प्लेसेंटा प्रीविया

यह क्या हैइस अवस्था में प्लेसेंटा सर्विक्स को थोड़ा या फिर पूरी तरह से ढक लेता है।अर्ली प्रेगनेंसी में प्लेसेंटा नीचा ही होता है लेकिन ज्यों-ज्यों गर्भावस्था के साथ-साथ गर्भाशय का आकार बढ़ता है तो प्लेसेंटा सर्विक्स के आगे से हट जाता है। यदि यह वहाँ से न हटे या सर्विक्स को थोड़ा ढक ले तो यह‘पार्शियल प्रीविया’ कहलाता है। यदि यह सर्विक्स को पूरी तरह ढक ले तो इसे टोटल प्रीविया कहते हैं। इन दोनों की वजह से शिशु का जन्मयोनि मार्ग से नहीं हो पाता। इससे गर्भावस्था में अंत में या डिलीवरी के समय रक्तस्राव भी हो सकता है। प्लेसेंटा सर्विक्स के जितना पास होगा रक्तस्राव की संभावना उतनी ज्यादा होगी।

यह कितना सामान्य हैहर 200 गर्भावस्थाओं में से 1 मामला ऐसा होता है। यह 20 से कम व 30 से ज्यादा अधिक आयु की महिला में होता है या फिर उस महिला का डी एंड सी,या सी सैक्शन हुआ हो। धूम्रपान व जुड़वां बच्चों के जन्म से भी यह खतरा बढ़ जाता है।

इसके संकेत  लक्षण क्या हैंयह आमतौर से लक्षणों से नहीं पहचाना जाता। दूसरी तिमाही के अल्ट्रासाउंड में इसका पता चलता है कई बार तीसरी तिमाही में रक्तस्राव से भी स्थिति पता चल जाती है। रक्तस्राव इसका एक मात्र लक्षण है, जिसके साथ कोई दर्द नहीं होता।

आप  आपके डॉक्टर क्या कर सकते हैं? आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है। तीसरी तिमाही के आखिर तक प्लेसेंटा प्रीविया के कई मामले अपने-आप सुलझ जाते हैं। यदि प्रीविया के साथ रक्तस्राव न हो तो कई बार किसी इलाज की भी जरूरत नहीं होती। यदि रक्तस्राव होगा तो बैडरैस्ट की सलाह दी जाएगी, सेक्स की मनाही होगी व आपकी ज्यादा बेहतर देखभाल की जाएगी। यदि समय से पूर्व प्रसव का खतरा लगा तो आपके शिशु के फेफड़े परिपक्व करने के लिए स्टीरॉयड के इंजेक्शन देने होंगे। चाहे आपको कोई और तकलीफ न हो, किंतु आपके शिशु की डिलीवरी सी सैक्शन से की जाएगी।

प्लेसेंटल एबरप्शन :- यह क्या है? जब प्लेसेंटा डिलीवरी से पहले, गर्भावस्था के दौरान ही यूटेराइन वॉल से अलग हो जाता है तो इसेप्लेसेंटल एवरप्शन कहते हैं। यदि यह अधिक मात्रा में नहीं है तो थोड़े से इलाज व सावधानी के साथ माँ व शिशु को ज्यादा खतरा नहीं रहता। यदि यह गंभीर हो तो शिशु को थोड़ा खतरा रहता है। इसका मतलब है कि प्लेसेंटा अलग होने के बाद शिशु को ऑक्सीजन व पोषण नहीं मिलेगा।

यह कितना सामान्य है? :- ऐसा 1 प्रतिशत से भी कम गर्भावस्था में होता है। यह अक्सर तीसरी तिमाही के आसपास होता है। यह किसी के भी साथ हो सकता है लेकिन जिन महिलाओं के यहाँ जुड़वाँ होने वाले हों, ऐसा पहले भी हो चुका है, धूम्रपान या मादक द्रव्यों का सेवन करती हों या गैस्टेशनल मधुमेह की मरीज हों।इसके अलावा प्रीक्ले पसिंया या रक्तचाप की वजह से भी ऐसा हो सकता है।

इसके संकेत व लक्षण क्या हैं? ये निम्नलिखित हैं :

  •   भारी या कम रक्तस्राव
  •   पेट के निचले हिस्से में ऐंठन या दर्द
  •   पीठ या पेट में दर्द

आप  आपके डॉक्टर क्या कर सकते हैं गर्भावस्था के बीचोंबीच ऐसा कोई भी रक्तस्राव या पेट में ऐंठन होते ही डॉक्टर को सूचना दें।मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, उसकी हालत, संकुचन व शिशु की प्रतिक्रिया देखने के बाद ही कोई फैसला लिया जाता है। अल्ट्रासाउंड से मदद मिल सकती है, केवल 25 प्रतिशत एबरप्शन ही इसकी पकड़ में आते हैं। यदि पता चल जाए कि प्लेसेंटापूरी तरह से अलग नहीं हुआ तो आपके सिर्फ आराम की सलाह दी जाएगी। यदि रक्तस्राव जारी रहे तो आई वी फ्ल्यूड देना पड़ सकता है यदि डिलीवरी जल्दी करनी हो तो स्टीरॉयड के इंजेक्शन दिए जाएंगे। ताकि शिशु के फेफड़े मजबूत हो सकें। यदि एवरप्शन जारी रहे तो फिर सी-सैक्शन का उपाय ही बचता है।

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