शिशु जन्म के बाद संक्रमण

यह क्या हैकई बार महिलाओं को शिशु जन्म के बाद संक्रमण भी हो जाता है क्योंकि आपके शरीर के भीतरी अंग पूरी तरह से बंद नहीं हुए होते। किसी में टांके नरम भी हो सकते हैं।कैथीटर की वजह से ब्लैडर या किडनी में संक्रमण हो सकता है। गर्भाशय में छूटे प्लेसेंटा के अंश से भी संक्रमण हो सकता है लेकिन इनमें से एंडोमैट्रीटिस (यूटरस की लाइनिंग) का संक्रमण सबसे ज्यादा सामान्य है।

यदि इन संक्रमणों का इलाज न हो पाए तो ये खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि ये काम करने की सारी ऊर्जा सोख लेते हैं व आपको कमजोरी घेर लेती है। आप प्रसव के बाद आसानी से संभल नहीं पातीं व शिशु की ओर पूरा ध्यान नहीं दे पातीं।

यह कितना सामान्य है? 

करीब 8 प्रतिशत गर्भावस्थाओं में संक्रमण होता है सी-सैक्शन या मैम्ब्रेन का रप्चर हुआ हो तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके संकेत व लक्षण क्या हैं? वे निम्नलिखित हैं‒

  •   बुखार
  •   संक्रमित हिस्से में दर्द
  •   बदबूदार स्राव
  •   सर्दी लगना

आप  डॉक्टर क्या कर सकते हैंयदि 100 से ज्यादा उससे तेज बुखार है तो डॉक्टर को बुलाने में देर न करें। एंटीबायोटिक दवाएँ लेने के साथ-साथ भरपूर आराम भी करें।तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ा दें। स्तनपान करा रही हैं तो डॉक्टर को बता दें ताकि वे आपके लिए दवा चुनते समय सावधानी रखें।

क्या इससे बचाव हो सकता हैथोड़ा साफ-सफाई का ध्यान रखें। जख्मों पर दवा लगाएँ। रक्तस्राव में टैंपून की बजाए पैड लगाएं।इस तरह आप निश्चित ही संक्रमण से अपना बचाव कर सकती हैं।

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