Overview: MRI करवाने से पहले जान लें ये थंब रूल, वरना पड़ेगा पछताना
पहली बार MRI करवाने से पहले जरूरी प्रकिया को समझना और जानना बेहद जरूरी है। साथ ही सावधानियां बरतने से प्रक्रिया आसान हो सकती है।
Tips For MRI: पहली बार MRI यानी मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग करवाने से पहले थोड़ा घबराना स्वाभाविक है। मशीन की तेज आवाज और संकरा स्थान मरीज को भयभीत कर सकता है। हाल ही में हुई एक घटना जिसमें न्यूयॉर्क के एक 61 वर्षिय बुजुर्ग की मशीन में फंसने से दर्दनाक मौत हो गई। हांलाकि इसका कारण मशीन नहीं बल्कि उसकी सोने की चेन थी, जो मशीन में चिपक जाने से मौत का कारण बनी। MRI करवाने से पहले यदि इसकी पूरी प्रक्रिया को सही ढंग से समझ लिया जाए तो चिंता को कम किया जा सकता है और अनुभव को बेहतर बनाया सकता है। MRI रूम में क्या ले जाना चाहिए और क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए चलिए जानते हैं इसके बारे में।
क्या है MRI

MRI आधुनिक चिकित्सा का एक उन्नत और गैर-आक्रामक नैदानिक उपकरण है। यह बिना किसी चीरे या दर्द के मस्तिष्क, रीढ़, जोड़ों, पेट और रक्त वाहिकाओं की विस्तृत फोटोज प्रदान करता है। इस मशीन में कई तरह के रेडियो वेव और चुंबक लगी होती हैं जो मरीज को करीब से स्कैन करती हैं।
मैटल हो सकती है खतरनाक
MRI का सबसे महत्वपूर्ण नियम है कि स्कैन के दौरान किसी भी प्रकार का धातु यानी मैटल पास में नहीं होना चाहिए। एमआरआई मशीन में शक्तिशाली चुंबक होते हैं जो शरीर की स्पष्ट तस्वीरें लेने में मदद करते हैं। लेकिन अगर आपके शरीर में धातु है, जैसे: पेसमेकर, आर्टिफीशियल ज्वॉइंट्स, दंत प्रत्यारोपण, प्रत्यारोपण सर्जिकल क्लिप या पुरानी चोट से धातु के टुकड़े हैं तो ये स्कैन के दौरान गंभीर जोखिम पैदा कर सकते हैं। धातु चुंबकीय बल के तहत हिल सकती है या गर्म हो सकती है, जिससे नुकसान हो सकता है या फोटोज की क्वालिटी प्रभावित हो सकती है।
गर्भावस्था और एमआरआई
यदि आप गर्भवती हैं, तो फर्स्ट ट्रमिस्टर में एमआरआई से आमतौर पर बचा जाता है, जब तक कि बहुत जरूरी न हो। यह शिशु के विकास का महत्वपूर्ण समय होता है। एमआरआई में एक्स-रे या सीटी स्कैन की तरह हानिकारक रेज का उपयोग नहीं होता, इसलिए डॉक्टर प्रारंभिक गर्भावस्था में जोखिम से बचते हैं। बाद में, यदि आपकी या शिशु की सेहत के लिए जरूरी हो, तो डॉक्टर के उचित मार्गदर्शन के साथ इसे किया जा सकता है।
कॉन्ट्रास्ट डाई से खतरा

कभी-कभी डॉक्टर कॉन्ट्रास्ट एमआरआई की सलाह देते हैं, जिसमें गैडोलीनियम-आधारित डाई को नस में इंजेक्ट किया जाता है ताकि मस्तिष्क, रीढ़ या रक्त वाहिकाओं की फोटोज स्पष्ट हो सकें। लेकिन यह डाई हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं है। किडनी की समस्या होने पर डाई हानिकारक हो सकती है।
क्लॉस्ट्रोफोबिया का डर
कई लोग तब तक नहीं समझते जब तक वे मशीन के अंदर नहीं जाते। पारंपरिक “क्लोज्ड” एमआरआई मशीनें संकरी और बंद होती हैं। यदि आपको क्लॉस्ट्रोफोबिया, तो यह अनुभव भारी पड़ सकता है। हालांकि इसे प्रबंधित करने के तरीके हैं जैसे स्कैन से पहले गहरी सांस या विज़ुअलाइज़ेशन जैसी रिलैक्सेशन तकनीकें आजमाएं, शोर-रद्द करने वाले हेडफोन या हल्का संगीत सुनें, कुछ मामलों में, डॉक्टर हल्का सेडेटिव दे सकते हैं।
मशीन की तेज आवाज
MRI मशीनें स्कैन के दौरान तेज खटखट या भनभनाहट की आवाज करती हैं। यह पूरी तरह सामान्य है और इमेजिंग प्रक्रिया का हिस्सा है। शोर चुंबकों के तेजी से चालू-बंद होने से होता है। हालांकि टेक्नीशियन शोर-रद्द करने वाले हेडफोन या ईयरप्लग प्रदान करते हैं। घबराएं नहीं, यह प्रक्रिया का हिस्सा है।
स्थिर रहना बहुत जरूरी
एमआरआई स्कैन के दौरान मशीन शरीर की विभिन्न कोणों से तस्वीरें लेती है। यदि आप थोड़ा भी हिलते हैं, तो तस्वीरें धुंधली हो सकती हैं, और स्कैन दोहराना पड़ सकता है। कुछ स्कैन 15-30 मिनट लेते हैं, जबकि अन्य 45-60 मिनट तक चल सकते हैं। इसलिए स्थिर रहना सर्वोत्तम परिणामों की कुंजी है।
