हृदय रोग दबे पाॅंव सेंध लगाकर जीवन को कष्टकारी बना देतेहैं। इनसे बचाव के लिए कुछ नुस्खे प्रस्तुत हैं।
सर्पगन्धा, आंवला, गिलोय, अर्जुन-वृक्ष की छाल, पुनर्नवा और असंगध बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर पानी केसाथ दिन मेंदोबार खानेसे उच्च रक्तचाप (हाईब्लड-प्रैशर) सामान्य होजाता है।
हृदय की कमजोरी दूर करनेकेलिए 25 ग्राम शहतूत का शरबत दिन मेंदोबार पीना हितकर है।
सर्पगन्धा को कूटकर रख लें। प्रातः -सायं 2-2 ग्राम सेवन करने सेहाई ब्लडप्रेशर सामान्य हो जाता है।
एक ग्राम सूखा धनिया, एक ग्राम सर्पगन्धा, 2 ग्राम मिश्री में पीसकर ताजेपानी केसाथ खानेसेउच्च रक्तचाप घट जाता है।
150 ग्राम पानी में 32 किशमिश भिगों दें। बारह घंटे भीगने केबाद प्रातः एक-एक किशमिश को आधा मिनट तक खूब चबा-चबाकर खायें। लोब्लडप्रेशर (निम्न रक्तचाप) में इससेपूर्ण लाभ होता है।
सेब का मुरब्बा प्रतिदिन सेवन करने से हृदय की दुर्बलता दूर होती है।
4 रत्ती जदवार शिकंलबीन केसाथ प्रतिदिन लेनेसे दिल की दुर्बलता मिट जाती है। अदरक काचूर्ण शहद मिलाकर खाने से हृदय की शक्ति बढ़ती है।
सेवती का अर्कतथा गुलकन्द का सेवन भी लाभप्रद है। गाजर का मुरब्बा भी लाभदायक है।
रात्रि में गाजर को भूनकर छील लें तथा खुले में रख दें। प्रातः काल इसमें शक्कर और गुलाबजल मिलाकर खाने से हृदय की धड़कन में लाभ होगा।
नागफनी और थूहर के प्रंचांग की राख का सेवन करने अथवा दोनों केरस को मिलाकर पीनेसे (सामान्य मात्रा में) हृदय की धड़कन सामान्य होजाती है।
पारस पीपली की छाल के मध्य भाग कोपानी में घिसकर छाती पर लगाने से हृदय की पीड़ा (दर्द) दूर होती है।
6 ग्राम मेथीदाना लेकर उसको पीस लें, इसमें शहद मिलाकर सेवन करने सेहृदय की पीड़ा, जलन और घबराहट दूर होती है।
पीपल के कोमल पत्तों मेंदो कोपलों का रस 6 ग्राम से10 ग्राम तक निकाल लें। इसमें शहद मिलाकर पीने से पीड़ा मिट जाती है। तथा हृदय ताकतवर बनता है।
