यह बात सच है कि पहले बच्चे के जन्म लेते ही  महिलाओं में  कई  सारे परिवर्तन आ जाते हैं और दोबारा गर्भवती होने के लिए महिला को समय, काम करने की शैली, शरीर की ऊर्जा एवं आर्थिक अवस्था पर निर्भर करती है, क्योंकि दूसरी बार गर्भावस्था के दौर से गुजरने के लिए मां का स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए।

‘‘यह मेरी दूसरी गर्भावस्था है। यह पहली से कितनी अलग हो सकती है।”
कोई भी दो गर्भावस्थाएं हमेशा एक सी नहीं होती। हम यह भी नहीं कह सकते कि आपके नौ महीने शुरूआत से आखिर तक कितने अलग होंगे। हालांकि कुछ सामान्य बातों का जिक्र किया जा सकता है लेकिन वे हमेशा सच नहीं होती।
  • आपको पहले के मुकाबले गर्भावस्था का जल्दी अंदाजा हो जाएगा। आमतौर पर दूसरी बार में गर्भावस्था के लक्षण पहचानना आसान होता है। हालांकि वे पहले से काफी घटे हुए होंगे। सुबह-सुबह ज्यादा जी नहीं मिचलाएगा पाचन की गड़बड़ी भी ज्यादा नहीं होगी। आपको थकान ज्यादा महसूस होगी क्योंकि पहली गर्भावस्था के मुकाबले इस बार दिन में आराम करने या झपकी लेने का समय कम ही मिलेगा।
  • खाने से अरुचि या कोई खास खाने की इच्छा जैसे लक्षण, दूसरी व बाद की गर्भावस्था में अधिक दिखाई नहीं देते। वक्षस्थल में ज्यादा बदलाव नहीं आता। संवेदनशीलता और चिंता भी पहले जैसे नहीं होते। प्रसव में ज्यादा तकलीफ भी नहीं होती।
  • आप जल्दी ही गर्भवती दिखने लगेंगी, यानी उभार साफ दिखने लगेगा। आपको स्वयं पता लगेगा यह गर्भावस्था, पहली के मुकाबले थोड़ी अलग है। आपके पेट का उभार पहले से बड़ा होगा क्योंकि यह शिशु, पहले शिशु के मुकाबले बड़ा होगा। पेट व पीठ दर्द और गर्भावस्था की बाकी तकलीफें भी पहले से कम होंगी।
  • आपको शिशु की हलचल, पहले के मुकाबले जल्दी सुनाई देगी। मांसपेशियों के ढीलेपन की वजह से ऐसा होगा। आप आसानी से इसे महसूस कर पाएंगी। हो सकता है कि आप पहली गर्भावस्था में इन हलचलों को सही तरीके से महसूस न कर पाई हों।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  • आपमें पहली जितनी उत्तेजना नहीं होगी हालांकि मन ही मन रोमांच तो होगा,लेकिन हर राह चलते को यह खुशखबरी सुनाने की उमंग नहीं होगी। यह एक सामान्य प्रतिक्रिया है, इससे दूसरे शिशु के लिए प्यार में कोई कमी नहीं आएगी। याद रखें कि अब आप पहले शिशु से भी शारीरिक रूप से जुड़ी हैं।
  • प्रसव-पहले से कहीं आसानी से हो पाएगा। पहले बच्चे के जन्म के समय वे मांसपेशियां ढीली पड़ गई होंगी इसलिए दूसरे शिशु के जन्म में ज्यादा समय भी नहीं लगेगा। प्रसव पीड़ा और प्रसव का हर चरण छोटा होगा और शिशु को बाहर धकेलने में भी ज्यादा समय नहीं लगेगा।
  • आपको बड़े ही अच्छे तरीके से पहले बच्चे को दूसरे मेहमान के आने की सूचना देनी होगी। इसके लिए आपको सोच-समझ कर उचित शब्दों का चुनाव करना होगा, ताकि वह बच्चा भी नए भाई-बहन के स्वागत के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सके।
‘मेरा पहला शिशु स्वस्थ था। अब मैं फिर से गर्भवती हूं। क्या इस बार भी मैं इतनी ही किस्मतवाली रहूंगी?’
जी हां! इस बार भी आपका बेबी जैकपॉट लगने वाला है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि इस बार तो पहले के मुकाबले कई खतरे कम होंगे और आप ज्यादा अच्छी चिकित्सकीय देखभाल, आहार, व्यायाम व जीवनशैली केबल पर शिशु को जन्म दे पाएंगी।
 

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