सूर्यप्रकाश से हमें विटामिन डी मिलती है। यह एक हार्मोंन है जो हमारे शरीर में नहीं बनता, बल्कि सूर्य-प्रकाश से हमारी त्वचा द्वारा संश्लेषित किया जाता है। हमारी त्वचा जब धूप के संपर्क में आती है तो विटामिन डी के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। या यूं कहें तो विटामिन डी सूर्यप्रकाश से हमारी त्वचा में बनता है। विटामिन डी का मुख्य कार्य आहार द्वारा प्राप्त कैल्सियम को आंतों द्वारा अवशोषित करना है। 
कैल्सियम यह एक मुख्य खनिज है जो हमारे दांतों व शरीर की अन्य हड्डियों का पोषण करता है। बढ़ते हुए बच्चों, गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताओं के लिए कैल्सियम का होना अत्यंत आवश्यक है।
विटामिन डी की कमी और बढ़ती उम्र के साथ पाचन तंत्र की क्षमता कम होने के कारण आहार द्वारा ग्रहण किया हुआ कैल्सियम पाचन तंत्र से खून में पहुंच नहीं पाता है और मल द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। हमारे शरीर का 99′ कैल्सियम हड्डियों व दांतों में स्टोर रहता है और जब शरीर में कैल्सियम की कमी होती है तो वह क्षति-पूर्ति शरीर द्वारा दांतों और हड्डिïयों द्वारा की जाती है, जो कालांतर में कब्ज, एसिडिटी, दांत व हड्डिïयों के रोग व हृदय रोग के रूप में उभर कर सामने आती है।
अच्छी नींद और दिमागी सेहत के लिए विटामिन डी का होना अत्यंत आवश्यक है। इससे प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती है, थकान, मांसपेशियों की कमजोरी, हड्डिïयों की तकलीफ व डिप्रेशन से लडऩे में मदद मिलती है। यह एंटी-एजींग का काम भी करता है व त्वचा रोग, क्षय रोग और कैंसर जैसे रोगों से बचाता है। इसकी वजह से आंतों में कैल्सियम की मात्रा सही रहती है और यह कैंसर की कोशिकाओं से लडऩे में मदद करता है और 
आंतों का कैंसर, लीवर का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर व प्रोस्टेट कैंसर से बचाव करता है।यह हमारी भ्रांति है कि विटामिन डी की पूरक औषधियां ताकत के लिए इस्तेमाल की जा सकती है, बल्कि कई बार इनकी अधिकता से उल्टी या चक्कर आने जैसे शिकायतें हो सकती है। इसीलिए हमें प्रतिदिन खुली हवा में 20 से 30 मिनट धूप का आनंद लेना चाहिए या सूर्य स्नान करना चाहिए, ताकि हमें विटामिन डी का पूरा लाभ मिलें।