महिलाएं अपने वातावरण तथा परिवेश के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती है। उनके संसार को कोई भी चोट पहुंचाता है, तो उसके प्रति ज्यादा जागरूक रहती हैं। वास्तव में इस विषय पर भारत में आज तक कोई अध्ययन नहीं किया गया है किंतु पश्चिम में किए गए अध्ययनों से विदित हुआ है कि पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियां वातावरण में पैदा जोखिम के प्रति ज्यादा चिंता करती हैं तथा अपने तथा अपने परिवार के लाभ के लिए संसार को सदैव अच्छा बनाना चाहती हैं।

हम आपके लिए कुछ विचार प्रस्तुत कर रहे हैं। आप चाहें गांव में निवास करती है या शहर में, ये आप के काम आएंगे। राजनेता तथा विशेषज्ञ मात्र बाते करते हैं, वे इस दुनिया को बचाने के लिए कुछ भी नहीं करते। महिलाएं हरदम अपने परिवार के स्वास्थ्य तथा सुव्यवस्था के लिए काम करती हैं। ये छोटी-छोटी बातें घर को साफ-सुथरा तथा रहने लायक बनाती हैं। इससे न केवल आपके बच्चे सदैव आपके ऋणी रहेंगे अपितु घर का भविष्य भी अच्छा होगा। आइए जानें अपने घर-संसार बचाने के तरीके।

गलतियों से सीख लें

हमारे पर्यावरण को खत्म करने के लिए जो गलतियां शहरी लोगों ने की है उनसे बचिए। ग्रामीण भारत सोचे-समझे यदा-कदा शहरी भारत की चमक-दमक से प्रभावित हो जाता है जब हमारी पारिवारिक सोच हमें व्यवस्थित तथा नैसर्गिक रूप से जीवन जीना सिखाती है। उदाहरणार्थ मिटी के निर्मित घरों के कई फायदे थे। उसमें गर्मी भी नहीं लगती थी जबकि आज के गांव वासी सीमेंट से घर बनाने लगे हैं। इस प्रकार के घरों को बनाने पर न केवल खर्चा अधिक होता है वरन ज्यादा गर्म के वजह पंखे और कूलर भी लगाने पड़ते हैं। हालांकि शहरों में भी कुछ व्यक्ति मिट्टी वास्तु शिल्प में विश्वास रखते हैं किंतु सीमेंट की चमक-दमक के वजह इसे स्वीकृति नहीं मिली है।

गोबर गैस का प्रयोग

ग्रामीण इलाके में गोबर गैस की कमी नहीं हो सकती है। कुछ परिवार मिलकर अपने-अपने में घर के पिछवाड़े में गैस की व्यवस्था कर सकते हैं। इस प्रकार एक साफ-सुथरी विधि से भोजन पकाया जा सकता है। रसोई में धुआं न होने के वजह आप को सांस की परेशानी नहीं होगी। बहुत से गांवों में यह तरीका सफलतापूर्वक काम कर रहा है तथा इन गांवों की तस्वीर ही बदल गई है।

कीटनाशकों की जगह नीम का प्रयोग करें

अपने बगीचें तथा खेत में मेलाथियान तथा एल्ड्रीन की जगह विषरहित नीम की खली का प्रयोग करें। यदि आपके गमलों पर चीटियों ने आक्रमण कर दिया है, तो गमलों के नीचे हल्दी छिड़क दें। इस दशा में ज्यादातर मनुष्य गैमेक्सीन प्रयोग करते हैं, जो अत्यधिक घातक है। रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद प्रयोग करें। समस्त आधुनिक कीट-नाशक में जहरीले रसायन होते हैं जो भोजन के माध्यम से आपके काया में प्रवेश कर कैंसर की वजह बन सकते हैं।

पेड़-पौधे लगाएं

अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को पेड़ लगाकर हरा-भरा बनाएं। नीम हवा को साफ रखता है इसलिए अपने घर के आस-पास नीम अवश्य लगाएं। यूकेलिह्रश्वटस (गंधफेदा) या ऐसे वृक्ष जिन्हें अधिक जल की आवश्यकता होती है इन्हें कदापि न लगाएं। पेड़ ताजगी और स्फूर्ति प्रदान करते हैं। अगर घर के नजदीक जरा सी भी जगह हो, तो उसमें पालक, टमाटर, गाजर, अदरक तथा आलू लगाएं। इस काम में परिवार की सहायता लें। थोड़ी-सी मेहनत से आपको कीटनाशकों के विष से मुक्त सब्जियां खाने को मिलेंगी।

पर्यावरण पर बच्चों से बातें करें

अपने बच्चों को पर्यावरण से रक्षण का महत्त्व बताएं। तथा उन्हें जागरूक करें। साथी की भांति साथ बैठकर तथा उनके हाथ पकड़कर उन्हें पर्यावरण का महत्त्व समझाएं, फिर देखिए कैसे होता है चमत्कार।

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