-आजकल पैर एड़ियों में दर्द रहता है।
-हाथों पैरों में सूजन भी रहती है।
-वजन भी बढ़ रहा है।
तो हो सकता है कि आपको वॉटर रिटेंशन की दिक्कत हो। ये एक ऐसी परेशानी है, जिसमें शरीर में पानी और नमक बढ़ जाने की वजह से बनती है। इसमें पानी टिशू में इकट्ठा होने के साथ कई परेशानियों का सबब बनता जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इसका इलाज संभव नहीं है या इसको संभाल पाना कठिन हो। कुछ सावधानियों के साथ इस शारीरिक बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। कई घरेलू उपाय भी ऐसे हैं, जिनके साथ इस परेशानी से छुटकारा मिल सकता है। लेकिन इसके पहले ये पता होना भी जरूरी है कि इस दिक्कत के कारण क्या हैं? सिर्फ कारण ही नहीं इस दिक्कत से जुड़े टिप्स और घरेलू उपाय भी चलिये जान लेते हैं-

आयुर्वेद में इसका मतलब-
आयुर्वेद में इसे शोथ कहा गया है। इसमें शरीर के अंदर अतिरिक्त पानी जमा हो जाता है। इसके दो प्रकार माने गए हैं, सर्वांग शोथ और स्थानिक शोथ। कई बार खून की कमी के कारण भी शोथ होता है।
देर तक बैठे रहना भी है कारण-
• वॉटर रिटेंशन के लिए लंबी यात्रा भी कारण ही सकती है। दरअसल बहुत देर तक एक ही जगह बैठे रहने से भी ये समस्या घर कर सकती है। इसके साथ दूसरे कारण भी जान लीजिए-
• एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नाम के हार्मोन्स का महावारी के दौरान घटना-बढ़ना भी वजह हो सकती है। इससे शरीर के टिशू में अधिक पानी जमा हो जाता है।
• गर्भावस्था में भी कई बार पानी बढ़ जाता है। शरीर मेंकुल 6 से 8 लीटर तक पानी बढ़ सकता है और वॉटर रिटेंशन की दिक्कत भी हो सकती है।
• दिल कमजोर है तो भी ये परेशानी हो सकती है, दरअसल जब दिल खून को पंप करने में कमजोर हो जाता है तो नसों में रक्तचाप बढ़ने लगता है। इस वक्त टिशू में तरल जमा होने लगता है।
• ज्यादा नमक खाती हैं तो भी आपको वॉटर रिटेंशन की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसमें मौजूद सोडियम शरीर में पानी की उचित मात्रा बनाए रखता है। लेकिन इसकी मात्रा ज्यादा होने पर शरीर में पानी बढ़ सकता है।
कैसे पता चले वॉटर रिटेंशन है-
पेट, पैर और हाथ, चेहरे में सूजन इस स्थिति में आ सकती है। वजन का अचानक घटना-बढ़ना भी इस वजह से हो सकता है। इसके साथ जोड़ों में अकड़न होना भी इस शारीरिक परेशानी की लक्षण हो सकता है।
घरेलू इलाज-
इस बीमारी के कई घरेलू इलाज भी हैं। जिनको अपनाकर बिना किसी साइड इफेक्ट के इस दिक्कत से निपटा जा सकता है। चलिए इनके बारे में जान लें-
• एक गिलास गरम पानी में एक बड़ा चम्मच सेब का सिरका डाल लें। इसे दिन में 2 से 3 बार पीएं। इससे शरीर में सोडियम की मात्रा कम होगी और पानी की मात्रा भी जरूरत के हिसाब से हो जाएगी।
• रोज एक से दो लहसुन की कलियां चबाएं। इससे शरीर का अतिरिक्त पानी निकाल जाता है।
• रोज पौष्टिक चीजों का सेवन करें, जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, टमाटर और सोयाबीन, इनसे भी शरीर में पानी की मात्रा संतुलित रहती है।
• एक चम्मच कसे हुए अदरक को एक कप पानी में मिलाकर उबालें। इसे हल्का ठंडा करके शहद मिलाएं। इसस्को रोज दो बार लें।
• लैवेंडर के तेल की करीब 20 बूंदें, पानी से बहरे टब में डालें। और कुछ देर बाद इससे नहा लें। इसके इंफ्लेमेटरी गुण सूजन से दूरी बनाने में मदद करते हैं।
• सेंधा नमक को नहाने के पानी में मिला लें और इससे कुछ देर बाद नहा लें। इसमें मौजूद इलेक्ट्रोलाइट पानी को संतुलित रखने में मदद करता है।

आयुर्वेदिक औषधि-
आयुर्वेदिक जानकारों की मानें तो पुनर्नवा, गिलोय, मकोय आदि औषधियों का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ क्या खाएं क्या नहीं पर भी ध्यान देना होगा-
खाएं-
जौ, शाली चावल मूंग की दाल कुलथी की दाल परवल सहजन की पत्ती परवल की पत्ती मकोय की पत्ती बथूआ चौलाई का प्रयोग करना चाहिए
ना खाएं-
दही अचार लवण दिन में सोना अधिक जल को पीना निषेध किया गया है।
(वरिष्ठ आयुर्वेदिक डॉक्टर अनिल मंगल से बातचीत पर आधारित)
