Lotus Birth Effects: पहले डिलीवरी के लिए केवल दो तरीके होते थे नॉर्मल और सिजेरियन, लेकिन समय के साथ डिलीवरी के तरीकों में भी काफी बदलाव आया है। वर्तमान में महिलाएं वॉटर बर्थ का चुनाव करने लगी हैं। ऐसी ही एक नई प्रक्रिया है जिसमें जन्म के बाद प्लेसेंटा और अंबिलिकल कॉर्ड (गर्भनाल) को बच्चे से अलग नहीं किया जाता, इसके अपने आप अलग होने का इंतजार किया जाता है। इस प्रॉसेस को लोटस बर्थ के नाम से जाना जाता है। हालांकि अंबिलिकल कॉर्ड को अलग होने में कई दिन या सप्ताह लग जाते हैं। लोटस बर्थ को लेकर सबका अपना-अपना तर्क और विचार हैं। कुछ लोग इसे फायदेमंद मानते हैं तो कुछ इसे मां और बच्चे के लिए रिस्की बताते हैं। तो चलिए जानते हैं लोटस बर्थ के बेनिफिट्स और रिस्क के बारे में।
क्या लोटस बर्थ सेफ है

लोटस बर्थ को लेकर बहुत अधिक रिसर्च नहीं हुई है, इसलिए इसके बारे में बहुम कम लोगों को ही जानकारी है। बच्चे के जन्म के बाद प्लेसेंटा का कोई काम नहीं होता, इसलिए इससे संक्रमण का खतरा हो सकता है, जो बच्चे में भी फैल सकता है। लोटस बर्थ के मामले में मेडिकल एविडेंस उपलब्ध न होने के कारण इस प्रक्रिया को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं कहा जा सकता है।
लोटस बर्थ के क्या हैं बेनिफिट्स
लोटस बर्थ के बेनिफिट्स वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं किए गए हैं लेकिन कुछ बेनिफिट्स ऐसे हैं जो महिलाओं को महसूस हो सकते हैं।
- – लोटस बर्थ के बाद नवजात शिशु शांत और अच्छा महसूस कर सकते हैं।
- – माता और शिशु दोनों को ब्रेस्ट फीडिंग का बेहतर अनुभव हो सकता है।
- – प्लेसेंटा के अधिक देर तक जुड़े रहने से मां और बच्चे के बीच बेहतर संबंध बनाने में मदद मिल सकती है।
- – नवजात शिशुओं में एनीमिया को रोकने में मदद मिल सकती है।
लोटस बर्थ के क्या रिस्क हो सकते हैं

लोटस बर्थ के रिस्क या जोखिम इसके बेनिफिट्स से अधिक हैं, इसलिए अभी भारत में डॉक्टर्स इसे कराने की सलाह नहीं देते हैं।
- – ओल्फलाइटिस, नवजात शिशु में अंबिलिकल कॉर्ड और उसके आसपास के टिशू संक्रमित हो सकते हैं।
- – जन्म के बाद बच्चे को हेपेटाइटिस या पीलिया हो सकता है।
- – यदि आपकी प्री-मैच्योर डिलीवरी है या बच्चा समय से पहले जन्म लेता है, तो उसे एनआईसीयू में रखा जा सकता है। ऐसे में लोटस बर्थ संभव नहीं होता।
- – अंबेलिकल कॉर्ड के एरिया में खुजली, सूजन, खिंचाव और दर्द की समस्या हो सकती है। ये मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
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लोटस बर्थ के बाद बच्चे की कैसे देखरेख करें
लोटस बर्थ के बाद प्लेसेंटा की विशेष देखभाल करनी चाहिए। इसकी सुरक्षा के लिए इन उपायों को अपनाया जा सकता है।
- – प्लेसेंटा को शिशु के शरीर के पास रखें ताकि गलती से ये खिंच न जाए।
- – इंफेक्शन और दुर्गंध को रोकने के लिए प्लेसेंटा और अंबिलिकल कॉर्ड पर नमक, औषधि और एसेंशियल ऑयल लगा सकते हैं। फिर इसे प्लेसेंटा बैग में स्टोर कर सकते हैं।
- – शिशु को ढीले और सामने से खुले कपड़े पहनाएं।
- – बच्चे को फीड कराते समय, उठाते और कपड़े बदलते समय सावधानी बरतें।
