Stay Away from Phone: जिस पल हम जागते हैं वह पूरे दिन के लिए हमारा मूड सेट कर देता है। आपने नोटिस किया होगा कि जब भी अलार्म बजता है, तो हम सबसे पहले अपने फोन को हाथ लगाते हैं। ढेर सारे नोटिफिकेशन, ईमेल और सोशल मीडिया अपडेट के बीच दिन की शुरुआत करने की आदत चिंताजनक रूप से आम हो गई है। लेकिन कई लोगों को यह अहसास ही नहीं है कि इस डिजिटल बाढ़ का हमारे शरीर को कितना नुकसान पहुंचाया है।
क्या आप कभी किसी परेशान करने वाली खबर या झगड़े के साथ जागे हैं और फिर क्या आपके पूरे दिन निराशा या गुस्सा बना रहा? यह बिल्कुल वैसा ही होता है जब हम दिन के पहले घंटे में अपना फोन उठाते हैं।
सुबह के समय शरीर को समझें

जागने पर हमारे शरीर की रिस्पॉन्स असाधारण होता है। कोर्टिसोल, वह हार्मोन जो हमें पूरे दिन के लिए ऊर्जावान बनाता है, हमें सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करता है। हालांकि, जब आप खुद पर स्क्रीन का बोझ डालते हैं तो इसमें बाधा पैदा होती है। दरअसल, आर्टिफिशियल लाइट के बहुत अधिक संपर्क में रहने से हमारे शरीर में मेलाटोनिन का उत्पादन प्रभावित होता है, जो नींद के पैटर्न को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार हार्मोन है। यह हमारे शरीर की आंतरिक घड़ी के संतुलन को बिगाडऩे जैसा है, जिससे हमारी मानसिक स्थिति और शारीरिक स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
कई वैज्ञानिक अध्ययन इसका समर्थन करते हैं। उन्होंने दिखाया है कि सुबह स्क्रीन के संपर्क में आने से हमारी सर्कैडियन रिदम बाधित हो सकती है, जिससे पूरे दिन मूड स्विंग्स और नींद में खलल पैदा हो सकता है। इतना ही नहीं, जरूरत से ज्यादा सूचनाओं का बोझ भी हमारे दिमाग को तनावग्रस्त करता है, जिससे दैनिक चुनौतियों को प्रभावी ढंग से संभालने की हमारी क्षमता प्रभावित होती है।
जानें माइंडफुलनेस के पीछे का साइंस
माइंडफुलनेस प्रैक्टिस भी दिन के लिए सही टोन सेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कई स्टडीज लगातार मेंटल हेल्थ पर माइंडफुलनेस के सकारात्मक प्रभाव को प्रदर्शित करती हैं। जान-बूझकर कुछ मिनटों तक ब्रीदिंग प्रैक्टिस करना, ध्यान करना या प्रार्थना करना तनाव के स्तर को काफी कम कर सकता है, फोकस में सुधार कर सकता है और दिन के लिए पॉजिटिव माइंडसेट को सेट कर सकता है।
अपनी सुबह को बनाएं सुखदायक
जरा कल्पना करें कि आप सुबह जागें और शांत रिफलेक्शन के कुछ क्षणों का आनंद लें, उसके बाद हल्की स्ट्रेचिंग करना या पार्क में टहलें। ये छोटी-छोटी चीजें आपके दिन को अधिक संतुलित और सामंजस्यपूर्ण बनाने के लिए मंच तैयार करते हैं। एक सुबह का रूटीन बनाकर जो प्रकृति, माइंडफुलनेस और सेल्फ केयर से जुड़ा है, आपको मानसिक परिदृश्य को बदल सकता है। स्वयं और प्राकृतिक दुनिया के साथ फिर से जुड़कर और डिजिटल शोर से छुटकारा पाकर आप मानसिक कल्याण को बढ़ावा दे सकते हैं।
जागने के बाद का पहला बेहद घंटा कीमती होता है। यह पुनर्गणना करने और दिन के लिए एक पॉजिटिव ट्रजेक्टरी सेट करने का एक अवसर है। इस महत्वपूर्ण समय के दौरान टेक्नोलॉजी से दूर होने का मतलब सिर्फ डिस्कनेक्ट करना नहीं है। यह उस चीज से दोबारा जुडऩे के बारे में है जो वास्तव में हमारे दिमाग और आत्मा को पोषण देती है। इसलिए, जब कल सुबह की रोशनी आपकी खिड़की से झांकती है, तो आप डिजिटल समुद्र में गोता लगाने के बजाय, बाहर कदम रखें। ताजी हवा में सांस लें और प्रकृति को खुलकर गले लगाएं। यह आपको स्पष्टता, संतुलन और उत्साह से भरे दिन की ओर अग्रसर करेगी। डिजिटल डिस्ट्रैक्शन से भरी दुनिया में, सुबह की अनप्लग्ड आपको खुद और प्रकृति से जुडऩे का मौका देती है, जिससे आपको अधिक ब्राइटर और बेहतर मानसिक परिदृश्य को बढ़ावा मिलता है।
नेचर से करें रीकनेक्ट
लेकिन अब आपको डरने की जरूरत नहीं है। इसका एक सरल और शक्तिशाली समाधान है- सुबह के समय प्रकृति के करीब थोड़ा वक्त बिताएं। सूरज की रोशनी या हरियाली जैसे प्राकृतिक तत्वों के साथ जुडऩे से हमारी आंतरिक घडिय़ां, यानी सर्कैडियन रिदम फिर से व्यवस्थित हो सकती है। इतना ही नहीं, इससे हमारी मानसिक स्थिति पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
कई रिसर्च में भी सुबह की धूप के फायदों पर प्रकाश डाला गया है। प्राकृतिक प्रकाश के संपर्क में आने वाले लोगों ने अधिक सतर्क और कम तनाव महसूस किया।
