बवासीर तब होता है जब आपकी एनल कैनाल में इंफ्लेम हुए टिश्यू इक्कठा हो जाते हैं। उनमें ब्लड वेसल, सपोर्टिव टिश्यू, मसल और इलास्टिक फाइबर होते हैं। बहुत से लोगों को बवासीर होती है लेकिन लक्षण हमेशा एक जैसे देखने को नहीं मिलते हैं। अधिकतर लोगों को बवासीर के लक्षण 50 साल के होने से पहले दिखने लग जाते हैं। अगर आपको भी डर है कि कहीं आपको बवासीर तो नहीं है, तो आज के इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें क्योंकि इसमें हमने बवासीर के लक्षण, कारण और इससे आप कैसे ठीक हो सकते हैं, इन सभी विषयों के बारे में बताया है। तो आइए सबसे पहले जान लेते हैं बवासीर होती क्या है?

बवासीर क्या है?

ऐनल कैनाल के इन्फ्लेम्ड और सूजे हुए टिश्यू के इकठ्ठे हुए ग्रुप को ही पाइल्स या बवासीर कहा जाता है। इनका साइज हर व्यक्ति में अलग अलग हो सकता है चाहे वह आंतरिक हों या बाहरी। आंतरिक बवासीर लगभग एनस ओपनिंग के 2 से 4 सेंटीमीटर के बीच स्थित होती है जबकि बाहरी बवासीर एनस के बिलकुल बाहरी किनारे पर होती है।

लक्षण : 

वैसे तो बवासीर के लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं और यह अपने आप ही कुछ दिनों बाद ठीक हो जाते हैं। बवासीर से ग्रस्त व्यक्ति को आम तौर पर निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं। 

  • एक बहुत ही कठोर गांठ का एनस के पास महसूस होना। इसमें खून भी हो सकता है और जिस बवासीर में खून होता है उसे थ्रोंबोज्ड एक्सटर्नल पाइल्स कहा जाता है।
  • फ्रेश होने के बाद भी एक व्यक्ति को यह महसूस होता है कि उनकी आंतें या अंदरुनी भाग अभी भी भरा ही हुआ है।
  • एक बाउल क्रिया के बाद खून का दिखना।
  • एनस के आसपास का भाग लाल होना, उसमें दर्द रहना या खुजली होना।
  • स्टूल पास करने के बाद दर्द होना।
  • बवासीर अगर और गंभीर रूप धारण कर लेती है तो निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं : 
  • एनल में अधिक ब्लीडिंग होना और इसके कारण आपको एनीमिया का भी रिस्क हो सकता है।
  • इंफेक्शन।
  • बाउल गतिविधियों को नियंत्रित करने की अक्षमता।
  • एनल फिस्टुला हो जाना, एक ऐसी स्थिति जिसमें एनस के पास स्किन के सर्फेस और आंतरिक एनस के बीच एक चैनल उत्पन्न होना।
  • एक ऐसी स्थिति जिसमें बवासीर में खून नहीं आता, इस स्थिति में इंफेक्शन और ब्लड क्लाट होने का खतरा बढ़ जाता है।

बवासीर को 4 कैटेगरी में विभाजित किया गया है : 

ग्रेड 1 : इसमें एनस की लाइनिंग के अंदर छोटी इंफ्लेमेशन होती हैं जोकि दिखती नहीं है।

ग्रेड 2 : ग्रेड 2 पाइल्स ग्रेड एक पाइल्स एक मुकाबले अधिक बड़ी होती हैं पर यह भी एनस के अंदर ही होती हैं। यह स्टूल को निकालते समय बाहर निकल सकती हैं लेकिन यह किसी भी समय वापिस आ सकती है।

ग्रेड 3 : यह एनस के बाहरी भाग में देखने को मिलते हैं। इसमें व्यक्ति को कोई चीज लटकने जैसी महसूस हो सकती है लेकिन इनको वापिस से इंसर्ट किया जा सकता है।

ग्रेड 4 : इनको आप दुबारा से इंसर्ट नहीं कर सकते हैं और इनके लिए उपचार की जरूरत होती है। यह आम तौर पर बड़ी होती हैं और एनस के बाहरी साइड होती हैं।

कारण

  • बवासीर निचले रेक्टम में अधिक प्रेशर के कारण उत्पन्न होता है। इस कारण एनस के आस पास की ब्लड वेसल्स प्रेशर के कारण खींच जाती हैं और वह फूल जाती हैं या उनमें सूजन आ जाती है। ऐसा निम्न कारणों की वजह से भी हो सकता है : 
  • लंबे समय से चल रही कब्ज के कारण
  • क्रोनिक डायरिया
  • हैवी वेट उठाने के कारण
  • प्रेग्नेंसी के कारण
  • स्टूल पास करते समय जोर लगना।

पाइल्स की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?

आपके डॉक्टर फिजिकल एग्जामिन करने के बाद बवासीर का पता लगा सकते है। वह बवासीर के कारण और लक्षणों के आधार पर व्यक्ति की एनस को भी एग्जामिन कर सकते हैं। डॉक्टर निम्न प्रश्न भी पूछ सकते हैं : 

  • क्या आपके किसी रिश्तेदार को पाइल्स है?
  • क्या आपके स्टूल में किसी प्रकार का खून आता है?
  • क्या हाल ही में आपका वजन कम हुआ है?
  • स्टूल का रंग कैसा होता है?

आंतरिक पाइल्स को एक्सामिन करने के लिए डॉक्टर डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन का प्रयोग करते हैं। डॉक्टर एनस के अंदर के टिश्यू का सैंपल भी ले सकते हैं।

बवासीर के उपचार 

कैसे तो कुछ दिनों बाद बवासीर खुद ही ठीक हो जाती है और आधे से अधिक लोगों को इसके उपचार की आवश्यकता नहीं पड़ती है लेकिन उपचार करवाने से आप को बहुत से लक्षणों में राहत मिल सकती है।

लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करें

अगर आप बवासीर को ठीक करना चाहते हैं तो आपके डॉक्टर भी आपको लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने को बोल सकते हैं।

डाइट : कई बार बवासीर का कारण कब्ज भी बन जाती है इसलिए आपको ऐसा खाना खाना चाहिए जो आपके स्टूल को सॉफ्ट कर सके। इसके लिए अपनी डाइट में अधिक फाइबर, अधिक फल और सब्जियों को एड करें। अधिक से अधिक पानी पिएं और कैफ़ीन का सेवन न करें।

शरीर का वजन : अगर आपका वजन नियंत्रण में रहेगा तो भी आप बवासीर जैसी स्थितियों से बच सकते हैं इसलिए एक्सरसाइज और डाइट के माध्यम से अपना वजन कंट्रोल करें।

दवाइयां : बवासीर को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर आपको बहुत सी दवाइयां भी दे सकते हैं।

सर्जिकल तरीके : हर 10 में से एक व्यक्ति को जिसे बवासीर होती है, उसे सर्जरी की जरूरत होती है और इसके लिए भी बहुत से अलग अलग तरीकों का प्रयोग किया जाता है।

बवासीर में आपको दर्द का सामना करना पड़ सकता है लेकिन जब तक यह 3  लेवल तक रहती है तब तक जानलेवा नहीं बनती है और खुद ही ठीक हो जाती है लेकिन फिस्तुला जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए आपको डॉक्टर की मदद ले ही लेनी चाहिए।