‘‘मुझे पिछले कुछ सप्ताह से कब्ज की शिकायत है। क्या यह आम बात है?”

पेट में अफारा, गैस वगैरह गर्भावस्था की आम समस्याएं हैं। इनके भी कारण हैं। प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन की उपस्थिति आपके शरीर की सभी मांसपेशियों को शिथिल करती है और भोजन काफी समय तक पाचनतंत्र में बना रहता है यानी पाचन की क्रिया भी मंद हो जाती है। फायदा यह होता है कि इस समय पोषक तत्त्व आपके रक्त प्रवाह में घुलते हैं व ज्यादा बेहतर तरीके से शिशु तक पहुंचते हैं। नुकसान यह होता है कि आपके शरीर के व्यर्थ पदार्थों का ट्रैफिक जाम हो जाता है। आपका बढ़ता गर्भाशय भी आंतों पर दबाव डालता है। इस तरह आप समझ सकती हैं कि आपको कब्ज क्यों रहती है। ऐसा नहीं कि सारी गर्भावस्था में कब्ज आपके साथ रहेगी। आप इससे निबटने के लिए निम्नलिखित उपाय अपना सकती हैं।

रेशेदार पदार्थ :- आप व आपके कोलोन कोहर रोज़ 25 से 35 ग्राम रेशे की मात्रा चाहिए।हालांकि आपको गिनने की जरूरत नहीं है बस रेशेदार पदार्थ लेने की कोशिश करें जैसे ताजे फल व सब्जियां (कच्चे या हल्के पके, छिलके सहित) साबुत अनाज के सेरेल व ब्रेड, फलीदार पदार्थ (बींस व मटर) व सूखे मेवे। हरी सब्जियां काफी फायदेमंद रहेंगी। इनके साथ ही आप रसीली मीठी कीवी (छोटा सा फल जिसमें काफी लेक्सेटिव पाया जाता है) को अपना सकती हैं। अगर आपने आज से पहले रेशेदार पदार्थों की ज्यादा मात्रा नहीं ली तो इस मात्रा को धीरे-धीरे बढ़ाएं वरना पाचन तंत्र विद्रोह कर सकता है। उदर वायु भी बढ़ सकती है क्योंकि आपके आहार में रेशे की मात्रा बढ़ी है। आप अपने खाने में गेहूं की चोकर भी शामिल कर सकती हैं। जोश-जोश में जरूरत से ज्यादा फाइबर न लें। ये तेजी से आपके तंत्र में पहुंचते हैं। इस तरह तो महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व भी शरीर में घुले बिना बाहर निकल जाएंगे।

रिफाइंड पदार्थों की मनाही :- जिस तरह फाइबर कब्ज के लिए फायदेमन्द है उसी तरह रिफाइंड पदार्थ कब्ज बढ़ाते हैं। सफेद ब्रेड,चावल व अन्य बेक्ड पदार्थों से दूर रहें।

सही समय पर जाएं :- आंतों की प्रक्रिया को लगातार रोका जाए तो नियंत्रण रखने वाली मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं। उसके लिए सही टाइमिंग अपनाएं। अपना फाइबर युक्त नाश्ता समय से थोड़ा पहले लें ताकि ट्रैफिक में फंसी कार में शौच जाने की इच्छा न हो।आप घर से ही पेट साफ करके जा सकें।

सिक्स मील सोल्यूशन :-  भारी भोजन से आपके पाचनतंत्र पर काफी दबाव पड़ता है,जिससे कब्ज होती है। दिन में तीन बार भारी भोजन करने की बजाय सिक्स मील सोल्यूशन अपनाएं यानी दिन में छः बार हल्का भोजन करें। इस तरह गैस व अफारा से भी बची रहेंगी।

तरल पदार्थों का सेवन :- अगर आप पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेती हैं तो कब्ज टिक ही नहीं सकती। पानी, फलों व सब्जियों के रस,भोजन को पाचन तंत्र में आगे ले जाते हैं। अगर हल्का गुनगुना पानी लेंगी तो और भी बेहतर होगा : जैसे हल्के गर्म पानी में नींबू का रस!इससे आपके पेट की आंतों में संकुचन हो गाया दूसरे शब्दों में प्रेशर बनेगा।

सप्लीमेंट व दवाएं : कई गर्भावस्था सप्लीमेंट व दवाएं ताकत देने के बावजूद कब्ज को भी न्यौता देते हैं एंटीएसिड गर्भवती महिलाओं के मित्र कहे जा सकते हैं। अपने डॉक्टर से पूछकर उन्हें ले सकती हैं। वैसे मैग्नीशियम सप्लीमेंट भी कब्ज से लड़ने में मदद करते हैं।

कुछ बैक्टीरिया लें :- प्रोबॉयोटिक्स बैक्टीरिया,आंतों के बैक्टीरिया से उत्तेजित कर सकते हैं,जिससे भोजन का पाचन सही तरीके से हो सके। दही व योगर्ट से बने पेय पदार्थों का स्वाद लें। आप डॉक्टर की राय से प्रोबॉयोटिक्स सप्लीमेंट भी ले सकती हैं। इसका कोई स्वाद नहीं होता। इसके पाउडर फार्म को आसानी से किसी भी स्मूदीज़ में मिला सकते हैं।

व्यायाम करें :- सक्रिय-शरीर में कब्ज नहीं रहती। अपने रूटीन में कम से कम आधे घंटे की चहलकदमी शामिल करें। इसके साथ गर्भावस्था में सुरक्षित व्यायाम भी दिए जा सकते हैं। अगर आपके सभी उपाय नाकामयाब हो जाएं तो डॉक्टर की राय लें। अपनी मर्जी से कोई भी हर्बल उपाय या कैस्टर ऑयल वगैरह इस्तेमाल न करें।

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