं तो हल्के स्नैक्स (सूखे फल-मेवे, ग्रेनोला बार, सूखा सेरेल, क्रैकर्स,सोया चिप्स या प्रेज़ल्स) खाए बिना बाहर न निकलें।
  • अच्छी तरह खाएं। आपकी खुराक प्रोटीन व कांप्लैक्स कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होनी चाहिए। अच्छे पोषण से भी आपको काफी मदद मिल सकती है।
  • जो खा सकती हों, खाएं। अब पेट में कुछ डालना ही आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए यानी आपको कुछ न कुछ तो खाना ही है। गर्भावस्था में बाद में,संतुलित भोजन करने के लिए काफी समय होगा। अब तो जो मन चाहे, खाएं। यदि वह पौष्टिक हो सके तो और भी बेहतर होगा।

अगले पेज पर पढ़ें तरल पदार्थ कितना जरुरी

  • उलटी की वजह से शरीर का पानी घट सकता है इसलिए अधिक से अधिक तरल पदार्थों की मात्रा लें। यदि तरल पदार्थ लेने में आसानी हो तो उन्हीं से पौष्टिकता लेने की कोशिश करें। स्मूदीज़, सूप व जूस के माध्यम से अपने विटामिन व खनिज लवण लें। यदि तरल पदार्थों से भी मिचली आती हो तो ऐसे ठोस पदार्थ लें, जिनमें पानी की मात्रा अधिक हो; जैसे ताजे फल व सब्जियां,सलाद, नींबू व खट्टे फल। अगर एक साथ लेने से पेट पर भारीपन महसूस हो तो खाने के बीच में तरल पदार्थ लें।
  • तापमान बदल कर भी देखें। कई गर्भवती महिलाओं को ठंडे तरल पदार्थ व भोजन लेने में आसानी होती है जबकि कुछ हल्के गर्म खाद्य पदार्थ खाना पसंद करती हैं (ठंडे की बजाए गर्म चीज़ सैंडविच)
  • भोजन बदलें। जिन क्रेकर्स पर आप जान देती थीं यदि अब उनके नाम से ही मिचली आने लगी है तो अपने लिए कुछ और चुनें।
  • जो खाना या उसकी गंध सहन न हो, उसे जबरदस्ती न खाएं और न ही ऐसी जगह जा कर बैठें। आपको स्वयं पता होगा कि मीठा ज्यादा पसंद आ रहा है या नमकीन।अगर मीठा पसंद आ रहा हो तो ब्रोकली या चिकन की बजाए, आडू व योगर्ट से विटामिन ए व प्रोटीन की खुराक लेने की कोशिश करें या नमकीन पसंद आए तो नाश्ते में पिज्जा ले लें।
  • गर्भवती महिलाएं स्वयं जानती हैं कि कौन सी गंध सहन कर पाएंगी या किस गंध से उनका जी मिचला रहा है इसलिए इस आवाज को पहचानें और उन चीज़ों से दूर रहें। अपने पति के जिस ऑफ्टर शेव की गंध की आप दीवानी थीं, वही अब आपको बाथरूम में भागने के लिए मजबूर कर सकता है यानी आपको उल्टी हो सकती है।
  • सप्लीमेंट! जो पोषक तत्व आपको नहीं मिल पा रहे उस कमी को पूरा करने के लिए विटामिन की खुराक लें। जिस समय जी मिचला रहा हो, उस समय दवा न लें वह उलटी के साथ बाहर आ जाएगी।यदि आपके लक्षण ज्यादा गंभीर हो तो डॉक्टर से विटामिन B6 की अतिरिक्त खुराक के बारे में पूछें। इससे आपकी तबियत काफी हद तक संभल सकती है।
  • दांतों की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। अपने दांतों को ब्रश करें। उलटी आने के बाद अच्छी तरह कुल्ला करें इससे दांत साफ होंगे और दांतों व मसूड़ों को नुकसान नहीं होगा।

अगले पेज पर पढ़ें अदरक का इस्तेमाल कब करें

  • अदरक ले कर देखें। यदि जी मिचला रहा हो तो यह बढ़िया असर दिखाता है। खाने में, सूप में या मफिन में इसका इस्तेमाल करें। अदरक वाली चाय पीएं। आप जिंजर कैंडी या लॉलीपॉप भी खा सकती हैं। अदरक से बना पेय भी राहत दे सकता है। यदि जी मिचला रहा हो तो अदरक का टुकड़ा सूंघने से भी आराम मिलता है।
  • कई महिलाओं को नींबू चूसने से आराम मिलता है। अगर नींबू भी काम न आए तो आप खट्टी मीठी गोलियां चूस सकती हैं।
  • थोड़ा फालतू आराम और नींद लें क्योंकि शारीरिक और भावनात्मक थकान मिचली बढ़ा सकती है।
  • सुबह उठते ही हड़बड़ाहट न मचाएं। इससे तो जी जरूर घबराएगा। आराम से उठें। पास की मेज से उठ कर कुछ खाएं। फिर आराम से नाश्ता करें। हालांकि आपकी पहले से कोई संतान है तो ऐसा होना मुश्किल ही है लेकिन उनके उठने से थोड़ा पहले उठने की कोशिश करें या अपने पति से कहें कि वे सुबह का काम संभाल लें।
  • तनाव घटाएं। तनाव से मिचली बढ़ सकती है।
  • सी-बैंड ट्राई करें। 1” चौड़े इलास्टिकबैंड दोनों कलाइयों पर पहन लें। इससे भीतर कलाइयों के एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर दबाव पड़ेगा और जी नहीं मिचलाएगा। ये आमतौर पर दवा की दुकानों से मिलते हैं और इनसे कोई नुकसान भी नहीं होता। आपके डॉक्टर बैटरी युक्त बैंड पहनने की सलाह भी दे सकते हैं। इसे ‘रिलीफ बैंड’ कहते हैं, इलेक्ट्रॉनिक स्टिमुलेशन के लिए इसका इस्तेमाल होता है।
  • मॉर्निंग सिकनेस के गंभीर लक्षणों से बचाव के लिए वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों‒एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, बायोफीडबैक, हिप्नोसिस आदि का प्रयोग करें। ध्यान व विज़ुलाइजेशन (मानसिक चित्रण) भी कारगर हो सकता है।

हालांकि मॉर्निंग सिकनेस के लिए कुछ दवाएं भी बनी हैं (डॉक्सीलेमाइन)। यह तभी दी जाती हैं जब हालत ज्यादा खराब हो। इनसे उनींदापन महसूस होता है। नींद लेना तो अच्छी बात है लेकिन अगर आप गाड़ी चला कर काम पर जाने वाली हैं तो यह ठीक नहीं है। डॉक्टर से पूछे बिना किसी भी तरह की पारंपरिक या हर्बल दवा न लें। केवल 5 प्रतिशत मामले ही ऐसे होते हैं,जहां मेडिकल चिकित्सा की जरूरत पड़ती है।

ये भी पढ़ें-

गर्भावस्था में बेहद खास हैं ये टेस्ट

काफी अहमियत रखती है पहली गर्भावस्था जांच

गर्भावस्था में नए अनुभवों व लक्षणों से गुजरती हैं महिलाएं

आप हमें फेसबुकट्विटरगूगल प्लस और यू ट्यूब चैनल पर भी फॉलो कर सकती हैं।