Bhindee
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Bhindee : भिंडी की खास बातें-

  • भिंडी उन गिनी-चुनी सब्जियों में से एक है जो संसार के तकरीबन सभी देशों में पाई जाती है।
  • भिंडी का वानस्पतिक नाम ‘हिबिस्कस एबेलमोस्कस इस्कुलेन्ट्स’ है। भिंडी में फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो मधुमेह को नियंत्रित करने में उपयोगी साबित होता है।
  • भिंडी खून में पहले से मौजूद शुगर के अंश को सोख लेती है। और ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य बनाने में मदद करती है।
  • भिंडी हमारी आंतों के लिए फिल्टर का काम करती है। यह पेट के पित्त, अम्ल और कोलेस्ट्रॉल को बांध देती है, जिससे आंतों को नुकसान नहीं पहुंचता। भिंडी आंतों की खराश को भी दूर करती है। इसलिए पेचिश या गैस की समस्या में भी भिंडी काम आती है।
  • भिंडी हमारे शरीर में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया को मजबूत करती है। इसके साथ-साथ भिंडी शरीर में प्रोबायोटिक्स के विकास में भी मदद करती है, जिससे हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और पाचन तंत्र बेहतर होता है।

 

कई रोगों के लिए गुणकारी है भिंडी –

  • हैजे के मरीजों के लिए भिंडी बहुत फायदा करती है। हैजा होने पर इसके फलों को कुचलकर रस निकालकर मिश्री के साथ मिलाकर हैजे के रोगी को पिलाइए, इससे तुरंत फायदा होगा।
  • मधुमेह के मरीज भिंडी की डंडी को काट लें, इसको छाया में सुखाकर पीसकर छान लीजिए। इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर आधा चम्मच सुबह खाली पेट पानी से फांकिए, इससे मधुमेह ठीक हो जाएगा।
  • पेचिश पड़ने पर भिंडी की सब्जी खानी चाहिए, क्योंकि इसकी सब्जी आंतों की खराश को दूर करती है। इसलिए पेचिश के मरीजों को इसका सेवन करने से फायदा होता है।
  • भिंडी पेशाब की जलन को दूर करती है। इसे खाने से पेशाब खुलकर और साफ आता है। इसलिए पेशाब की जलन होने पर भिंडी का सेवन करना चाहिए।
  • भिंडी से पेट की बिमारियां दूर होती हैं। 50 ग्राम भिंडी की जड़, सूखा पिंडारू, सूखा आंवला, विदारी कंद इन सबको समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लीजिए। इसमें 25 ग्राम पिसी हुई मुलेठी मिलाइए। इस चूर्ण को गाय के दूध के साथ सेवन करने से पेट के रोग समाप्त हो जाते हैं।

 

भिंडी न केवल एक सब्जी है, अपितु कई रोगों में कारगर औषधि का काम भी करती है। मधुमेह में तो यह रामबाण औषधि है। इसके लिए आप दो भिंडी लीजिए और उसे आगे और पीछे दोनों ओर से काट लें। इसमें से एक चिपचिपा सफेद तरल बाहर आना शुरू हो जाएगा, जिसे आपको धोना नहीं है। जब आप सोने जाएं तब इन कटी हुई भिंडी को पानी के गिलास में डाल दीजिए और गिलास को ढक दीजिये। सुबह होते ही पानी में से कटी हुई भिंडी के टुकड़े को निकालिए और पानी को पी लीजिए। अगर आपको ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करना है, तो इस विधि को लगातार कुछ महीनों के लिए करें। कच्ची भिंडी आपके लिए जितनी फायदेमंद होगी उतनी पकाई हुई भिंडी बिल्कुल नहीं होगी।

 

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कमजोरी या थकावट में भिंडी

क्मजोरी व थकावट महसूस करने वालों के लिए भिंडी ऊर्जावर्धक दवा की तरह काम करती है। डाॅक्टरों के मुताबिक भिंडी डिप्रेशन के शिकार लोगों के लिए भी फायदेमंद साबित होती है।

जोड़ों का दर्द

भिंडी में पाया जाने वाला लसलसा पदार्थ हमारी हड्डियों के लिए उपयोगी होता है। इसके अलावा भिंडी में कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो हड्डियों के लिए लाभकारी होती हैं। यह जोड़ों को लचीला बनाती हैं।

अस्थमा में लाभकारी

भिंडी अस्थमा के रोगियों के लिए भी काफी लाभकारी साबित होती है। भिंडी में पाया जाने वाला विटामिन सी अस्थमा के लक्षण को पनपने से रोकता है। इसके अलावा भिंडी फेफड़ों में सूजन और गले में खराश को ठीक करती है।

कमजोर आंखों के लिए फायदेमंद

भिंडी में विटामिन ‘ए’ की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो आंखों के लिए उपयोगी होती है। जिन लोगों की आंखें कमजोर होती है, उन्हें भिंडी खाने की सलाह दी जाती है। खाने में यदि भिंडी शामिल कर ली जाए तो आंखों की रोशनी तो दुरूस्त होगी ही, आंखों से संबंधित कई अन्य समस्याएं भी ठीक होती है। कुछ शोधों के मुताबिक भिंडी मोतियाबिंद के जोखिम को भी कम करता है, हालांकि भारत में अभी इस शोध जारी है।

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Bhindee : भिंडी में छिपा है सेहत का खजाना 4

 

 

चेहरे की खूबसूरती बढ़ाती है भिंडी

भिंडी में विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इस लिहाज से यह हमारी त्वचा के लिए भी वरदान है। त्वचा को पिंपल फ्री बनाना हो या चेहरे को चिकना और चमकदार बनाना हो, भिंडी हमेशा असरदार साबित होती है।

बालों की देखभाल

बेजान और रूखे बालों में बाउंस लाने के लिए भी आप भिंडी का इस्तेमाल कर सकते हैं। भिंडी को तब तक उबालें, जब तक कि वह एकदम पतली न हो जाए। फिर उस पानी में नींबू निचोड़कर बालों में लगाएं। इससे बालों की अच्छी कंडीशनिंग होगी और बालों में जान लौट आएगी।

धातु रोग में कारगर दवा

धातु रोग के मरीजों के लिए भी भिंडी किसी वरदान से कम नहीं है। इसके लिए गाय के दूध का दही जमाकर उसका मट्ठा बना लें। सवेरे भिंडी के दो या तीन फूल पीसकर इस ताजा मट्ठे में मिलाकर सेवन करने से धातु का जाना बंद हो जाता है। और रोगी में नई शक्ति का संचरण होता है। धातु विकार में भिंडी की जड़ को दूध में औंटा कर छानकर उसमें घी और खांड मिलाकर पीने से भी लाभ होता है। भिंडी के गुणों को देखते हुए इसके नियमित सेवन का निश्चय करें। भिंडी खरीदते समय यह अवश्य ध्यान दें कि वह सड़ी-गली, कीड़ों वाली अथवा कड़ी न हो। मुलायम, ताजा व पतली भिंडी, जिसमें कीड़े न लगे हों, आपको वांछित लाभ पहुंचाएगी।

(साभार – शशिकांत सदैव, साधना पथ)

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