पृथ्वी पर जो भी वस्तु, खाद्य-पदार्थ, जीव-जन्तु, पेड़-पौधे आदि अस्तित्व में हैं, उन सबका एक ही मूल कारण है- वह है सूर्य की गर्मी।

खाद्यान्न का एक-एक कण सूर्य से प्राप्त शक्ति का परिणाम है। हर ज्वलनशील पदार्थ में सूर्य की शक्ति निहित है। हर शक्ति सूर्य पर निर्भर है। हवा को ही उदाहरण के लिए लें। सूर्य पृथ्वी को गर्म करता है, जिससे वहां की हवा गर्म होकर ऊपर उठती है और उस गर्म हवा में 100 वर्ग फुट क्षेत्र में 560 अश्व बल (हॉर्स पावर) की शक्ति विद्यमान होती है।

मनुष्य भी अपने शरीर की शक्ति सूर्य से ही प्राप्त करता है। इसे हम दो रूपों से प्राप्त करते हैं। पहले सूर्य से सीधे प्राप्त करते हैं- दूसरे पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों के आहार से। पौधे इसे प्रोटीन, विटामिन आदि के रूप में सूर्य से प्राप्त करते हैं। पशु-पक्षी इसे रंग व विटामिन के रूप में प्राप्त करते हैं।

इस प्रकार हम देखते हैं कि सूर्य की गर्मी हमारे लिए समस्त प्राणी जगत के लिए जीवनदायिनी है। सूर्य की गर्मी ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारे शरीर को गर्म रखती है जिससे हमारे शरीर के सभी तंत्र संचारु रूप से कार्य करते हैं।

सूर्य पृथ्वी पर अपनी किरणें बिखेर कर रोग जन्य कीटाणुओं का नाश करता है। अत: धूप हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है। सूरज की गर्मी सोख कर पौधे हमारे लिए तरह-तरह के आहार और औषधियां तथा खाद्य तेल आदि प्रदान करते हैं। सौर-ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलने की इसी क्रिया ने दुनिया में पेट्रोल तेल और कोयले के भंडार बनाए। सूरज ही पानी को भाप बनाकर उड़ाता है। बादल बनाता है और वर्षा कर अन्न उपजाता है। अप्रत्यक्ष रूप से तो प्रत्येक प्राणी धूप तथा गर्मी का सेवन करता ही है। प्रत्यक्ष रूप से भी यदि इसके महत्व को समझकर नित्य धूप सेवन की जाए तो रोग शरीर के पास फटकने भी न पाएंगे।

धूप सेवन

धूप सेवन से कई रोगों में लाभ मिलता है। रोगों के कीटाणुओं का नाश करने की धूप में अद्भुत क्षमता है। विदेशों में तो सूर्य किरणों से चिकित्सा करने के बड़े पैमाने पर कार्य हो रहे हैं। वहां इस चिकित्सा पद्धति को हीलियोथैरेपी के नाम से जाना जाता है। भारत में भी प्राचीन काल से ही सूर्य किरणों के द्वरा इलाज होता आ रहा है। हमारे ऋषि-मुनि, मिट्टी, पानी और धूप सेवन से ही हर प्रकार के रोग की चिकित्सा किया करते थे।

हमारे प्राचीन वेदों में कहा गया है कि सूर्य उदय होने के बाद तथा अस्त होने के पहले तक अपनी प्रबल किरणों की तेज से रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं का नाश करती है। सुबह जब धूप की किरणें बहुत ज्यादा तेज नहीं होतीं, उस समय इनका सेवन किया जाए तो विशेष लाभ होता है। विटामिन डी भी सूर्य किरणों से तभी प्राप्त होता है, जब वे शरीर की त्वचा पर सीधी पड़े।

कई शहरों में जहां समुद्र है, लोग तट के किनारे लेटकर धूप-सेवन का आनन्द लेते हैं। लोग समुद्र में स्नान करने और तैरने का आनन्द लेने के बाद धूप सेवन के लिए घंटों लेटे रहते हैं। समुद्र तट की धूप शरीर को बड़ी आरामदायक प्रतीत होती है।

सर्दियों में धूप का ले आनंद

धूप-सेवन सर्दियों में ज्यादा लाभ पहुंचाता है। कारण सर्दियों में सूर्य की किरणें बहुत ज्यादा तेज नहीं होती। ज्यादा तेज किरणें शरीर को हानि पहुंचाती हैं। गर्मी में धूप-स्नान ज्यादा लाभ नहीं पहुंचाता। केवल सुबह के समय थोड़ी देर धूप शरीर पर ली जा सकती है।

सूर्य की ओर खुली आंखों से कभी न देखें। सूर्य की चमक आंखों को नुकसान पहुंचाती है। यदि सूर्य की ओर मुंह हो या तो आंखें बन्द रखें या आंखों पर कोई कपड़ा लपेट लें। चाहें तो धूप का चश्मा (हरा या भूरा) लगा लें।

विभिन्न रोगों में धूप सेवन

बहुत से रोगों में धूप-सेवन बहुत लाभ पहुंचाता है। धूप-सेवन के साथ जल-सेवन, स्नान, मिट्टी, हवा, व्यायाम, उपवास, योग, आहार आदि में से किन्हीं अन्य या थोड़ी-थोड़ी सभी विधियों पर अमल करना होता है क्योंकि शरीर निर्माण में पांच तत्त्वों का योग है तो शारीरिक रोगों में भी उनमें से अधिकांश का उपयोग करना आवश्यक है।

क्षय रोग, खून की कमी में धूप लाभदायी

क्षय रोगों के लिए सूर्य किरणों का सेवन बहुत लाभकारी होता है। क्षय रोगी को प्रतिदिन या एक दिन छोड़कर धूप-सेवन कराया जाना चाहिए।

पीलिया तथा खून की कमी वाले अन्य रोग जैसे एनिमिया, पिंडलियों में सूजन, धड़कनें बढ़ना, शरीर का रंग पीला पड़ जाना, आंखें पीली पड़ जाना, हाथ-पैर ठंडे पड़ना, शरीर में दर्द, अशक्तता अनुभव आदि रोगों में भी धूप-सेवन काफी लाभप्रद होता है। 

हृदय रोग एवं रिकेट (हड्डियों की अशक्तता)

हृदय के किसी भी रोग में धूप-सेवन हितकर है। हृदय रोगियों के लिए धूप, स्वच्छ हवा और पानी बहुत लाभ पहुंचाते हैं।

रिकेट में भी धूप-सेवन से बहुत लाभ होता है। सूर्य किरणों में हड्डियों को मजबूती और ठोसपन प्रदान करने वाला विटामिन डी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। सूर्य की किरणें हीमोग्लोबिन तत्त्व की भी वृद्धि करने में अद्भुत कार्य करती है।

चर्म रोगों में

यदि शरीर पर कोई चर्म रोग या फोड़ा आदि हो जाए तो धूप सेवन से उसमें काफी लाभ मिलता है। चर्म रोग के कीटाणु धूप में नष्ट हो जाते हैं, परन्तु इसके बाद गीली मिट्टी को भी बांधना चाहिए। धूप-सेवन में चर्म रोग ग्रस्त स्थान को किसी पतले कपड़े या हरी पत्तियों से ढक दें।

सिर दर्द और खांसी

सिर दर्द और खांसी में भी धूप-सेवन से काफी लाभ मिलता है। धूप-सेवन के कुछ समय ऌपश्चात् सिर पर गीली मिट्टी की पट्टी या जल की पट्टी अवश्य रखें। इससे सिर दर्द शीघ्र ठीक हो जाता है।

जोड़ों के दर्द में

गठिया, वात, जोड़ों के दर्द में गांठों तथा अन्य प्रकार के भीतरी-बाहरी घावों में धूप-सेवन बहुत लाभप्रद और असर करने वाला होता है।

इस प्रकार विविध रोगों में धूप-सेवन बहुत ही लाभदायक और जीवनदायिनी सिद्ध हुआ है। धूप की गर्मी से हमारा शरीर स्पंदन करता रहता है। यदि ऐसी जीवनदायी धूप शरीर के रोगों को दूर कर देती है तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं।  

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