प्राचीन काल से ही योग भारतीय जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा रही है। आज भारत ही नहीं पूरे विश्व ने योग के महत्व को स्वीकार किया है। दैनिक जीवन में कुछ योगासनों को अपनाकर हम शारीरिक परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं –
कब्ज- चक्रासन, अश्वासन, पश्चिमोत्तानासन, हलासन, सर्वांगासन, मत्यासन, मयूरासन, उत्कटासन, योगमुद्रा और शलयासन का अभ्यास करने से कब्ज रोग जड़ से नष्ट हो जाता है।
सिर दर्द-नाड़ी शोधन, जलनेति और शवासन के अभ्यास से सिर-दर्द दूर होता है।
मंदाग्नि-मयूरासन, भुजंगासन, वत्रासन, सर्वांगासन, उष्ट्रासन के अभ्यास से मंदाग्नि रोग ठीक होता है।
कमर दर्द-धनुरासन, चक्रासन, गौमुखासन, सुप्त वत्रासन ,उष्ट्रासन अश्वासन, भुजंगासन के अभ्यास से कमर दर्द में आराम मिलता है।
मधुमेह-नौकासन, चक्रासन, शीर्षासन, प्राणयाम, पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन आदि के अभ्यास करने मधुमेह में आराम पहुंचता है।
मोटापा- योग मुद्रा, चक्रासन, धनुरासन, मयूरासन, हलासन, नौकासन, उष्ट्रासन , अश्वासन, पवनमुक्तासन के अभ्यास से मोटापा घटता है।
बवासीर- योग मुद्रा, सर्वांगासन, मूलबंध, मत्स्यासन, अश्वासन, उत्तानपादासन के अभ्यास से बवासीर रोग ठीक होता है।
अनिद्रा- शीर्षासन, योग मुद्रा, हलासन, सर्वांगासन, मयूरासन, उत्कटासन, मत्स्यासन के अभ्यास से अनिद्रा रोग दूर होता है।
अजीर्ण- बदहजमी- अर्द्ध मत्स्येंद्रासन, मत्स्यासन, मयूरासन, सर्वांगासन, योग मुद्रा, नौकासन, भुजंगासन, धनुरासन के अभ्यास से अजीर्ण बदहजमी दूर होती है।
जुकाम- रबर-नेति, जल-नेति, सर्वांगासन, हलासन, शीर्षासन, मत्स्यासन के अभ्यास से जुकाम ठीक होता है।
यकृत- पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, योग मुद्रा, शलयासन, हलासन, मत्स्यासन, भुजांगासन के अभ्यास से यकृत-विकार दूर होते हैं।
दमा- कुंजल, सुप्त वज्रासन, नेति, हलासन, गौमुखासन, भुजंगासन, उष्ट्रासन , नाड़ी शोधन, मत्स्यासन के अभ्यास से दमा रोग ठीक होता है।
गला- मत्स्यासन, सर्वांगासन, सुप्त, हलासन, वज्रासन, उष्ट्रासन , भुजंगासन के अभ्यास से गला-विकार दूर होते हैं।
नाभि टलना- धनुरासन, नौकासन, भुजंगासन, अखासन, चक्रासन, उत्तानपादासन के अभ्यास से नाभि टलना ठीक होता है।
खांसी- सर्वांगासन, सुप्त वज्रासन, शीर्षासन के अभ्यास से खांसी में आराम मिलता है।
गठिया- गरुड़ासन, सर्वांगासन, पवनमुक्तासन, पद्मासन, अर्द्ध-मत्स्येंद्रासन, सुप्त वज्रासन, मत्स्यासन, योग मुद्रा, धनुरासन, गौमुखासन, उष्टï्रासन, उत्करासन के अभ्यास से गठिया रोग में आराम मिलता है।
आंववात- चक्रासन, पद्मासन, पश्चिमोत्तानासन, मयूरासन, अर्द्ध मत्स्येंद्रासन के अभ्यास से आंववात ठीक होता है।
सूजन- सर्वांगासन, उत्करासन, शीर्षासन के अभ्यास से सूजन ठीक होती है।
गैस- पवनमुक्तासन, मयूरासन, वज्रासन, योग मुद्रा, सर्वांगासन, उष्ट्रासन , धनुरासन के अभ्यास से गैस विकार ठीक होते हैं।
नेत्र रोग- उष्ट्रासन, चक्षु व्यायाम, सर्वांगासन के अभ्यास से नेत्र रोग ठीक होते हैं।
हर्निया- मत्स्यासन, पद्मासन, गरुड़ासन, सर्वांगासन, उत्करासन, उत्तानपादासन, पश्चिमोत्तानासन के अभ्यास से हर्निया रोग ठीक होता है।
हल्का पेट दर्द- योग मुद्रा, सर्वांगासन, पवनमुक्तासन, धनुरासन के अभ्यास से हल्का पेट दर्द दूर हो जाता है।
कृमि विकार- अर्द्ध मत्स्येंद्रासन, मयूरासन, चक्रासन, सर्वांगासन, शीर्षासन, पश्चिमोत्तानासन के अभ्यास से कृमि विकार दूर होते हैं।
फेफड़े- वज्रासन, मत्स्यासन, सर्वागासन, गौमुखासन, अर्द्ध मत्स्येंद्रासन के अभ्यास से फेफड़े के रोग में आराम मिलता है।
गर्भाशय दोष– सर्वांगासन, शीर्षासन, हलासन, उत्तानपादासन, भुजंगासन, के अभ्यास से गर्भाशय दोष मिटते हैं।
पीलिया- पद्मासन, वज्रासन, हलासन, मयूरासन,उष्ट्रासन भुजंगासन के नियमित अभ्यास से पीलिया ठीक होता है।
घुटने का दर्द– उत्तानपादासन, गरुड़ासन, उत्कटासन, वज्रासन के अभ्यास से घुटने का दर्द ठीक होता है।
– डॉ. विजय कुमार सिंह
