Hydration during Pregnancy
Hydration during Pregnancy

Hydration during Pregnancy: एक स्त्री के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण, संवेदनशील और भावनात्मक चरण होता है गर्भावस्था। ये एक ऐसा दौर है जब महिला के शरीर में कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं। ऐसे समय में मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के बेहतर स्वास्थ्य और विकास के लिए संतुलित आहार, पर्याप्त आराम और समय पर रूटीन चेकअप की सख्त जरुरत होती है। इन सबके बाद भी एक ऐसी चीज है जो बेहद जरुरी है, लेकिन उसपर शायद बहुत कम लोगों का ध्यान जाता है। हम बात कर रहे हैं हाइड्रेशन के बारे में, गर्भावस्था के दौरान शरीर में उचित जल संतुलन बनाए रखना बेहद जरुरी है। गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ अलग-अलग तरह के तरल पदार्थों का सेवन भी सेहत के लिए लाभदायक है।

पानी की पर्याप्त मात्रा न केवल शरीर के तापमान को नियंत्रित रखती है , बल्कि पाचन क्रिया को सुधारने का भी काम करती है।

Stay hydrated
Stay hydrated

किसी भी गर्भवती महिला को अगर ये लक्षण दिखाई दें, तो यकीनन ये डिहाइड्रेशन का संकेत है।

बार-बार प्यास लगना

मुंह सूखते रहना

थकान के साथ चक्कर आना

Symptoms of dehydration
Symptoms of dehydration

गहरे पीले रंग का यूरीन आना या यूरीन की मात्रा में कमी होना

सूखे होंठ और त्वचा

सिरदर्द

गर्भवती महिला को हर दिन कम से कम 8 -10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। अगर मौसम गर्मी का है तो पानी की मात्रा ज्यादा की जा सकती है, एक बार अपने डॉक्टर से भी इस विषय पर जरूर राय लें।

शरीर में पानी की कमी ना हो इसके लिए पानी के साथ अन्य तरह के तरल पदार्थ भी लिए जा सकते हैं जैसे – नारियल पानी, फलों का रस, छाछ, नींबू पानी, सत्तू शरबत आदि।

अपने आस-पास कम से कम दो बोतल पानी भर कर रखें, इस तरह आप पानी पीना नहीं भूलेंगी।

Take care of your health

ज्यादा मीठे और कैफीन वाले तरल पदार्थों से बचें, क्योंकि ये डिहाइड्रेशन बढ़ाते हैं।

मौसमी सब्जियां और फल खाएं जिनमें पानी की मात्रा अधिक हो, जैसे तरबूज, खीरा, संतरा, हरी सब्जियां आदि।

Heal headache
Heal headache

डिहाइड्रेशन होने की वजह से गर्भवती महिलाएं अक्सर सिरदर्द और चक्कर की शिकायत करती है। यह स्थिति गर्भवस्था के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।

गर्भावस्था के दौरान मेटाबोलिज्म काफी बढ़ जाता है। इसकी वजह से शरीर को अधिक गर्मी का एहसास होता है। इस दौरान पानी शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखता है।

गर्भस्थ शिशु को सुरक्षा और पोषण देने वाला एमनियोटिक फ्लूइड मुख्य रूप से पानी से ही बनता है। शरीर में पानी की कमी होने पर यह प्रभावित होगा और शिशु के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

हार्मोनल बदलाव के कारण गर्भवती महिला की पाचन प्रक्रिया थोड़ी धीमी हो जाती है, जिससे कब्ज की समस्या होने लगती है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से कब्ज की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।यूरीन इन्फेक्शन की आशंका भी कम होती जाती है।

Remove toxins
Remove toxins

गर्भवती स्त्री के हाथ- पैर, और चेहरे पर सूजन आना आम बात है। शरीर में अनावश्यक फ्लूइड जमा होने के कारम ऐसा होता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने पर शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं।

उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली तरूणा ने 2020 में यूट्यूब चैनल के ज़रिए अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद इंडिया टीवी के लिए आर्टिकल्स लिखे और नीलेश मिश्रा की वेबसाइट पर कहानियाँ प्रकाशित हुईं। वर्तमान में देश की अग्रणी महिला पत्रिका...