जी हां,13 सितम्बर से श्राद्ध की शुरुआत हो चुकी है, जब लोग अपने पूर्वजों के लिए दान-पुण्य कर्म करते हैं। असल, में शास्त्रों की मानें तो इस अवधि में हमारे पूर्वज,मोक्ष की कामना लिए धरती लोक पर अपने परिजनों के पास आते हैं। ऐसे में इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धा पूर्वक किए गए दान-पुण्य कर्म ही श्राद्ध कहलाते हैं। इससे जहां आपके पितरों और पूर्वजों की आत्मा को शांति तो मिलती ही है, साथ ही आपको भी इसका पुण्य मिलता है। शास्त्रों और धर्म शास्त्रों की माने तो श्राद्ध के दौरान किए गए अलग-अलग तरह के दान पुण्य से अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है। आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं कि श्राद्ध के दौरान आप कौन- कौन सी वस्तुएं दान कर सकते हैं और इससे आपको क्या फल मिलता है।

स्वर्ण दान

जी हां, स्वर्ण दान सबसे श्रेष्ठ दान माना जाता है, इसका दान करने से व्यक्ति को पैसों की समस्याओं,कर्ज और रोगों से मुक्ति मिलती है। वैसे अगर आपके पास स्वर्ण का अभाव है तो आप दक्षिणा में मुद्रा यानि कि नकद पैसे भी दान कर सकते हैं।

रजत दान

वहीं अगर आप चांदी का दान करते हैं, तो इससे परिवार और वंश को मजबूत मिलती है, वैसे चांदी के अभाव में आप सफेद धातु की कोई दूसरी वस्तु भी दान कर सकते हैं।

गौदान

गौदान करने से पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति की प्राप्ति होती है, साथ ही दान करने वाले व्यक्ति दान करने वाले व्यक्ति को इसका शुभ फल भी मिलता है। वैसे आप गौदान प्रत्यक्ष या संकल्प के जरिए भी कर सकते हैं।

भूमि दान

भूमिदान से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। वैसे भूमि दान कर पाने आप अगर असमर्थ हैं तो आप केवल मिट्टी का दान भी कर सकते हैं।

तिल दान

अगर आप श्राद्ध के दिनों में किसी गरीब व्यक्ति को काले तिलों का दान करते हैं तो इससे आपको ग्रह और नक्षत्रों की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

गुड़ दान

वहीं गुड़ का दान करने से पूर्वजों की आत्माओं को विशेष संतुष्टि प्राप्त होती है।

लवण या नमक दान

श्राद्ध के दौरान नमक का दान भी आवश्यक माना गया है। असल में, मान्यता है कि नमक का दान किए बिना कोई भी दान कर्म सम्पूर्ण नहीं होता। आपको बता दें कि नमक का दान करने से व्यक्ति को प्रेत और आत्माओं की बाधा से मुक्ति मिलती है।